फर्जी एनकाउंटर में पंजाब के पूर्व DSP को उम्र कैद की सजा…
कहते है न्याय में देर हो सकती है अंधेर नहीं. जी हाँ कुछ इसी तरह का मामला पंजाब से सामने आया है जहाँ फर्जी एनकाउंटर के मामले में पंजाब पुलिस के एक बड़े अधिकारी को पंजाब के मोहाली की विशेष सीबीआई की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है.
कई साल बाद सीबीआई ने दायर की चार्जशीट
कहा जा रहा है कि फर्जी एनकाउंटर के मामले में सीबीआई ने साल 1999 में अपना आरोप पत्र दाखिल किया. इसके बाद 7 फरवरी 2020 को आरोपियों के खिलाफ आरोप तय हुए . सीबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा कि मुकदमे के दौरान CBI ने प्रत्यक्षदर्शियों सहित 32 गवाहों को पेश किया जिन्होंने यह कहा कि दिलबाग सिंह और गुलबचन सिंह ने गुलशन कुमार को उनके घर से अगवा किया और बाद में 22 जुलाई, 1993 को उनकी हत्या कर दी.
हत्या को मुठभेड़ में बदलने की कोशिश
कहा जा रहा है कि पुलिस अधिकारियों ने हत्या को मुठभेड़ में बदलने की कोशिश की थी. इतना ही नहीं CBI ने दोषी पुलिस अधिकारियों द्वारा गवाहियों और दस्तावेजों के आधार पर गढे गए साजिशों को सही पाया. पुलिस ने 22 जुलाई, 1993 को कुमार के परिजनों को सूचित किए बिना उनके शव का अंतिम संस्कार कर दिया.
पलासौर के पास किया गया था फर्जी एनकाउंटर
बता दें कि यह फर्जी एनकाउंटर पंजाब के पलासौर के पास 22 जुलाई 1993 को तरनतारन के गांव में किया गया था. इसमें फल विक्रेता गुलशन कुमार के अलावा मुरादपुरा निवासी हरजिंदर सिंह, जीरा निवासी करनैल सिंह, जरनैल सिंह (दोनों सगे भाई) को मौत के घाट उतार दिया गया. इसके बाद गुलशन कुमार के पिता जब चाय लेकर गए तो पता चला कि फर्जी एनकाउंटर कर उनके बेटे को मार दिया गया है. इतना ही नहीं पुलिस ने चारों युवाओं के शवों को लावारिस करार देते स्थानीय श्मशानघाट में अंतिम संस्कार करवा दिया.
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गुलबचन सिंह को उम्रकैद की सजा…
इस मामले में पंजाब की विशेष अदालत ने पंजाब पुलिस के तत्कालीन SHO और सेवानिवृति DSP गुलबचन सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई है. विशेष जज राकेश कुमार की अदालत ने दोनों को दोषी करार दिया था और कल सजा सुना दी, इतना ही नहीं इस मामले में शामिल तीन अन्य पुलिस कर्मियों की मौत हो चुकी है.