देश में आए निपाह वायरस से पहली मौत, जानें लक्षण और उपाय…?
लोगों में कोरोना वायरस का कहर अभी पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुआ है कि उससे पहले ही देश में निपाह वायरस अपने पांव पसारने लगा है. इसका कहर रविवार को केरल में देखने को मिला है. जहां पर बीते रविवार को केरल के मलप्पुरम जिले के रहने वाले 14 वर्षीय बालक जो निपाह वायरस से संक्रमित था की मौत हो गयी है. बताया जा रहा है कि मलप्पुरम के 14 साल के बालक में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के लक्षण दिखे. उसे स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया. बाद में हालत बिगड़ने के बाद में उसे कोझिकोड के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी.
कोरोना जैसा है खतरनाक
आपको बता दें कि कोरोना के जैसे ही यह भी काफी खतरनाक वायरस होता है. निपाह वायरस चमगादड़ों और सूअरों के द्वारा फैलता है. इसको लेकर जारी की गई जानकारी में विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ ने कहा है कि यह वायरस इंसानों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है. ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं क्या है निपाह वायरस, इसके लक्षण और उपाय…
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कही ये बात
निपाह वायरस के केरल में हुई पहली मौत की जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी की गयी है. एक्स पर साझा की गयी इस जानकारी में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लिखा है कि, “नमूने एनआईवी (पुणे) भेजे गए थे, जहां किशोर में निपाह वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है.” केंद्रीय सरकार ने राज्य को सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को तुरंत लागू करने की सलाह दी है. साथ ही मृत किशोर के संपर्क में आए लोगों की पहचान करने और पड़ोसियों की जांच करने का भी आदेश दिया गया है. राज्य सरकार को भी पिछले 12 दिनों में मरीज से संपर्क में आए लोगों का पता लगाने और उन्हें क्वारंटाइन करने की सलाह दी गई है.
केरल में पहले भी था निपाह वायरस का प्रकोप
स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय ‘वन हेल्थ’ मिशन के तहत बहु-सदस्यीय प्रतिक्रिया टीम को राज्य को तकनीकी सहायता देने, मामले की जांच करने और महामारी विज्ञान संबंधों की पहचान करने के लिए तैनात किया जाएगा. बता दें कि, केरल में पहले भी निपाह वायरस रोग (एनआईवीडी) का प्रकोप हुआ था. वहीं 2023 में कोझिकोड जिले में सबसे हाल का प्रकोप हुआ था.
क्या होता है निपाह वायरस ?
WHO की वेबसाइट द्वारा वायरस को लेकर बताया गया है कि निपाह वायरस एक जूनोटिक वायरस है. यह जानवरों से लोगों में फैलता है और दूषित भोजन या संक्रमित व्यक्ति के जरिए अन्य लोगों में फैलता है. यह संक्रमण स्पर्शोन्मुख (सबक्लिनिकल) संक्रमण से लेकर तीव्र श्वसन बीमारी और घातक एन्सेफलाइटिस तक हो सकता है. यह वायरस सूअरों और चमगादड़ में भी गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है, जो किसानों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा सकता है. वहीं साल 1998-99 में पहली बार निपाह वायरस का पता चला था. इसके मामले मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह में पाए गए थे. उस समय 250 से अधिक लोगों में इसके संक्रमण की पुष्टि हुई थी.
निपाह वायरस के लक्षण
बुखार
उल्टी
डायरिया
सिरदर्द
मांसपेशियों में दर्द
दौरे पड़ना या भ्रम की स्थिति
सांस लेने में कठिनाई
खांसी और गले में खराश
एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन)
उपचार
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी निपाह वायरस के संक्रमण में प्रभावी हैं. बता दें कि ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल भारत सरकार से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की मांग की थी. फिलहाल, देश में इस संक्रमण से बचने के लिए कोई दवा नहीं है. इसलिए सरकार ने दूरी बनाकर रखने की सलाह दी, क्योंकि संक्रमित जानवरों और लोगों के संपर्क में आने से यह फैलता है.
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इस तरह करें बचाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस संक्रमण के प्रकोप वाले क्षेत्रों में सूअरों और फलाहारी चमगादड़ों से दूर रहने की सलाह दी है. इसके अलावा, भोजन को अच्छे से पकाकर खाने की सलाह दी जाती है और कच्चे या अधपके फलों को खाने से बचना चाहिए. इसके अलावा बार-बार हाथ धोना और व्यक्तिगत हाइजीन नियमों का पालन करने से इस वायरस को फैलने से रोका जा सकता है.