Elvish Yadav Case: जानें रेव पार्टियां कैसे बन गईं नशे का कारोबार..?
बिग बॉस के विजेता एल्विश यादव पर रेव पार्टियों में सांपो का जहर सप्लाई करने के आरोप के बाद बीते शनिवार को कोटा पुलिस ने एल्विश यादव को गिरफ्तार किया था, हालांकि, नोएडा पुलिस से बातचीत के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. लेकिन राजस्थान पुलिस ने इसके बाद नोएडा पुलिस को भी सूचित किया. डीजीपी उमेश मिश्रा ने बताया कि पूछताछ के बाद एल्विश को कोटा ग्रामीण पुलिस ने छोड़ दिया है. यादव को पुलिस ने उनके मुकदमे में शामिल होने से इनकार करते हुए छोड़ दिया.
हालांकि, यह कोई पहला मामला नहीं है जिसमें रेव पार्टियों में होने वाले नशे के कारोबार को लेकर चर्चा हुई है. एल्विश मामले से पहले साल 2021 में शाहरूख खान के बेटे आर्यन को भी रेव पार्टी में नशे को लेकर हिरासत में लिया गया था. हालांकि, इस मामले में वे निर्दोष साबित हुए. लेकिन इन पार्टियों में बार-बार बड़े नामों के शामिल होने से इनकी चर्चा तेज हो जाती है. इनकी लोकप्रियता समय के साथ बढ़ती ही जा रही है, जो बड़े शहरों के अलावा छोटे शहरों को भी नियंत्रित कर रहा है. ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है क्या होती है रेव पार्टियां और किस तरह से रेव पार्टियां नशे का कारोबार बन गयी है. आइए जानते है…..
क्या होती है रेव पार्टी ?
रेव पार्टियां दुनिया भर में बहुत लोकप्रिय है, इन पार्टियों में ज्यादातर अमीर लोग हैं. इन पार्टियों में जाने के लिए इतना ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता है, यही कारण है कि, आम लोग इन पार्टियों में जाने की सोच भी नहीं सकते. इसके अलावा, ये पार्टियां आम पार्टियों से बहुत अलग होती है. इन पार्टियों में शामिल होने वाले युवा उन नशों को करते है जो दुनिया भर में बैन है, यही कारण है कि, हमारे भारत में रेव पार्टियों पर बैन लगाया गया है. लेकिन इसके बाद भी कुछ लोग पैसे के लालच में ऐसी पार्टियां करते है और एल्विश यादव पर ऐसी ही पार्टियों में स्नेक बाइट देने का आरोप लगाया गया है.
नशे का कारोबार बनी रेव पार्टियां …
नशीले पदार्थों जैसे ड्रग्स को इन रेव पार्टियों में बढ़ती युवा आबादी को देखते हुए, वे धीरे-धीरे नशे का ट्रेंड मार्क बन गए. यही कारण है कि वे बदनाम हैं. रेव पार्टियों की बढ़ती लोकप्रियता ने विश्व भर में गुप्त रूप से पार्टियां बनाने लगी.
बाहरी देशों की तरह भारत में भी रेव पार्टी का प्रचलन तेजी से फैल रहा है, हालांकि, भारत में इन पार्टियों का केन्द्र गोवा माना गया है. यहां पर समुद्र तट पर विदेशियों के लिए रेव पार्टियों के लिए एक अच्छा स्थान होता है, जहां इन पार्टियों को खुले मैदान में आयोजित किया जाने लगा. रेव पार्टियों में बेहद तेज संगीत के शोर और आसानी से उपलब्ध नशे ने रईस परिवारों के युवा लोगों को आकर्षित करता है.
इसके बाद में ये पार्टियां मुंबई, दिल्ली और बैंगलोर जैसे बड़े शहरों में भी फैल गईं, लेकिन अब वे देश के छोटे शहरों को भी जीत रहे हैं. हालांकि, भारत में इस तरह की रेव पार्टियां बैन है, जहां अवैध तरीके के नशे कराए जाते है. अगर कोई इस तरह की पार्टी में जाता है या इसे आयोजित करता है, तो पकड़े जाने पर सजा का भी प्रावधान है. यही कारण है कि इस तरह की पार्टियों पर नारकोटिक्स विभाग अक्सर छापेमारी करता है.
