दलित होने की मासूमों को मिली सजा, स्कूल में एडमिशन देने के किया इंकार

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यूपी के मेरठ में दलित मासूम को दलित होने की सजा मिली प्राथमिक स्कूल में प्रवेश देने से इंकार कर दिया गया। एक सरकारी प्राइमरी पाठशाला के प्रधानाध्यापक ने दो दलित बच्चों का दाखिला लेने से इंकार कर दिया। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इस मामले में जांच शुरू कराई है। मामला मेरठ के फलावदा इलाके का है।

पंछाली पट्टी में प्राथमिक पाठशाला संख्या-2 स्थित है। इलाके के जगजीवनराम मुहल्ला निवासी शीशपाल की पत्नी सुनीता मंगलवार को अपने दो बच्चों कार्तिक और गौरव (आयु क्रमश: 5 और 7 साल) का दाखिला कराने स्कूल में पहुंची थी।

जाति पूछी और दाखिला देने से इंकार कर दिया

प्रधानाध्यापक ने उनकी जाति पूछी और दाखिला देने से इंकार कर दिया। सुनीता का आरोप है कि प्रधानाध्यापक ने उससे कहा कि अल्पसंख्यक बाहुल्य स्कूली बच्चों के बीच दलित बच्चों को नहीं बैठा सकते। इससे माहौल खराब होगा।

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सुनीता अपने बच्चों का दाखिला कराये बगैर घर लौट गयीं। मगर उनके परिजनों और मुहल्ले के लोगों ने प्रधानाध्यापक की इस हरकत को उनके अधिकार का हनन बताया है। प्राथमिक पाठशाला-2 के प्रधानाध्यापक रहीसुद्दीन ने बताया कि सुनीता के आरोप निराधार हैं। उन्होने बच्चों की मां से उनका आधार कार्ड मांगा था जिससे जन्मतिथि की पुष्टि की जा सके। मामले को अलग दिशा में मोड़ दिया गया है। बच्चों की मां आधारकार्ड न दिखा सकीं।

बेसिक शिक्षा अधिकारी ने जांच के आदेश दिए

जिलाधिकारी अनिल ढींगरा ने बताया कि आधारकार्ड के अभाव में किसी भी बच्चे को स्कूल में दाखिल करने से इंकार नहीं किया जा सकता। मामले का संज्ञान लिया गया है। प्रधानाध्यापक की भूमिका की जांच कराने के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी की आदेशित किया गया है। दोनो बच्चों का दाखिला किया जायेगा और जांच के बाद प्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई भी होगी।साभार

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