यहां सजती है मर्दों की मंडी, लगती हैं बोलियां…
दिल्ली में मर्दों के जिस्म का कारोबार बड़ी तेजी से पनप रहा है। आलम ये है कि यहां के कई प्रमुख इलाकों में रात 10 बजे से मर्दों का बाजार रात सजना शुरू हो जाता है और ये सिलसिला सुबह चार बजे तक चलता है। दिल्ली में सज रहे मर्दों की यह मंडी ‘जिगोलो मार्केट’ के नाम से प्रसिद्ध है।
कब सजता है बाजार?
युवा जिस्म का ये बाजार रात 10 बजे से सुबह चार बजे के बीच सजता है। वीवीआईपी इलाकों में जैसे साऊथ एक्सटेंसन, जेएनयू रोड, आईएनए, अंसल प्लाजा, कनॉट प्लेस, जनकपुरी डिस्ट्रिक सेंटर के प्रमुख बाजारों की मेन सड़कों पर खड़े हो जाते हैं। इन युवाओं के पास बड़ी-बड़ी गाड़ियां आकर रुकती है, उस गाड़ी में युवा बैठता है और जैसे ही सौदा तय होता है, गाड़ी चल देती है।
पट्टा और रुमाल है पहचान
जो भी युवा इस धंधे में लिप्त हैं वो सड़क पर आने से पहले अपने गले में पट्टा और हाथ में रुमाल जरूर रखते हैं। रुमाल और गले में बंधे पट्टे पर बहुत कुछ निर्भर करता है। दरअसल, गले में बंधा पट्टा युवा के लिंग की लंबाई दर्शाता है।
कॉरपोरेट जगत की तरह होता है काम
दिल्ली की सड़कों पर युवाओं के जिस्म के सौदेबाजी का काम बेहद नियोजित तरीके से होता है। इसके पीछे कई संस्था काम कर रही है। रात को सड़कों पर अपने जिस्म का सौदा करने उतरे इन युवाओं को कमाई का 20 प्रतिशत हिस्सा अपनी संस्था को देना होता है, जिनसे ये जुड़े हुए हैं। इस धंधे को दिल्ली के कई युवा अपना प्रोफेशन बना चुके हैं तो कई अपनी लग्जरी जरूरतों की पूर्ति के लिए इस दलदल में फंसते जा रहे हैं।
युवाओं को हाती है अच्छी कमाई
दिल्ली के इन बाजार में युवा खुलेआम अपने जिस्म का सौदा करते हैं। राजधानी की सड़कें जब सूनसान होती हैं, लोग अपने घरों में आराम कर रहे होते हैं तब इनका बाजार सजता है। कुछ घंटों के लिए इन युवाओं की बुकिंग 1500 से 3000 हजार रुपए में होती है और अगर पूरी रात के लिए बुक करना हो तो ये युवा आठ से दस हजार तक लेते हैं।
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इसके अलावा युवाओं के गठीले और सिक्स पैक ऐब्स के हिसाब से 15 से 20 हजार रूपए तक कीमत दी जाती है। खास बात ये है कि युवा जिस्म की खरीददार उन घरानों या इलाकों की महिलाएं होती हैं, जिन्हें आम बोलचाल में हम हाई-प्रोफाइल कहते हैं।
इंजीनियरिंग और मेडिकल तक के छात्र शामिल
इस धंधे में इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्र सबसे अधिक हैं। इसके अलावा साउथ दिल्ली के कई जाने-माने होटल में भी यह धंधा जमकर फलफूल रहा है। यहां युवक की पहचान गले में पहने पट्टे से नहीं, बल्कि उनके ड्रेस से होती है।
होटलों में युवाओं के हाथ में लाल रुमाल और गले में पट्टे की बजाय काली पतलून और सफेद शर्ट पहचान होती है। जिगोलो इन होटलों के रेस्तरां में बैठकर कॉफी की चुस्कियां लेते हुए अपने ग्राहक की तलाश करते हैं।
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