…ताकि खादी को दुनिया में मिले नई पहचान : अंजू मोदी

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फैशन डिजाइनर अंजू मोदी का मानना है कि खादी के इस्तेमाल को बढ़ावा दिए जाने से कारीगरों, बुनकरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। गांधी के सपनों के भारत की तरह हर कोई अपने घर में खुश रहेगा। किसी को दूसरे व्यक्ति के यहां नौकरी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अंजू अपने देश की संस्कृति और कलात्मकता को पूरी दुनिया में फैलाना चाहती हैं।

खादी के परिधान में वंदे मातरम लिखे झोले के साथ रैंप वॉक

मशहूर डिजाइनर ने एनजीओ तमन्ना, फैशन डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया और पर्ल समूह के सहयोग से यहां आयोजित एक फैशन शो के दौरान मीडिया के साथ बातचीत की। शो में उन्होंने खादी के परिधान संग्रह पेश किए। जहां खूबसूरत मॉडलों ने ‘ये जो देश है तेरा’ गाने पर खादी के परिधान में वंदे मातरम लिखे झोले के साथ रैंप वॉक किया।

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किसी की नौकरी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी

खादी के परिधानों को बढ़ावा देने के बारे में उन्होंने मीडिया से कहा, “अपने देश की कारीगरी है, जो सालों पुरानी हमारी संस्कृति है, अगर हम उसे बरकरार रखें और अपने हैंडलूम, खादी के इस्तेमाल को बढ़ावा दें.. हमारे यहां की जो वेजिटेबल डाइ, धमड़का और बाबू प्रिटिंग होती होती है, उसे बढ़ावा दें और अगर इन सारी चीजों को जीवित रखें, तो यह एक प्रकार की ‘डिमांड फॉर द फैब्रिक’ होती है। तब किसी को अपना गांव छोड़कर जाना नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, “गांधी के सपनों के भारत की तरह हर कोई अपने घर में खुश रहेगा। किसी को किसी की नौकरी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। गांव के कारीगर, बुनकर सब अपने घर में अपना काम कर सकते हैं।”

दूसरे देशों के लोग हमारे कपड़ों को पसंद करते हैं

भारतीय फैशन को विश्व मंच पर प्रसार मिलने और इसे प्रचारित किए जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इसे कई देशों में पसंद किया रहा है। वह भारतीय फैशन को सीमा से परे मानती हैं। वह पूरी दुनिया में अपनी संस्कृति का प्रचार करने की इच्छा रखती हैं। उन्होंने कहा, “दूसरे देशों के लोग हमारे कपड़ों को पसंद करते हैं, ये हैंडमेड और काफी खूबसूरत होते हैं। चाहे वह अमेरिका हो, यूरोप हो या जापान हो या कहीं की बात करें, वे हमारे कपड़े खरीदते हैं। हमारा स्टाइल, हमारा फैशन अपने तरीके से ड्रेसअप करते हैं। फैशन बहुत वैश्विक हो चुका है। आजकल इसकी कोई सीमा नहीं है यह सीमा से परे है। मैं अपने देश की संस्कृति और कलात्मकता को पूरी दुनिया में फैलाना चाहती हूं।”

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जितनी बढ़ेगी डिमांड, कारीगरों और बुनकरों  स्थिति बेहतर होगी

डिजाइनर ने कहा, “देश में जितनी ज्यादा कपड़ों की मांग होगी, उतना ही हमारे कारीगरों और बुनकरों के पास काम आएगा और उतनी ही उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।” अंजू मोदी अपने डिजाइनर परिधानों से मशहूर अभिनेत्रियों- दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा को सजा चुकी हैं। फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ परिधान डिजाइन का फिल्मफेयर पुरस्कार जीतने वाली डिजाइनर का कहना है कि हॉलीवुड में नैचुरल फाइबर के कपड़ों की मांग होने पर वह काम करना चाहेंगी।

ग्लैमर के पीछे नहीं भागे

उन्होंने कहा, “अगर कोई ऐसी फिल्म बनाना चाहता है, जिसकी नेचुरल फाइबर के साथ बने परिधान की डिमांड हो, तो जरूर करूंगी।”अंजू का मानना है कि फैशन की दुनिया में कड़ी मेहनत करने वालों के लिए ही जगह है। उन्होंने कहा, “यह कड़ी मेहनत वाला पेशा है। दिन-रात मेहनत करनी पड़ती है, दोगुना काम करना पड़ता है। रोजाना 48 घंटे तक काम करना पड़ता है। मगर एक बात जरूर कहना चाहूंगी कि जो लोग इस पेशे में आना चाहते हैं, वे जरूर आएं, लेकिन तकनीकी प्रशिक्षण लेकर आए और ग्लैमर के पीछे नहीं भागे। मेहनत और लगन के साथ काम करें।”

संघर्ष करने जैसा अहसास कभी नहीं हुआ

डिजाइनर ने बताया कि उन्हें कभी भी संघर्ष करने जैसा अनुभव नहीं हुआ। अंजू ने कहा, “मुझे कभी संघर्ष जैसा कुछ महसूस नहीं हुआ, हालांकि थोड़ा-बहुत संघर्ष तो होता ही है, लेकिन चूंकि हम अपने काम में मशगूल रहते हैं, जितना काम होता है उसे शिद्दत के साथ करते जाते हैं और जितनी सफलता मिलती है, उसी में खुश रहते हैं, तो ऐसे में संघर्ष करने जैसा अहसास कभी नहीं हुआ।”

24 गांवों में काम कर रही हूं

बनारस और चंदेरी के कारीगरों को रोजगार प्रदान करने में अपने योगदान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया, “मैं सबके साथ काम कर रही हूं। मैं 24 गांवों में काम कर रही हूं और उनके साथ कपड़े डेवलप करती हूं, परिधान तैयार करती हूं और तैयार करने के बाद बेचती हूं, जिससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।”डिजाइनर का मानना है कि मौजूदा फैशन परिदृश्य में बदलाव लाने में केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने काफी योगदान दिया है।

खादी कपड़ोंं को बना दिया फैशनेबल

उन्होंने कहा, “भारतीय फैशन में मौजूदा परिदृश्य में बदलाव लाने में हमारी कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने काफी योगदान दिया है। उन्होंने हैंडलूम, खादी के कपड़ों को फैशनेबल बना दिया है। मुझे लगता है कि हमारे फाइबर, कॉटन, खादी कपड़ों की इतनी ज्यादा मांग है कि ये प्रचलन में बन रहेंगे। इनकी मांग हमेशा बनी रहेगी।” अंजू मोदी फिल्म ‘गोलियों की रासलीला राम-लीला’ के परिधान डिजाइन के लिए बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन का पुरस्कार भी पा चुकी हैं।

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