पहले शिवसेना, अब NCP में बगावत, आखिर बीजेपी ने महाराष्ट्र में एमवीए पर बाजी कैसे पलट दी?

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ऐसे राज्य में राजनीतिक स्थिरता कभी भी स्थायी गारंटी नहीं हो सकती जहां कोई गठबंधन सरकार बना या बिगाड़ सकता है. महाराष्ट्र इसका प्रमुख उदाहरण है. बीतें 4 सालों में विधायकों के दलबदल या सरकारें गिरने के कारण महाराष्ट्र में चार शपथ ग्रहण समारोह हुए हैं. सबसे हालिया शपथ ग्रहण रविवार दोपहर को हुआ, जब एनसीपी नेता अजित पवार और पार्टी के कई विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में शामिल हो गए. अजित पवार के ताजा कदम से ऐसा लग रहा है कि 2019 विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी को जो सियासी झटका लगा था, वह अब पूरा हो गया है.

बीजेपी बदला पूरा करने में सफल रही…

पूर्व सीएम देवेन्द्र फड़नवीस के शब्दों में कहे तो, 2019 में शिवसेना द्वारा बीजेपी की ‘पीठ में छुरा घोंपने’ के बाद पार्टी अपना ‘बदला’ पूरा करने में सफल रही है. दूसरी ओर, अजीत पवार के नवीनतम विद्रोह ने महा विकास अघाड़ी (MVA) में गंभीर दरारें उजागर कर दी हैं. इस तीन दलीय मोर्चे का गठन 2019 चुनाव के बाद बीजेपी से मुकाबला करने के लिए किया गया है. गौरतलब है कि 2019 में चुनाव नतीजों के बाद सीएम पद के मुद्दे पर शिवसेना ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था और एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनाई थी. वैचारिक रूप से भिन्न होने के बावजूद, ये पार्टियां भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए एक सामान्य न्यूनतम कार्यक्रम विकसित करने में कामयाब रहीं.

बीजेपी का ‘बदला’

2019 के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी, शिवसेना के ‘विश्वासघात’ के बाद हाथ मलती रह गई. कुछ समस्याओं के बावजूद एमवीए पहले कुछ वर्षों तक सत्ता पर काबिज रहने में कामयाब रही. हालांकि, 2022 में शिवसेना में एक बड़ा विभाजन देखा गया. जब एकनाथ शिंदे और 39 अन्य विधायकों ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी और बीजेपी से हाथ मिला लिया. जबकि एमवीए में शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी थी. अधिकांश शिवसेना विधायकों के दलबदल के कारण एमवीए सरकार गिर गई। जिसके चलते उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा.

शिवसेना के बाद एनसीपी का नंबर है…

इसके बाद एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री और देवेन्द्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनाकर शिवसेना-भाजपा सरकार बनाई गई. कई राजनीतिक नेताओं ने शिवसेना में विभाजन की साजिश रचने के लिए फडणवीस को श्रेय दिया. भाजपा नेता फडणवीस ने खुद शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की बात कबूल की और इसे ‘बदले की कार्रवाई’ बताया. इसके बाद अजित पवार और 8 अन्य विधायकों के महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने के बाद एनसीपी अब इसी तरह के संकट का सामना कर रही है. अजित पवार ने कहा है कि उनकी पार्टी के लगभग सभी विधायक महाराष्ट्र सरकार का समर्थन करेंगे, हालांकि उनके चाचा शरद पवार ने इन दावों को खारिज कर दिया है.

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