रेव पार्टियों का ये है इतिहास …
1990 के दशक के आखिरी में कई समुदायों ने रेव पार्टियों में बढ़ते ड्रग्स के इस्तेमाल पर रोक लगाने की कोशिश की गयी थी. कई शहरों में रेव व्यवसाय को नियंत्रित करने के लिए अध्यादेश पारित किए गए, जबकि कुछ शहरों में मौजूदा कानून लागू करने की शुरूआत की गयी है. इसके बाद अधिकारियों को इस तरह की पार्टियों पर अधिक सावधानी से निगरानी करने में आसानी हुई।
इन पार्टियों को रोकने के लिए शिकागो, डेनवर, गेन्सविले, हार्टफोर्ड, मिल्वौकी और न्यूयॉर्क में कई प्रयास किए गए। जिनमें अग्नि संहिता, स्वास्थ्य और सुरक्षा अध्यादेश, शराब कानून, किशोर कर्फ्यू और बड़े सार्वजनिक समारोहों के लिए लाइसेंस आवश्यक हैं.कई समुदायों ने रेव प्रमोटरों को प्रमोटरों के खर्च पर रेव पार्टियों के आयोजनों के लिए ऑनसाइट एम्बुलेंस और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं और वर्दीधारी पुलिस सुरक्षा को बनाए रखने की आवश्यकता शुरू कर दी.
हालांकि, इन सब में सबसे सफल रेव विरोधी अभियान “ऑपरेशन रेव रिव्यू” को बताया गया है. इसे जनवरी 2000 में न्यू ऑरलियन्स में शुरू किया गया था, 1998 में एक रेव पार्टी में 17 वर्षीय लड़की ने ओवरडोज से मर गई. जिसके बाद में ड्रग एन्फोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (DEA) ने न्यू ऑरलियन्स क्षेत्र में रेव पार्टियों की जांच शुरू की गयी, जिसमें पाया गया कि दो साल में न्यू ऑरलियन्स स्टेट पैलेस थिएटर में 52 रेव पार्टियां हुईं। इस दौरान लगभग चार सौ किशोरों ने अधिक मात्रा में शराब पी ली, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा.
न्यू ऑरलियन्स पुलिस और अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय ने रेव पार्टियों में नशीले पदार्थों की बिना रोक टोक बिक्री पर रोक लगा दी और रेव पार्टियों में नशीले पदार्थों की बिक्री करने वालों पर निगरानी रखना शुरू किया. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर इस ऑपरेशन को समाप्त कर दिया गया.
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भारत की इन रेव पार्टियों पर पड़े छापे
– साल 2009 में मुंबई पुलिस ने मुंबई के जुहू इलाके में बॉम्बे 72 क्लब में छापा मारी की गयी थी. इस छापेमारी में पुलिस ने 246 युवाओं को हिरासत में लिया था, इसके साथ जब हिरासत में लिए गए लोगों के खून की जांच की गयी तो ड्रग्स की पुष्टी हुई थी.
– साल 2011 में सोलापुर में भी पुलिस ने एक रेव पार्टी पर छापा मारा था. एंटी-नारकोटिक्स सेल के अधिकारी अनिल जाधव भी इस मामले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. साथ ही, पार्टी में गिरफ्तार किए गए 275 लोगों के खून की जांच में ड्रग्स लेने की पुष्टि हुई.
– साल 2019 में जुहू के ऑकवुड होटल में भी छापेमारी हुई, जिसमें 96 लोग गिरफ्तार किये गए थे. इसी साल बेंगलुरु में पुलिस ने 150 लोगों को ऐसी पार्टी करते हुए गिरफ्तार किया था जहां अवैध गतिविधियां की जा रही थीं. इस पार्टी में 50 विदेशी नागरिक भी शामिल थे.
– साल 2019 में ही दिल्ली में एक रेव पार्टी पर छापेमारी हुई, जिसमें 600 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें नाबालिग लड़के लड़कियां भी शामिल थीं. इस पार्टी से भी विदेशी शराब और संदिग्ध सामान बरामद हुए.
– साल 2020 में भी जुहू, मुंबई में एक क्रूज ने रेव पार्टी पर छापा मारा था. जिसमें शाहरुख खान के बेटे भी गिरफ्तार किया गया था. जबकि कुछ लोगों को बाद में बेगुनाह घोषित किया गया.
भारत में क्यों बैन है रेव पार्टियां ?
भारत में अवैध नशे के लिए रेव पार्टियां बैन हैं, पकड़े जाने पर भी सजा दी जाती है. अगर कोई ऐसी पार्टी में जाता है या इसे आयोजित करता है. यही कारण है कि नार्कोटिक्स विभाग इस तरह की पार्टियों पर अक्सर छापे मारी करता रहता है.