राजकुमार राव की दमदार एक्टिंग की हर तरफ चर्चा

0

इस फिल्म के डायरेक्टर और लीड हीरो राजकुमार राव(Rajkumar Rao) दोनों में एक समानता जरूर है कि दोनों ही करियर में चैलेंज लेना अच्छी तरह से जानते हैं। अगर हंसल की पिछली फिल्म की बात करें तो कंगना लीड जैसी टॉप ऐक्ट्रेस के साथ जब हंसल ने ‘सिमरन’ बनाई तो यहां भी उन्होंने बॉक्स ऑफिस की डिमांड को साइड करके सिर्फ स्क्रिप्ट और किरदारों पर ही फोकस किया, बेशक ‘सिमरन’ टिकट खिड़क पर कहीं टिकट नहीं पाई, लेकिन क्रिटिक्स और दर्शकों की एक अलग क्लास ने सिमरन के लिए कंगना की जी भरकर तारीफें कीं। वैसे इससे पहले हंसल ‘शाहिद’, ‘अलीगढ़’, ‘सिटी लाइट्स’ जैसी लीक से हटकर बनी फिल्मों से यह साबित कर चुके हैं कि उन्हें हर बार कुछ नया और अलग करना पंसद है।

एक आतंकी की कहानी है ओमेर्टा

राजकुमार ऐसे कलाकार हैं जो ‘ट्रैप्ड’ जैसी डिफरेंट मूवी से लेकर ‘न्यूटन’ जैसी लीक से हटकर बनी ब्लैक शेड्स की फिल्में करने से पीछे नहीं हटते। एकबार फिर हंसल और राजकुमार जब एकसाथ हैं तो दर्शकों को इस फिल्म से कुछ ज्यादा ही उम्मीदें हैं। हंसल ने एकबार फिर रिस्क लेकर अपनी इस नई फिल्म में किसी देश भक्त की नहीं बल्कि एक आंतकी की कहानी को कुछ अलग ढंग से पेश करने की हिम्मत जुटाई। आपको बता दे इटैलियन शब्द ओमेर्ता ऐसे आतंकी के लिए यूज होता है जो पुलिस के बेइंतहां जुल्म के बाद भी टूटता नहीं है।

स्टोरी प्लॉट :

फिल्म की कहानी 2002 की है, लंदन में रह रहा अहमद ओमार सईद शेख (राजकुमार) पत्रकार डेनियल पर्ल ( टिमोथी रायन) की बेरहमी से की गई हत्या की कहानी को अपने अलफाज में पेश करता है। 1994 में दिल्ली में कुछ विदेशी टूरिस्टों के किडनैप करने की घटना में ओमार के शामिल होने से लेकर जेल में गुजारे वक्त और डेनियल की बेरहमी से की गई हत्या के आसपास घूमती यह कहानी इन्हीं किरदारों के साथ-साथ घूमती है।

युवा पीढ़ी आंतकवादी संगठनों की तरफ क्यों आकर्षित हो रही है

हंसल की इस फिल्म को हम एक खूंखार आतंकी को हीरो की तरह पेश करने वाली कहानी नहीं कह सकते, बल्कि हंसल ने पूरी ईमानदारी के साथ फिल्म में यह दिखाने की अच्छी कोशिश की है कि आज की युवा पीढ़ी आंतकवादी संगठनों की तरफ क्यों आकर्षित हो रही है। आखिर भटकी हुई युवा पीढ़ी को आईएसआई जैसे जिहादी संगठनों में ऐसा क्या नजर आता है कि वह सब कुछ छोड़कर सिर पर कफन बांधकर इसमें शामिल हो जाते हैं । करीब दो घंटे से भी कम की फिल्म में हंसल ने बात को अपनी फिल्म का अहम हिस्सा बनाया है। हंसल की कहानी की डिमांड के मुताबिक, फिल्म की करीब-करीब सारी शूटिंग आउटडोर लोकेशन पर की गई है।

Also Read : दर दर की खाक छान रही हैं सुपरस्टार जैकी चैन की बेटी!

भारत और लंदन में शूट हुई थी मूवी

लंदन और भारत की लोकेशंस पर शूट की गई इस फिल्म में पाक दवारा चलाए जा रहे आतंकी कैंपेन को भी हंसल ने फिल्म में अच्छी तरह से पेश किया है। टिमोथी रायन, केवल अरोड़ा, राजेश तेलांग अपने-अपने किरदार में जमे हैं। अगर ऐक्टिंग की बात करें तो एक ऐसे आतंकी के किरदार को राजकुमार ने अपने लाजवाब अभिनय से जीवंत कर दिखाया है जो देखने में आपको बेहद शांत है, लेकिन अंदर से उतना ही जालिम है। ऐसा किरदार यकीनन राजकुमार ही कर सकते हैं, एकबार फिर खुद को बेहतरीन ऐक्टर साबित किया है उन्होंने।

ऐसी फिल्में हर कोई नहीं बना सकता

ईशान छाबड़ा का बैकग्राउंड स्कोर बस ठीकठाक है, हंसल की पिछली कुछ फिल्मों की तर्ज पर यह फिल्म भी बेहद लिमिटेड ऑडियंस के लिए ही बनाई फिल्म लगती है, लेकिन अगर आप इस मूवी को देखेंगे तो हॉल से बाहर आने के बाद महसूस करेंगे कि आपने एक बेहद खूंखार शांत आतंकवादी को कुछ नजदीक से समझा है। ऐसी फिल्में बनाना हर मेकर या ऐक्टर के बस की बात नहीं है। हंसल की दिल खोलकर तारीफ करेंगे कि उन्होंने ऐसे सब्जेक्ट पर फिल्म बनाने का साहस किया।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More