…तो शिवपाल के लिए अब ‘दिल्ली’ दूर नहीं

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समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश (akhilesh) यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव में छत्तीस का आंकड़ा पिछले लंबे समय से रहा है लेकिन अब उस दूरी को कमतर करने की कोशिशें दोनों तरफ से हुई हैं। हालिया राज्यसभा चुनाव में जिस तरह पार्टी लाइन के मुताबिक शिवपाल सिंह यादव और उनके समर्थक विधायकों ने वोट किया उससे तो यही जाहिर होता है कि परिवार में लंबे समय तक रहा दरार अब खत्म हो रहा है।

शिवपाल अखिलेश के बगल में मुस्कुराते नजर आए

बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव के वक्त शिवपाल सिंह यादव और अन्य विधायकों ने नेताजी के इशारे पर एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के पक्ष में मतदान किया था लेकिन इस बार राज्यसभा चुनाव में ऐसा नहीं हुआ। अखिलेश और शिवपाल गुट में नजदीकियां हाल के दिनों में बढ़ी हैं। इसकी बानगी राज्यसभा चुनाव से पहले आयोजित डिनर पार्टी में भी दिखी जब शिवपाल अखिलेश के बगल में मुस्कुराते नजर आए।

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उससे पहले कहा जा रहा था कि शिवपाल डिनर में शामिल नहीं होंगे, वो सैफई जा चुके हैं लेकिन सभी आशंकाओं को दूर करते हुए शिवपाल सिंह यादव ने नए संकेत दिए। इसके अलावा उन्होंने ट्वीट भी किया, ऊर्जा, उम्मीद और अनुभव से भरे समाजवादी धारा के साथियों के साथ रात्रि भोज! एचटी मीडिया के मुताबिक शिवपाल अगले साल लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं।

डिंपल यादव अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी

सूत्रों के हवाले से चाचा-भतीजा (शिवपाल-अखिलेश) के बीच सत्ता संघर्ष को दूर करने का यह बेहतर फार्मूला है। यानी अखिलेश लखनऊ में तो शिवपाल दिल्ली में राजनीति के केंद्र में होंगे।बता दें कि अखिलेश यादव पहले ही एलान कर चुके हैं कि उनकी पत्नी डिंपल यादव अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। ऐेसे में माना जा रहा है कि डिंपल की सीट यानी कन्नौज लोकसभा सीट से शिवपाल यादव को उतारा जा सकता है। कन्नौज सीट भी सपा परिवार के लिए सुरक्षित रहा है।

मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से ही चुनाव लड़ेंगे

यानी सुरक्षित तरीके से चाचा को संसद में लैंड करने की तैयारी अखिलेश ने कर ली है। हालांकि, शिवपाल के लिए संसद एकदम नया होगा क्योंकि वो अभी तक जसवंत नगर विधानसभा से लेकर लखनऊ और सैफई तक ही ज्यादा सक्रिय रहे हैं। अखिलेश यह भी ऐलान कर चुके हैं कि उनके पिताजी यानी मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से ही चुनाव लड़ेंगे। पिछली बार मुलायम सिंह ने आजमगढ़ से भी चुनाव जीता था। बाद में उनके पोते तेज प्रताप सिंह वहां से सांसद चुने गए।

जनसत्ता

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