Delhi: ज्योतिराजदित्य सिंधिया की माता जी का निधन, अस्पताल में ली अंतिम सांस
Delhi: बुधवार की सुबह राजनीति जगत के लिए दुखद खबर लेकर आयी है, जिसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां माधवी राजे सिंधिया का निधन हो गया है. उन्होने दिल्ली के एम्स अस्पताल में सुबह साढे नौ बजे अपनी अंतिम सांस ली . आपको बता दें कि, सिंधिया परिवार की राजमाता को बीते कुछ दिन पहले एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी गंभीर हालत को देखते हुए वेटिंलेटर पर रखा गया था. बीते तीन महीने से उनका इलाज एम्स में चल रहा था, वे निमोनिया के अलावा सेप्सिस बीमारी से ग्रसित थी. देश में तीसरे चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले उनकी तबियत बिगड़ी थी जिसके बाद सिंधिया परिवार ने उनके उपचार के लिए उन्हे दिल्ली एम्स में भर्ती कराया था.
आपको बता दें कि, माधवी राजे सिंधिया का पिछले कुछ महीनों से दिल्ली के एम्स अस्पताल में इलाज चल रहा था, वही इलाज के दौरान उनकी हालत क्रिटिकल स्टेज पर पहुंच गयी थी, जिसके बाद गुना संसदीय क्षेत्र के बीजेपी उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी राजे और बेटे महाआर्यमन सिंधिया चुनाव प्रचार को बीच में ही छोड़कर उनके पास आना पड़ा था. पिछले एक महीने से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उनकी पत्नी और बेटा गुना-अशोकनगर और शिवपुरी में चुनावी प्रचार कर रहे थे. केंद्रीय मंत्री की मां माधवी राजे सिंधिया की तबीयत में उतार – चढाव जारी था.
कौन थी माधवी राजे सिंधिया ?
माधवी राजे सिंधिया मूलतः नेपाल की रहने वाली थी, उनके पिता जुद्ध शमशेर बहादुर नेपाल के पीएम थे औऱ राणा वंश के मुखिया भी थे. साल 1966 में उनका विवाह माधवराव सिंधिया के साथ किया गया था. शादी के पश्चात बाद मराठी परंपरा के अनुसार, नेपाल की राजकुमारी का नाम बदल दिया गया था, जिसके बाद उनका नाम किरण राजलक्ष्मी से बदलकर माधवीराजे कर दिया गया था. आपको बता दें कि, ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने माधवी और माधवराव को शादी की कराई थी.
एक लम्बे राजनीति कैरियर के बाद 30 सितंबर 2001 को माधवी राजे के पति माधवराव सिंधिया का निधन हो गया. वह इसके बाद बहुत टूट गई थीं, लेकिन बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया और बहू प्रियदर्शनी राजे सिंधिया ने उनका मार्गदर्शन किया करती थी, ज्योतिरादित्य हमेशा अपनी मां से सलाह लेकर निर्णय लेते थे. साल 2020 में भी जब सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने का फैसला किया था तो, उस समय पूरे परिवार उनके साथ था. उनके बेटे और पत्नी लेकिन अगर सबसे ज्यादा सपोर्ट उनकी मां माधवी राजे सिंधिया ने किया था.
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बेटे के लिए छोड़ दी राजनीतिक विरासत
माधवराव सिंधिया के निधन के बाद भी माधवी राजे के राजनीति में आने की चर्चा हुई थी, माना जा रहा था कि, साल 2004 के आम चुनाव में वह ग्वालियर से चुनाव लड़ सकती है. उस समय माधवराव के अचानक निधन से लोग भावुक थे, इसलिए गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया और ग्वालियर से माधवी राजे चुनाव में होंगे. लेकिन माधवी राजे ने खुद को राजनीति से दूर रखा और साथ ही पति माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया को राजनीतिक विरासत सौंप दी.