धारा 3 A को हटाकर दिल्ली सेवा बिल बना कानून, जानिए क्या है धारा 3 A ?

0

दिल्ली की आप सरकार को विपक्ष को INDIA ने भी निराश कर दिया। NDA के आगे INDIA ने घुटने टेक दिए। संसद में दिल्ली सेवा बिल काफी हंगामे के बीच आज पारित हो गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद दिल्ली सेवा बिल अब कानून बन गया। राष्ट्रपति ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक पर  हस्ताक्षर किए गए। जिसके बाद ये सभी कानून बन गए हैं। विपक्ष लगातार सरकार द्वारा दिल्ली सेवा बिल के पारित होने पर नाराजगी जता रहा है। हालांकि दिल्ली सेवा बिल में धारा 3A को हटा दिया गया है। आईए जानते हैं कि इस बिल में धारा 3A क्या है और इसको हटाने के बाद दिल्ली मे क्या बदलवा होंगे।

दिल्ली सेवा बिल बना कानून

लोकसभा में दिल्ली सेवा बिल पास होने के बाद आज शनिवार को राज्यसभा में भी दिल्ली सेवा बिल पारित हो गया। जबकि दिल्ली सेवा बिल के पक्ष में 131 सांसदों ने वोट दिया था जबकि विरोध में केवल 102 ही वोट आए थे। इसके बाद भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर करते ही दिल्ली सेवा बिल अब कानून बन चुका है। इसी के साथ दिल्ली सरकार से अफसरों के तबादले और पोस्टिंग पर नियंत्रण का अधिकार छिन गया। अब दिल्ली की आप सरकार फिर से बिना शक्तियों वाली लाचार सरकार ही बनी रहेगी। अब दिल्ली की बागडोर केंद्र के पास ही रहेगी।

बिल पर 8 साल तक चली खींचातानी

संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली सेवा बिल सहित तीन संशोधित बिल पेश हुए थे। तीनों ही बिल आज कानून बन गए। बिल पेश करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने सरकार के प्रस्तावित कानून का बचाव किया था। दरअसल, केंद्र और अरविंद केजरीवाल सरकार के बीच आठ साल तक चली खींचतान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि चुनी हुई सरकार का ही दिल्ली में अफसरों की पोस्टिंग और तबादले पर नियंत्रण होगा। मगर अमित शाह का दिल्ली सेवा बिल राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों को नियंत्रित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खारिज कर देता है।

अमित शाह ने  कहा, “यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संदर्भित करता है जो कहता है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है। संविधान में ऐसे प्रावधान हैं, जो केंद्र को दिल्ली के लिए कानून बनाने की अनुमति देते है।”

बिल से हटी धारा 3A 

बता दें कि राष्ट्रपति से मुहर लगने के बाद दिल्ली सेवा बिल कानून बन गया। इस विधेयक में धारा 3A को हटा दिया गया है। धारा 3A अध्यादेश में थी। ये धारा कहती थी कि सर्विसेस पर दिल्ली विधानसभा का कोई नियंत्रण नहीं है। ये धारा उपराज्यपाल को ज्यादा अधिकार देती थी।

उपराज्यपाल के पास होगी ट्रांसफर की पावर

दिल्ली सेवा बिल में एक प्रावधान नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी के गठन से जुड़ा है। ये अथॉरिटी अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग और नियंत्रण से जुड़े फैसले लेगी। बात दें कि इस अथॉरिटी के चेयरमैन मुख्यमंत्री होंगे। उनके अलावा इसमें मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (गृह) भी होंगे। ये अथॉरिटी जमीन, पुलिस और पब्लिक ऑर्डरर को छोड़कर बाकी मामलों से जुड़े अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग की सिफारिश करेगी। ये सिफारिश उपराज्यपाल को की जाएगी। इतना ही नहीं, अगर किसी अफसर के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी है तो उसकी सिफारिश भी ये अथॉरिटी ही करेगी। अथॉरिटी के सिफारिश पर आखिरी फैसला उपराज्यपाल का होगा।

 

Also Read : नाइट आउट पर गई थी बेटी, लौटी तो पिता ने की हत्या, बाइक से घसीटा शव

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More