ज्ञानवापी मामला: इन 5 महिलाओं ने कोर्ट में दायर की थी याचिका, रेखा पाठक ने किया जीत का दावा, जानें इनके बारे में
सोमवार यानि 12 सितंबर को ज्ञानवापी मामले का फैसला आने वाला है कि अंदर मिला स्ट्रक्चर शिवलिंग है या फिर फव्वारा. जिला अदालत के फैसले से पहले वाराणसी में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है और सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर दिए गए हैं. पुलिस इस केस को संवेदनशील मानकर चल रही है. कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे भी किया गया था. सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के तहखाने में शिवलिंग मौजूद है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था. मामला खास है, संवेदनशील है लिहाजा सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं. ज्ञानवापी परिसर के आस-पास धारा 144 लागू है. 250 से ज्यादा पुलिस वाले मुस्तैद हैं.
बता दें जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण ने 24 अगस्त को इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था और 12 सितंबर को फैसला सुनाने का ऐलान किया था. कोर्ट में सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए गए हैं, स्निफर डॉग भी तैनात हैं.
दरअसल, ये पूरा मामला 5 महिलाओं की तरफ से दायर याचिका के कारण सामने आया. इन सभी महिलाओं ने श्रृंगार गौरी ने पूरे साल दर्शन और पूजन के लिए रास्ता खोले जाने के साथ ही मस्जिद के अंदर देवी-देवताओं की जानकारी उपलब्ध कराने की मांग की थी.
जानिए इन महिलाओं के बारे में…
ज्ञानवापी मामले में मुकदमा दायर करने वाली 5 याचिकाकर्ताओं में से एक दिल्ली की रहने वाली हैं और बाकी 4 महिलाएं वाराणसी की रहने वाली है. इन महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर के अंदर ‘श्रृंगार गौरी स्थल’ पर प्रार्थना करने की अनुमति मांगी है. इन महिलाओं के नाम राखी सिंह, सीता साहू, लक्ष्मी देवी,मंजू और रेखा पाठक हैं.
राखी सिंह- दिल्ली
राखी सिंह दिल्ली की हौज़ ख़ास की रहने वाली हैं. राखी वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जीतेन्द्र सिंह बिसेन से जुडी हुई है. राखी के पति का नाम इंद्रजीत सिंह हैं और लखनऊ के हुसैनगंज का भी एक स्थानीय पता है. बनारस की याचिका कर्ता बाकी महिलाओं से इनका संपर्क कम ही है .
लक्ष्मी देवी- वाराणसी
लक्ष्मी देवी के पति डाक्टर सोहन लाल आर्य हैं जो बनारस के महमूरगंज निवासी है. सोहन लाल आर्य श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में इससे पहले 1996 में एक याचिका दायर की थी. यह किसी संगठन से नहीं जुड़ी हैं. घर गृहस्थी संभालती हैं.
सीता साहू- वाराणसी
सीता साहू बनारस के चेतगंज के में रहती है. उनके पति गोपाल साहू बिजनेस करते हैं. सीता साहू ज्ञानवापी परिसर से महज 2 किमी दूर अपने घर से एक छोटा सा जनरल स्टोर चलाती हैं. ये भी किसी संगठन से नहीं जुड़ी हैं.
मंजू व्यास- वाराणसी
काशी के ही राम घाट मोहल्ले की रहने वाली मंजू व्यास इस याचिका में चौथी महिला हैं. उनके पति विक्रम व्यास हैं जो बिजनेस करते थे.
रेखा पाठक- वाराणसी
काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के समीप स्थित हनुमान पाठक क्षेत्र की निवासी रेखा पाठक गृहिणी हैं.
रेखा पाठक ने किया जीत का दावा…
काशी में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में सुनवाई से ठीक पहले 5 वादी महिलाओं में से एक रेखा पाठक ने बड़ा दावा किया है. रेखा पाठक ने कहा ज्ञानवापी का फैसला हमारे पक्ष में ही आएगा. मुस्लिमों का दावा बिल्कुल निराधार है न तो जमीन मुस्लिमों की है और न ही वक्फ बोर्ड की और ना ही वहां मस्जिद है. ज्ञानवापी हिंदुओं की आस्था का एक केंद्र है. वहां पर भगवान आदि विशेश्वर का शिवलिंग है. सर्वे के दौरान ही बाबा हमें मिल गए थे और अब कानूनी लड़ाई में हमारी जीत होगी.
रेखा पाठक ने बताया कि काशी वासियों से अपील की गई है कि वह अपने घरों व छतों के बालकनी से ताली, थाली व घंटे-घड़ियाल बजाएं जाएं ताकि हिंदुओं के आस्था को प्रकट किया जा सके.रेखा पाठक ने कहा कि इस फैसले के बाद आगे ढांचे को गिराने, शिवलिंग के नियमित दर्शन-पूजन के अधिकार व एएसआई करने की मांग की जाएगी.
Varanasi | The petition was filed by five Hindu women seeking permission to worship the Shringar Gauri Sthal within the Kashi Vishwanath-Gyanvapi Masjid complex.
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 12, 2022
याचिका में शामिल सभी महिलाओं का एक ही कहना है कि उनकी मुलाकात दर्शन पूजन के दरमियान हुई . फिर दोस्ती हो गई और उसके बाद याचिका दायर किया और अब हम लोग इसे अंतिम दिन तक लड़ेंगे.