Election Result 2023: पार्टी में जश्न, जनता में दर्द….

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Election 2023: देश के पांच राज्यों में संपन्न विधानसभा चुनाव के बाद चार राज्यों की मतगणना जारी है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनाव परिणाम फाइनल होने के बाद किस पार्टी की सरकार बनेगी भले ही यह तय हो जाएगा लेकिन तैयारी है कि लंबे समय से जनता का दर्द बढ़ेगा ही. इन सभी राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में अगर सबसे बड़े राज्य की बात करें तो मध्य प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है इसलिए फिलहाल हम मध्य प्रदेश की ही बात कर रहे हैं।

जनता पर तीन गुना कर्ज

आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में सर्वे के अनुसार पता चला है कि यहां की जनता का कर्ज 6 साल में तीन गुना बढ़ गया। सितंबर 2023 तक यह आंकड़ा ₹40000 प्रति व्यक्ति था जो 6 साल में करीब तीन गुना बढ़ गया. मार्च 2016 में आंकड़ा 13000 हुआ करता था.

इसी बीच 2023 अप्रैल से सितंबर के बीच शिवराज सरकार ने 9000 करोड रुपए कर्ज लिए, 2018 के चुनाव से पहले भी अप्रैल और सितंबर के बीच राज्य सरकार ने 7000 करोड रुपए का कर्ज लिया था।

आपको बता देंगे विधानसभा चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश सरकार की ओर से तीन बड़ी घोषणाओं पर ही 3000 करोड रुपए महीने का खर्च आने का अनुमान है, जिसमें लाडली बहन योजना पर ही 1500 करोड़ रुपए मासिक खर्च होंगे जबकि गेस्ट टीचर का पैसा बढ़ाने और 450 रुपए में गैस सिलेंडर की गुहार पर 920 करोड़ प्रतिमा खर्च होंगे. इससे राज्य सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ेगा.

रेवड़ी बटेगी मजदूरी नहीं मिलेगी

जहां मुक्त सुविधा या रियायत देने पर सरकार ने बड़ी रकम खर्च कर दी वहीं मजदूरी देने के मामले मध्य प्रदेश सरकार सबसे पीछे है. अगर मजदूरी देने के मामले में मध्य प्रदेश की बात की जाए तो रिजर्व बैंक आफ इंडिया के आंकड़े के मुताबिक देश में सबसे कम मजदूरी मध्य प्रदेश में ही दी जाती है. खेतिहर मजदूरी करने वाले मजदूरों को 229 रुपए मजदूरी दी जाती है.

वही रेटिंग फर्म क्रिस्टल की ताजा गणना के मुताबिक शाकाहारी थाली की कीमत मध्य प्रदेश में 28 रुपए प्रति जब कि मांसाहारी थाली कीमत 62 रुपए के करीब आती है इस हिसाब से पांच शाकाहारी लोगों के एक परिवार को खाने के लिए महीने में काम से कम 8400 चाहिए और मध्य प्रदेश में एक व्यक्ति की आई मासिक 5730 है तब सवाल या उठना है कि ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश सरकार कैसे एक आम परिवार का भरण पोषण कर सकती है.

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मध्य प्रदेश में जनता में दर्द ही दर्द-

मध्य प्रदेश में सामाजिक और आर्थिक रूप से लोगों की प्रगति का आंकड़ा भी उत्साहजनक नहीं है. वर्ष 2015-16 में मध्य प्रदेश के 64 प्रतिशत लड़कियां महिलाएं स्कूल जाती थी. 2019 और 21 में आंकड़ा केवल ढाई प्रतिशत बढ़कर 67.5 फ़ीसदी पर पहुंचा. वही ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में मध्य प्रदेश 1990 में 30 राज्यों में 26 में स्थान पर था जो 2021 में खिसक कर 27 में पर आ गया है.

मध्य प्रदेश का आर्थिक मोर्चे पर भी बुरा हाल है प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद के मामले में 1993 94 में मध्य प्रदेश 27 में से 19 नंबर पर था जो अब दो पायदान नीचे पहुंच गया.

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