मई माह में इन फसलों की ऐसे करे तैयारी
किसानों को अक्सर ही फसल से संबधित कई समस्याएं होती है उन्हें मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। हम आपके लिए खेती से संबधित जानकारियां लेकर आये है। मई का महीना खास खरीफ की फसलों का होता है। इसलिए किसानों को अभी से तैयारी शुरु देनी चाहिए। मई के शुरुआती समय जैसे 10 से 30 मई में अपने हिसाब से नर्सरी के लिए अपने क्षेत्र के हिसाब से किस्मों का चुनाव करें।
नीचे बैठे बीजों को अच्छे से करे साफ
जानकारों के मुताबिक 10 से 12 किग्रा बीज प्रति एकड़ को दस लीटर पानी जिसमें एक किग्रा नमक घुला हो डालकर, ऊपर तैरने वाले बीजों को फेंक दें और नीचे बैठे बीजों को साफ पानी में अच्छी तरह से धो लें, फिर ट्राइकोडर्मा से चार ग्राम प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित करना चाहिए। नर्सरी के जड़शोधन के लिए स्यूडोमोनास पांच मिली प्रति लीटी की दर से उपचारित करें। नर्सरी बुवाई से पहले खेत में 12-15 टन कम्पोस्ट डालकर दो-तीन बार जुताई करके मिट्टी में मिला दें, फिर पानी डालकर पडलर से गारा बना लें।
खेत में आधी बोरी यूरिया, एक बोरी सिंगल सुपर फास्फेट व दस किलो. जिंक सल्फेट डालकर सुहागा लगा दें। इससे खरपतवार भी नष्ट हो जाते हैं और पानी का रिसाव भी बहुत कम हो जाता है। इसके चार-पांच घंटे बाद दस गुणा दस फुट आकार की खेत में 400 क्यारियां बनाकर एक किग्रा. अंकुरित बीज प्रति क्यारी लगा दें और कम्पोस्ट छिड़ककर पतली तह बना दें ताकि पक्षी बीज न चुग जाएं। खेत को हल्की-हल्की सिंचाई करके नम रखें और दो हफ्ते बाद आधी बोरी यूरिया पूरे खेत में छिड़कें। बुवाई कें एक हफ्ते पहले या बाद 1.2 लीटर ब्यूटाक्लोर 70 प्रतिशत को 60 किग्रा. रेत में मिलाकर छिड़कें इससे नर्सरी में खरपतवार नष्ट हो जाएंगे।
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यदि खेत में सुत्रकृमि की समस्या है तो तीन-चार कार्बोफ्यूरान नर्सरी तैयार करते समय प्रति क्यारी डाल दें। यदि नर्सरी में पत्तों के ऊपरी हिस्से पीले पड़ जाए तो 0.5 प्रतिशत फेरस सल्फेट (500 ग्राम हरा थोथा 100 लीटर पानी में) का दो-तीन स्प्रे हफ्ते में अंतर पर करें। यदि पत्ते पीले होकर कत्थई रंग जैसे हो जाये तो 0.7 प्रतिशत जिंक सल्फेट (700 ग्राम जिंक सल्फेट 100 लीटर पानी में) का एक स्प्रे करें। मई में धूप बहुत तेज होती है और हल्की-हल्की सिंचाईयों से मिट्टी नम रखें। पानी भरा रहना नहीं चाहिए वरना पौध नष्ट हो जाता है। जून में 27-30 दिन और जुलाई में 60 दिन तक की पौध रोपी जा सकती है। खरीफ के मक्का की बुवाई मई मे बोया मक्का अगस्त में पक जाता है।
इस मात्रा में करे प्रयोग
मक्की के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी चाहिए। बुवाई के समय 10 टन कम्पोस्ट, आधा बारो यूरिया, तीन बोरे सिंगल सुपर फास्फेट, आधा बोरा म्यूरेट आफ पोटाश व 10 किग्रा. जिंक सल्फेट अन्य फसलों की तरह बीज के नीचे साइड में लाइनों में डालें। उन्नत किस्मों के आठ किग्रा. बीज को 24 ग्राम बाविस्टीन से उपचारित करके प्लांटर की सहायता से दो फुट दूर लाइनों में और 9 इंच पौधों में दूरी पर दो इंच गहरा लगाएं। खरपतवार नियंत्रण के लिए दो दिन के अन्दर 700 से 800 ग्राम एट्राजीन 70 डब्ल्युपी. 200 लीटर पानी में छिड़कें। मक्का के दो लाईनों के बीच सोयाबीन, मूंग या उड़द की एक लाइन भी लगा सकते हैं, जिसके लिए कोई विशेष क्रिया नहीं करनी पड़ती है इससे खरपतवार नियंत्रण बढ़िया हो जाता है और मुख्य फसल के साथ-साथ दाल की फसल प्राप्त कर आय में वृद्धि होती है।
