यूपी में मंडराया बाढ़ का खतरा, नेपाल ने सरयू में छोड़ा 5 लाख क्यूसेक पानी
दिल्ली की यमुना के बाद अब उत्तर प्रदेश की सरयू नदी उफान पर हैं। उत्तर प्रदेश की भी तस्वीर दिल्ली जैसी हो सकती है। नेपाल से लगातार दो दिनों में पांच लाख क्यूसेक पानी सरयू नदी में छोड़ा गया है। प्रदेश में कई इलाकों में लगातार हो रही बारिश से पहले ही गंगा और सरयू नदी खतरे के निशान के करीब पहुंच चुकी हैं। ऐसे में बाहर से आ रहे पानी की वजह से सरयू नदी सहित गंगा का भी जलस्तर खतरे के निशान को पार कर सकता है।
नेपाल से छोड़ा जा रहा यूपी में पानी
जानकारी के मुताबिक, नेपाल की ओर से गिरजा, सरयू व शारदा बैराज से दो शिफ्टों में पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। सिंचाई विभाग के जेई जेपी यादव ने बताया कि शुक्रवार व शनिवार की सुबह तीन बैराजों से दो शिफ्टों में पानी छोड़ा गया है। जिससे उत्तर प्रदेश में खतरे की घंटी बज रही है। अभी तक मैदानी इलाकों में हो रही बरसात से सरयू के जलस्तर में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा था। लेकिन नेपाल से छोड़े जा रहे पानी के चलते अब सरयू का जलस्तर तेजी से बढ़ाव पर है।
सरयू का बढ़ रहा जलस्तर
उत्तर प्रदेश में अभी तक सरयू नदी का जलस्तर गौरीशंकर घाट के लाल निशान 69.90 मीटर के सापेक्ष 1.35 मीटर नीचे है। नदी का जलस्तर शुक्रवार की शाम चार बजे 68.35 मीटर था, जो शनिवार की शाम बढ़कर 68.55 मीटर हो गया। इधर नदी के बढ़ते जलस्तर से जहां तटवर्ती इलाके के लोगों की बेचैनी बढ़ गई है तो वहीं अब बाढ़ का खतरा भी मंडराने लगा है। मुक्तिधाम से लेकर खाकीबाबा की कुटी तक कटान परियोजना का निरीक्षण लगातार जारी है।
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जलस्तर बढ़ने से घबराए अधिकारी
सरयू का जलस्तर बढ़ने से सिंचाई विभाग के अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए हैं। सिंचाई विभाग अधिशासी अभियंता वीरेंद्र पासवान ने बताया कि बहराइच में सरयू नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। शाही मस्जिद के पास नदी का दबाव ज्यादा है। राम-जानकी घाट की बची सीढ़ियां नदी की धारा में पहले ही विलीन हो गई हैं।
यूपी सरकार को करनी होगी तैयारी
ऐसे में यह कहना गलत नही होगा कि उत्तर प्रदेश में भी दिल्ली जैसी स्थिति होने में अब कुछ ही समय शेष बचा है। दिल्ली में हथिनी कुंड से छोड़े गए पानी की वजह से बाढ़ जैसै हालात बन गए। वहीं अब उत्तर प्रदेश में भी नेपाल से आ रहे पानी की वजह से बाढ़ की आशंका बढ़ रही है। प्रदेश को बाढ़ से निपटने के लिए पहले से ही इंतजाम करने होंगे, जिससे बाढ़ और डूबा वाली स्थिति से बचा जा सके।
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