गुलाम नबी आजाद का इस्तीफा, सोनिया-राहुल पर तीखे सवाल, सीएम बनने को लेकर जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक गलियारों में हलचल, जानें सब कुछ

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बीते शुक्रवार को कांग्रेस के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद ने 51 साल बाद पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दिया. अपने इस्तीफे को लेकर पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे 5 पन्नों के पत्र में उन्होंने सोनिया के नेतृत्व पर बड़े सवाल उठाए और पार्टी की बदहाली के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार बताया.

इसके अलावा, इस्तीफे के साथ ही आजाद ने यह भी साफ कर दिया है कि वो अपने बेटे सद्दाम के साथ नयी पार्टी बनाएंगे. इस बयान से जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक गलियारों में की हलचल शुरू हो गई. वहीं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व युवा कांग्रेस अध्यक्ष अमीन भट्ट ने शनिवार को दावा किया कि गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री होंगे.

गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे की बड़ी वजहें…

गुलाम नबी आजाद ने अपने पांच पेज के इस्तीफे में इस बात को खुल कर कहा है कि वो राहुल गांधी से खफा थे और उन्होंने राहुल को अपरिपक्व बताया. आजाद ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान देते समय पार्टी की सलाहकार समिति से किसी भी प्रकार का कोई भी विचार विमर्श नहीं किया गया. आजाद ने साल 2014 से लेकर अब तक हुए चुनावों में कांग्रेस के शर्मनाक प्रदर्शन के लिए भी राहुल गांधी के कथित बचपने और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार को जिम्मेदार बताया है.

आजाद ने राहुल गांधी द्वारा यूपीए 2 सरकार के ऑडिनेंस को प्रेस कॉन्फ्रेंस में फाड़े जाने का भी विरोध किया था. इसके साथ ही राहुल गांधी द्वारा पार्टी की अंतरिम समितियों में लिये गए निर्णयों की खुले मंच से आलोचना किये जाने से भी गुलाम नबी आजाद नाराज थे. आजाद ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी पार्टी की समितियों की जगह अनुभवहीन और चाटुकार नेताओं की सलाह से काम करते हैं, जिसका खामियाजा आज पूरी कांग्रेस भुगत रही है.

आजाद राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष की जगह नहीं देना चाहते थे. कयास ये भी लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस की कमान उन्हें ही मिलेगी और वो खुद को उस जगह पर देख रहे थे.

इसके अलावा, भाजपा से आजाद की कुछ अंदरूनी सांठगांठ की भी बातें सामने आ रही है. बतौर राज्यसभा सांसद आजाद का कार्यकाल खत्म होने के अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से उनकी तारीफों के पुल बांधे और भावुक हुए, वो भाजपा के साथ उनके अच्छे रिश्ते होने की बातों को हवा देता है.

इससे पहले मोदी सरकार ने उन्हें पद्भूषण से सम्मनित किया था तब भी भाजपा से इनके मोहब्बत को लेकर खूब चर्चाएं हुईं.

हालांकि, आजाद ने कांग्रेस छोड़कर अपने बेटे सद्दाम के साथ नयी पार्टी बनाकर राजनीति में सक्रिय रहने की बात की है, लेकिन के राजनीति के जानकार भाजपा के साथ जाने की संभावना से भी इंकार नही करते. अक्टूबर-नवंबर में कश्मीर में चुनाव कराने की तैयारी चल रही है. ऐसा भी हो सकता है कि आजाद भाजपा के बी टीम के रूप में जनता के बीच जाएं. क्योंकि, प्रयत्क्ष रूप से कमल के फूल सिंबल पर इनको वोट मिल पायेगा, इसमें संदेह है. लेकिन, जम्मू-कश्मीर के पूर्व युवा कांग्रेस अध्यक्ष अमीन भट्ट ने शनिवार को कहा कि हमने आजाद से मुलाकात की है. हम आगे के रास्ते पर चर्चा करेंगे. हम भाजपा की बी टीम नहीं हैं.

बता दें कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद आजाद ने कहा कि मैं कोई राष्ट्रीय पार्टी बनाने के लिए अभी जल्दबाजी में नहीं हूं. लेकिन, जम्मू-कश्मीर में चुनाव होने की संभावना को ध्यान में रखते हुए, मैंने वहां जल्द ही एक इकाई गठित करने का फैसला किया है. मैंने इस निर्णय के बारे में काफी सोच-विचार किया तथा इसे वापस लेने का कोई सवाल नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं जल्द ही जम्मू-कश्मीर जाऊंगा. मैं जम्मू-कश्मीर में जल्द ही अपनी पार्टी बनाऊंगा. मैं भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं होऊंगा.

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