ज्ञानवापी मामला: मुस्लिम पक्ष की अपील पर कोर्ट ने दी नई तारीख, वकील अभयनाथ यादव के निधन पर मांगा 15 दिन का समय

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वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन के लिए दाखिल वाद सुनवाई योग्य है या नहीं. इस पर गुरुवार को हुई सुनवाई 18 अगस्त तक के लिए टल गई है. गुरुवार को हुई सुनवाई में पूर्व मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर समय देने की मांग की. जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में प्रार्थना पत्र देकर केस के मुख्य अधिवक्ता अभयनाथ यादव के निधन से अवगत कराया. साथ ही निधन की वजह से 15 दिन का समय मांगा. गुरुवार की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया को जवाबी बहस करनी थी.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत वाद की पोषणीयता पर 23 मई से लेकर अब तक कई तारीखों पर सुनवाई कर चुकी है. मामले में हिंदू पक्ष का दावा है कि श्रृंगार गौरी का मुकदमा सुनवाई योग्य है. वहीं, मुस्लिम पक्ष का दावा है कि मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है.

सबसे पहले ऑर्डर 7 रूल 11 के आवेदन पर मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने दिनों तक दलीलें पेश की. इसके अलावा डीएम, पुलिस आयुक्त और प्रदेश के मुख्य सचिव की तरफ से डीजीसी सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय प्रसाद ने पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि अदालत की ओर से पहले जारी सभी आदेश का पालन कराया गया है. आगे भी न्यायालय की ओर से जो आदेश होगा उसके अनुपालन के लिए शासन व प्रशासन प्रतिबद्ध है.

मुस्लिम पक्ष जहां अपनी दलीलों में यह साबित करता रहा कि ज्ञानवापी परिसर में विशेष धर्म उपासना स्थल एक्ट 1991 लागू होता है और वक्फ सम्पत्ति होने के कारण इस कोर्ट को सुनवाई का अधिकार नहीं है. वहीं, हिंदू पक्ष यह दलील देता रहा कि यहां विशेष उपासना स्थल एक्ट 1991 लागू नहीं होता क्योंकि 1993 के पहले यहां पूजा-पाठ होता था. विश्वनाथ मंदिर एक्ट बनने के बाद आराजी संख्या 9130 की पूरी सम्पत्ति देवता में समाहित हो गई और वक्फ बोर्ड रजिस्ट्रेशन का कोई प्रमाण नहीं है. ज्ञानवापी की संपत्ति शहर में है जबकि रजिस्ट्रेशन में मंडुआडीह देहात में बताया गया है.

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