Farmers Movement: किसानों ने सरकार का प्रस्ताव ठुकराया. दिल्ली कूच का एलान

कहा-सरकार लाठियां भांजेगी तो खाएंगे, गोले दागेंगे तो उसका भी सामना करेंगे.

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एमएसपी की कानूनी गारंटी पर रविवार को चंडीगढ़ में किसान नेताओं और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच चौथे दौर वार्ता बेनतीजा रही. केंद्र सरकार चार और फसलों पर एमएसपी देने को तैयार हो गई थी. केंद्र के इस प्रस्ताव पर किसान नेताओं ने कहा था कि वह सभी संगठनों से बात कर अंतिम फैसला बताएंगे. उधर, राजस्थान के ग्रामीण किसान मजदूर समिति के मीडिया प्रभारी रणजीत राजू ने बताया कि सरकार के प्रस्ताव पर किसानों की सहमति नहीं बन सकी. सभी फोरमों में बात करने के बाद अब किसान नेताओं ने फैसला लिया है कि 21 फरवरी को दिल्ली के लिए कूच करेंगे. किसान नेताओं ने कहा कि सरकार लाठियां भांजेगी तो खाएंगे, गोले दागेंगे तो उसका भी सामना करेंगे. सरकार अपने प्रस्ताव के जरिए सिर्फ हरियाणा, पंजाब के किसानों को देख रही है. जबकि आंदोलन देशभर के किसानों की विभिन्न फसलों के लिए है.

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हमें आराम से जाने दे या फैसला ले सरकार

किसान नेता पंढेर ने कहा कि सभी किसान संगठनों को भी आंदोलन में निमंत्रण है. किसान नेताओं ने कहा कि हमें आराम से दिल्ली जाने दे या फिर हमारी मांगों पर फैसला लें. किसान नेताओं ने 21 फरवरी को दिल्ली कूच का एलान कर दिया है. उन्होंने किसानों की अन्य मांगों पर भी सरकार से जवाब मांगा है. साथ ही कहा कि हम बैठक में पहले पहुंच जाते हैं और सरकार के नुमाइंदे तीन-तीन घंटे देरी से आ रहे हैं. इसी से उनकी गंभीरता दिखाई दे जाती है. सरकार 23 फसलों पर एमएसपी की गारंटी अभी दे और बाद में जो फसलें बचेंगी उनपर भी अध्ययन कर गारंटी दे.

किसानों ने कहा-सरकार की नीयत में है खोट

किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने बताया कि किसानों ने प्रस्ताव को रद्द कर दिया है. सरकार की नियत में खोट है. किसान नेताओं ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं. वहीं दूसरी ओर हरियाणा में एक दिन और इंटरनेट पर पाबंदी बढ़ा दी गई है. शंभू बॉर्डर पर प्रेस वार्ता में किसान नेता डल्लेवाल ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव में स्पष्टता नहीं है. सरकार धान धान पर एमएसपी देने के लिए राजी हुई, मगर पैदावार अपने हिसाब से कराना चाहती है. यह किसानों को मंजूर नहीं है. किसान नेता जय सिंह जलबेड़ा ने भी इसकी पुष्टि की है. किसानों ने सरकार को 20 फरवरी तक का अल्टीमेटम दिया है और तिलहन, बाजरा को भी शामिल करने की मांग की है.

हरियाणा भी आंदोलन में शामिल होगा

भाकियू चढ़ूनी के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि 21 फरवरी तक का समय है. सरकार को सोचना और समझना चाहिए कि तिलहन और बाजरा खरीद के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने दालों, मक्का और कपास का उल्लेख किया और कहाकि इन दोनों फसलों को भी शामिल करना चाहिए. अगर इन दोनों को शामिल नहीं किया गया तो हमें इस बारे में फिर से सोचना होगा. हमने फैसला लिया है कि अगर 21 फरवरी तक सरकार नहीं मानी तो हरियाणा भी आंदोलन में शामिल होगा. उन्होंने कहाकि आंदोलनरत किसानों के साथ सरकार की वार्ता में हरियाणा के मुख्यमंत्री भी शामिल हों. उनके शामिल न होने पर हरियाणा के किसानों की मांगों की अनदेखी की आशंका हो रही है. चढूनी ने कहा कि जब पंजाब के मुख्यमंत्री वार्ता में शामिल हैं तो हरियाणा के मुख्यमंत्री क्यों नहीं? हरियाणा के किसानों की भी मांगें पंजाब की तर्ज पर पूरी हों, अन्यथा यहां के किसान भी पीछे नहीं रहेंगे. किसानों ने पहले ही एक दिन टोल फ्री और दूसरी बार ट्रैक्टर मार्च निकालकर अपनी ताकत का प्रदर्शन कर दिया है. रविवार को ब्रह्मसरोवर पर बैठक कर रणनीति बनाई गई और कहा गया कि अब हरियाणा के किसानों के हितों की अनदेखी हुई तो तत्काल आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा. अभी 21 फरवरी तक इंतजार किया जाएगा.

सरकार 23 फसलों पर एमएसपी की लीगल गारंटी दे

मीडिया से बातचीत में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बताया कि दोनों फोरम में चर्चा के बाद ये फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से आए मंत्री ने कहा था कि अगर सरकार दालों पर एमएसपी देती है तो 1.5 लाख करोड़ का बोझ़ पड़ेगा. जबकि कृषि विशेषज्ञ का कहना है कि सभी फसलों पर एमएसपी देने पर 1 लाख 75 हजार करोड़ से काम चल सकता है. इतनी राशि का सरकार पाम ऑयल आयात करती है. सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि हमने प्रस्ताव को समझने के लिए इसलिए समय लिया था. क्योंकि कोई यह न कहे कि हमने सरकार की बात नहीं सुनी. मुझे लगता है कि सरकार की नीयत ठीक नहीं है. हमारी मांग है कि सरकार 23 फसलों पर एमएसपी की लीगल गारंटी दे. इसके अलावा सरकार ये भी बताए कि कर्ज माफी पर क्या सोचा है. सरकार आंदोलन को लेकर गंभीर नहीं है. बैठकों में सरकारी नुमाइंदों का लेट आना इस बात का सबूत है.

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