Dastan-e-Uttar Pradesh: इन ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा उत्तर प्रदेश…

0

”किया तबाह तो दिल्ली ने भी बहुत ‘बिस्मिल’
मगर ख़ुदा की क़सम लखनऊ ने लूट लिया ”

Dastan-e-Uttar Pradesh: बिस्मिल सईदी की यह शायरी कहता 4000 हजार सालों की अच्छी, बुरी यादें समेटे मैं हूं उत्तर प्रदेश ….. किसी ने खंडला तो किसी ने पन्नों में दबा दिया लेकिन जो मेरे अंदर रचा बसा है वो मैं आज कहने जा रहा है और शायद यह सही समय है अपने इतिहास के पन्नों को एक बार फिर से पलटने का क्योंकि जिस काल से मेरा अस्तित्व बना एक बार मैं फिर उसी कालक्रम का साक्षी बन पाया हूं. यह सब शायद आपको समझ न आ रहा हो क्यों कभी किसी ने इस इतिहास के पन्नों को पलटा ही नहीं …लेकिन आज मैं अपने अस्तित्व का पहला पन्ने के साथ आपको सुनाने जा रहा हूं अपने अस्तित्व में आने के काल से अब तक की कथा …..

उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि पर लिखी गयी ये कथाएं

आज और हमेशा से ही उत्तर प्रदेश भौगोलिक तौर पर भारत का सबसे बड़े राज्यो में से एक रहा है, वही इसके साथ ही उत्तर प्रदेश हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र रहा है, प्रदेश के आकर्षण का काफी ज्यादा श्रेय इसकी भौगोलिक स्थिति को जाता है. इस राज्य का अधिकांश हिस्सा अन्य राज्यों की तुलना में पूरे उत्तरी भारत के इतिहास का केंद्र रहा है क्योंकि यह भारत के मध्य में दो पवित्र नदियों, गंगा और यमुना के मैदान पर स्थित है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गरिमा को बढ़ाने का काम किया है. उत्तरप्रदेश भी भारतीय दृष्टिकोण से लिखे गए दो बड़े ग्रन्थों, रामायण और महाभारत की पृष्ठभूमि भी इस प्रदेश की भूमि पर ही रची गयी है.

इससे उत्तर प्रदेश का इतिहास कितना पुराना होगा का उसका अनुमान लगाया जा सकता है. हालाँकि, राज्य का नाम सिर्फ कुछ ही दशक का है. राज्य का इतिहास पूरी तरह से समझना है तो हमें कई सौ शताब्दी पीछे जाना होगा. इसके साथ ही आपको बता दें कि, उत्तर प्रदेश के इतिहास को समेटने के लिए प्रदेश से जुडी घटनाओं को पांच हिस्सो में बांटा गया है जो इस प्रकार है…..

उत्तर प्रदेश का आर्यकाल

हालांकि, वैदिक काल को खंगालने के बाद भी शायद ही इसकी उत्पत्ति का कोई उल्लेख मिलता हो. लेकिन फिर भी उत्तर प्रदेश का इतिहास तकरीबन 4000 साल पुराना बताया जाता है, चार हजार साल पूर्व उत्तर प्रदेश आर्यावर्त का प्रमुख भाग था. वही हिंदुओं के धर्मग्रंथ में रामायण के उल्लेखित प्रमुख पात्र प्रभु राम का प्राचीन राज्य कौशल इसी क्षेत्र में मिलता है, इस राज्य की राजधानी अयोध्या हुआ करती थी.

आर्यकाल का दूसरा हिस्सा मध्य वैदिक काल का है, जिसमें सनातन धर्म के अनुसार, भगवान विष्णु के आठवे अवतार भगवान कृष्ण का जन्म भूमि उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में हुआ था. मध्य वैदिक काल तक आते आते नए राज्य कुरु-पांचाल में “काशी” और “कौसल” महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र बन चुके थे. तब कुरु-पंचत को वैदिक संस्कृति के प्रमुख प्रतिनिधि के रूप में देखा जाने लगा. वे संस्कृत के महान विद्वानों में गिने जाते थे. पांचाल परिषद का नाम भी उपनिषदों में मिलता है, जिसमें अश्वमेध यज्ञ का भी उल्लेख है. उपनिषदों में वर्णित ऋषियों में से अधिकांश के आश्रम आज के उत्तर प्रदेश में थे, जैसे भरद्वाज, वशिष्ठ, वाल्मीकि, अत्रि, याज्ञवलक्य और अन्य.

बौद्धकाल

इसी बीच छठी शताब्दी ईसा पूर्व तक प्राचीन वैदिक धर्म बड़े पैमाने पर ब्राह्मणवाद में विकसित हो गया था. जो दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक शास्त्रीय हिंदू धर्म में बदल गया. प्रचलित परंपरा के अनुसार, यह ईसा पूर्व छठी और चौथी शताब्दी के बीच वाराणसी के सारनाथ में बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था. बौद्ध धर्म, जो उन्होंने बनाया था, भारत के अलावा जापान और चीन जैसे दूर-दराज के देशों में भी फैल गया. माना जाता है कि बुद्ध ने कुशीनगर (अब पूर्वी उत्तर प्रदेश में कासिया) में पूर्ण निर्वाण पाया था.

मुस्लिम शासन

उत्तर प्रदेश में मुस्लिम शासन का काल 1000 ई. से 1030 ई. तक रहा है, लेकिन 12 वीं शताब्दी के अंतिम दशक में मुहम्मद ग़ोरी ने उत्तरी भारत में गहड़वालों और अन्य विरोधी वंशों को हराया था. लगभग 600 वर्षों तक, दिल्ली या उसके आसपास रहने वाले कुछ मुस्लिम वंशों ने उत्तर प्रदेश पर भी शासन किया. इसलिए मुस्लिमों के शासन के इस काल को मुस्लिम काल के तौर पर जाना जाता है.

ब्रिटीश औपनिवेशक काल

ब्रिटीश औपनिवेशक काल वह काल रहा है जब ईस्ट इंडिया कंपनी (एक ब्रिटिश व्यापारिक कंपनी) ने 18वीं शताब्दी की अंतिम तिमाही से 19वीं शताब्दी के मध्य तक लगभग 75 वर्षों तक वर्तमान उत्तर प्रदेश को धीरे-धीरे कब्जा कर लिया था और भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी हिस्से में, नवाब, ग्वालियर के सिंधिया (अब मध्य प्रदेश में) और नेपाल के गोरखा को पहले ब्रिटिश प्रांत के भीतर रखा गया था जिसे बंगाल प्रेसीडेंसी कहा जाता था.

Also Read: Lucknow ke Raam: नवाबों की नहीं, लखन की नगरी है लखनऊ ….

स्वतंत्रता आंदोलन के पश्चात

1947 में, संयुक्त प्रान्त नव निर्मित स्वतंत्र भारतीय गणराज्य की सरकारी शाखा बन गया. दो साल बाद, संयुक्त राज्य में टिहरी गढ़वाल और रामपुर के स्वतंत्र राज्यों को शामिल किया गया। 1950 में नया संविधान लागू होने के साथ, इस संयुक्त राज्य का नाम 24 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश रखा गया और यह भारतीय संघ का राज्य बना. इस राज्य ने स्वतंत्रता के बाद से भारत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

इस कड़ी कल पढ़े आर्यकाल की पूरी कहानी ….

 

 

 

 

 

 

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More