हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार के खिलाफ उतरे धीरेंद्र शास्त्री, आज से शुरू करेंगे 160 किमी. की पदयात्रा…
अपने सत्संग में खुलकर सनातन का समर्थन करने वाले बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री अब हिंदुओं के खिलाफ देश दुनिया में हो रहे अत्याचार के खिलाफ सड़क पर उतर आए हैं. इसके खिलाफ 160 किमी की लम्बी यात्रा उन्होंने आज से शुरू कर दी है. . यह पदयात्रा बागेश्वर धाम से लेकर ओरछा तक आयोजित की जाएगी. धीरेंद्र शास्त्री की इस पदयात्रा में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में भक्त बागेश्वर धाम पहुंचे हैं. वहीं बीती रात धीरेंद्र शास्त्री ने अपने भक्तों को संबोधित किया और मीडिया से बातचीत की. कहा कि, ”हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहा है और इसे रोकने के लिए सड़क पर उतरने की आवश्यकता है.”
यात्रा में उनका साथ देने वाले लोगों को लेकर उन्होंने कहा कि, ”यह बजरंगबली के भक्तों की भक्ति का उबाल है. यह हिन्दू जागृति का उबाल है और हमें बजरंगबली की कृपा पर भरोसा है. आज हमें हिंदुओं पर भी भरोसा बढ़ रहा है. जब वह एक आवाज पर एक दिन धर्म विरोधियों के खिलाफ सड़कों पर उतर जाएंगे, तो उसी दिन इस देश में हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचार थम जाएंगे.”
फ्लैशलाइट जलाकर भक्तों ने किया समर्थन
हिन्दू अत्याचार के खिलाफ पदयात्रा को शुरू करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि, “हजारों की भीड़ और फ्लैशलाइट आपको क्या बता रही है. बागेश्वर में यह जगे हुए भारत के 2024 के जगे हुए हिंदू हैं. अब वह हिंदू नहीं बचे हैं कि तुम हमें थप्पड़ मारोगे और यह भाग जाएंगे. यह वह हिंदू हैं जिन्हें छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं. यह हिंदू हिंसावादी नहीं अहिंसावादी है क्योंकि उनके हाथ में तलवार नहीं है, विचार की तलवार है.
हम इन हिंदुओं के हाथों में सच्चाई की किताब देना चाहते हैं. इन हिंदुओं के हाथों में रामायण और गीता देना चाहते हैं. इन हिंदुओं के हाथों में हम तर्क वादी सोच देना चाहते हैं. इन हिंदुओं के हाथों में हम हक के लिए लड़ने का अधिकार देना चाहते हैं. हम चाहते हैं हिंदू हक की बात बोंले. संविधान की बात बोलें, देश की एकता की बात बोंले. इनको कोई छेड़े तो यह किसी को छोड़े नहीं.”
आप कहते हो- करो या मरो की बारी है, भारत पर संकट भारी है ?
अब इससे बड़ा संकट क्या हो सकता है कि हमारे ही देश में रहकर हमारे ही मंदिरों पर कब्जा हो. राम के राज्य में राम का खाते हैं फिर भी राम के होने का सबूत मांगते हैं. अपने ही राम जिनको मानने के लिए हमारे दादा परदादा को शबरी ने बेर खिलाए, निषाद राज ने मित्रता की, वाल्मीकि ने रामायण लिखी, तुलसीदास ने रामायण लिखी. इतने के बावजूद भी देश में राम मंदिर के लिए हमें 500 सालों तक लड़ना पड़ा. जहां शंकर जी बैठे हैं इनके बाबर आए.
बाबर के जमाने में और अकबर के जमाने में इन लोगों ने काशी विश्वनाथ में मंदिर को मस्जिद बता दिया. भगवान कृष्ण जहां प्रकट हुए वहां मस्जिद बना दी. उन्होंने जगह-जगह पर देश पर हक जताया. हिंदू समाज से कह रहे हैं करो या मरो की बारी है, भारत पर संकट भारी है. कल के दिन यह बागेश्वर धाम में मजार बना ले तो हम तो मर ही जाएंगे. इसलिए हम हिंदुओं को एक होने के लिए जात-पात को मिटाने के लिए ये कर रहे हैं.
”जाति-पाति को मिटाना है यही हमनें प्रण ठाना है”
धीरेंद्र शास्त्री ने इस यात्रा के पीछे के उद्देश्य का जिक्र करते हुए कहा है कि, ” यह यात्रा में आई भीड़ नहीं है. हमारे परिवार के सदस्य हैं. यह मेला तो बागेश्वर धाम पर रोज लगता है. शनिवार और मंगलवार को आओगे तो कहोगे बड़ा पागलपन है यहां. इतने तो भूत ही वाले मिलेंगे. जातियों में बंटेंगे तो निश्चित रूप से कटेंगे इसलिए तो प्रण लिया है कि हिंदुओं को एक करेंगे. जाति-पाति को मिटाना है यही हमनें प्रण ठाना है.”
9 दिन में पूरी करेंगे 160 किमी की यात्रा
धीरेंद्र शास्त्री आज (21 नवंबर) से ‘हिंदू एकता’ के लिए पदयात्रा शुरू कर रहे हैं, जो 29 नवंबर तक चलेगी. वह नौ दिनों में बागेश्वर धाम से ओरछा तक 160 किमी पैदल चलेंगे. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि वे ये पदयात्रा हिंदुओं को एकजुट करने और सनातन धर्म का प्रचार करने के लिए कर रहे हैं. बाबा बागेश्वर के साथ हजारों अनुयायी भी इस यात्रा पर चलेंगे. इस दौरान वह हर दिन 20 किलोमीटर पैदल चलेंगे.