मां बाप के साथ जेल में सजा काट रहे ये चार मासूम, पुलिस ने किए ये इंतजाम
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के जेल में मां-बाप के साथ बंद चार मासूम बच्चों को जेल अधीक्षक ने ही उम्मीद की किरण दिखाई है। अब उनकी जिंदगी अंधेरे के गहरे कुएं से निकलकर उजाले की ओर आगे बढ़ रही है। ये मासूम बेगुनाह होते हुए भी अपने माता-पिता की वजह से सलाखों के पीछे हैं। हरदोई जेल में रहने वाले कान्हा, आकृति, सुधांशु और सुधा का जन्म जेल में हुआ। उन्हें तो यह पता भी नहीं था कि आखिर किस जुर्म में उनके मां-बाप जेल में बंद हैं और उनका बचपन यहां बीत रहा है।
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घुटन की जिंदगी जीने को मजबूर चार मासूम
लेकिन हरदोई जेल में घुटन की जिंदगी जीने को मजबूर इन चार मासूमों के सपनों को पर लगाने का काम किया जेल अधीक्षक बीएस यादव ने जेल अधीक्षक की संवेदनशीलता ने इन बच्चों को उनके बचपन का अधिकार दिलाया। उनकी मासूमियत का सम्मान किया। अधीक्षक बीएस यादव के प्रयासों से इन बच्चों को हरदोई शहर के एक प्रतिष्ठित और महंगे अंग्रेजी स्कूल में अच्छी शिक्षा हासिल करने का मौका मिला है। अब ये मासूम भी शहर में रहने वाले अच्छे घरों के बच्चों की तरह सुबह तैयार होकर स्कूल यूनिफार्म में बड़े ठाठ से स्कूल जाते हैं।
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बच्चों को स्कूल पहुंचाती हैं जेल की वैन
जेल प्रशासन ने खासतौर पर इन बच्चों के लिए एक सुरक्षाकर्मी की निगरानी में जेल की वैन लगाई है, जो हर रोज इन्हें समय से स्कूल पहुंचाती है और वापस लाकर जेल में दाखिल करती है। आम बच्चों की तरह ये मासूम भी पुलिस अधिकारी, डॉक्टर और इंजीनियर बनना चाहते हैं। दरअसल, हरदोई जेल अधीक्षक के इस मानवीय पहल को हरदोई शहर के सनबीम स्कूल की प्रिंसिपल का भी सहयोग मिला। स्कूल ने जेल से आने वाले इन चारों मासूमों की फीस माफ कर दी। स्कूल यूनिफार्म, किताबों और आने जाने की व्यवस्था जेल प्रशासन ने कर दी।
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कई स्कूलों ने बच्चों का एडमिशन नहीं किया जेल में बंद माता-पिता
बावजूद इसके इन बच्चों का दाखिला इतना आसन नहीं रहा। शहर के कई स्कूलों ने इन बच्चों का एडमिशन इसलिए नहीं किया क्योंकि ये बच्चे जेल में बंद अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। ज्ञान बांटने वाले बहुत से अज्ञानी लोगों ने इन बच्चों पर अपराधियों की संतान होने की पहचान लगा दी। सनबीम स्कूल की प्रिंसिपल माधुरी मिश्रा ने इन बच्चों को अपने स्कूल में खुशी से दाखिला दिया और आज यह बच्चे दूसरे बच्चों से भी ज्यादा तेजी से जिंदगी की दौड़ में आगे बढ़ रहे हैं।
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प्रशासन के सहयोग से ट्यूशन लगवाया
यादव के अनुसार ,”अपने माता-पिता के साथ जेल में बंद इन बच्चों को बेहतर परवरिश देना उन्होंने एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया. शहर के कई स्कूलों से संपर्क करने के बाद एक स्कूल में बच्चों को दाखिला दिलाया और वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति लेकर उनके आने जाने की व्यवस्था की। इतना ही नहीं स्कूल से वापस आने के बाद बच्चे जेल में भी कायदे से अपना होमवर्क कर सकें और पाठ्यक्रम की तैयारी में पीछे न रह जाए, इसके लिए प्रशासन के सहयोग से एक शिक्षा मित्र को भी लगाया गया है। इतना ही नहीं स्कूल में इस बात का पूरा ध्यान रखा जाता है कि बच्चों को अपराधियों के बच्चों या जेल से आने वाले बच्चों के रूप में न जाना जाए। बल्कि वह पूरे सम्मान और स्वाभिमान के साथ आगे बढ़ें।