नालियां बनाकर करे सिंचाई
इस महीनें कर सकते हैं ग्रीष्मकालीन मूंगफली की बुवाई सिंचित क्षेत्रों में मई के पहले सप्ताह तक बीज सकते हैं, इसके लिए मूंगफली-गेहूं फसल चक्र अपनाया जा सकता है, लेकिन एक ही जमीन पर हर बार मूंगफली न उगाएं इससे मिट्टी से कई बीमारियां पैदा हो जाती हैं। खरपतवार निकालने के लिए तीन सप्ताह बाद निराई-गुड़ाई करें और साथ में सिंचाई के लिए नालियां भी बना लें। यदि चेपा जो कि पौधों से रस चूसते हैं हमला करें तो 200 मिली. मैलाथियान 70 प्रतिशत को 200 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़के। बीमारियों से रोकथाम के लिए बीजोपचार ही सबसे सर्वोत्तम तरीका है। मूंग व उड़द की फसल में करें ये काम अप्रैल में बोई फसलों से एक माह बाद खरपतवार निकाल दें और 17 दिन के अन्तर पर सिंचाई करें ताकि फूल तथा फलियां लगने पर पानी की कमी ना हो व दाना मोटा पड़े।
मूंग व उड़द में सिप कीड़े के हमले में फूल गिर जाते हैं और फसल की गुणवत्ता व पैदावार कम हो जाती है। नियंत्रण के लिए फूल पड़ते ही 100 मिली. मैलाथियान 70 ईसी 100 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करें। जब दो तिहाई फलियां बन जाएं तो सिंचाई बंद कर दें। जब पत्ते गिरने लगें और 80 प्रतिशत फलियां पीली पड़ जाए तो फसल काट कर एक स्थान पर इकट्टा करके चार-पांच दिन बाद गहाई करें। दाने निकालने के बाद पौधों से कम्पोस्ट खाद बना सकते हैं। बीमारियों से बचाव के लिए रोगरोधक किस्में लगाएं और बीजोपचार जरूर करें।
बीमार पौधों को खेत से निकाल कर जला दें। सिंचित क्षेत्रों में करें अरहर की बुवाई फसल बहुत कम लागत में उगाई जा सकती है और तीन कुंतल से ज्यादा पैदावार देती है। सिंचित अवस्था में मई माह में लगा सकते हैं। बीज को राइजोबियम जैव खाद से जरूर उपचारित करें, इससे पैदावार में बहुत बढ़ोतरी होती है। अप्रैल में बोई फसल में 27 दिन बाद निराई-गुड़ाई कर दें और एक हल्की सी सिंचाई भी दे दें। इस समय लगा सकते हैं कई सब्जियों की नर्सरी मिर्च-मई माह के दूसरे हफ्ते में मिर्च की नर्सरी लगा सकते हैं। 400 ग्राम बीज एक एकड़ खेत में पौध रोपण को लिए काफी होता है। उन्नत किस्मों में पूसा ज्वाला व पूसा सदाबहार 80-100 कुंतल हरी मिर्च देती है। बीमारियों की रोकथाम के लिए 400 ग्राम बीज को एक ग्राम थिरम या केप्टान से उपचारित करें। मूली की पूसा चेतकी किस्में मई में बोई जा सकती है और 40 से 47 दिन में तैयार हो जाती है। टमाटर व बैंगन खड़ी फसल में सप्ताह में एक हल्की सिंचाई दें और एक बोरा यूरिया डालें। नई बाग लगाने की करें तैयारी नई बाग लगाने के लिए गढ्ढे अभी खोद दें ताकि धूप से कीड़ों और बीमारियों को नियंत्रण हो सके। महीने के आखिर में इन गड्ढों में आधा ऊपर वाली मिट्टी और आधी कम्पोस्ट में क्लोरपाइरीफास दवाई मिलाकर पूरी तरह से उपर तक भर दें। इन बातों का भी रखें खास ध्यान बीजोपचार में एक किग्रा. बीज के लिए दो-तीन ग्राम दवाई लगती है और एक एकड़ में सिर्फ 10-17 रुपए तक का ही खर्च आता है। सही दवाई व ढंग से किए गए बीजोपचार से फसल पर बीमारी नहीं लगेगी और दवाईयां छिड़कने पर खर्चा नहीं करना पड़ेगा।
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