ग्रीन फंड हजम कर गई केजरीवाल सरकार!

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दिल्ली में एयर पलूशन से जंग जारी है लेकिन ग्रीन फंड के तौर पर जमा किया गया पैसे का बड़ा हिस्सा इस्तेमाल ही नहीं किया गया है। दिल्ली प्रशासन के पास 1500 करोड़ रुपये ग्रीन फंड के तौर पर जमा किए गए थे जिसका इस्तेमाल वायु प्रदूषण से निपटने के लिए किया जाना था लेकिन इसका बड़ा हिस्सा प्रयोग ही नहीं किया गया है।
डीलर्स से एक प्रतिशत सेस के तौर पर 62 करोड़ रुपये जमा
इस फंड का बड़ा हिस्सा- 1003 करोड़ रुपये (10 नवंबर तक)- सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिल्ली में आने वाले ट्रकों पर लगने वाले इन्वाइरनमेंट कॉम्पेंसेशन चार्ज (ईसीसी) से आया था जबकि बाकी हिस्सा 2008 के बाद से प्रत्येक लीटर डीजल पर लगे सेस से आया। सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड (सीबीसीबी) ने 2000 सीसी से ऊपर की इंजन क्षमता वाली डीजल कार बेचने वाले डीलर्स से एक प्रतिशत सेस के तौर पर 62 करोड़ रुपये जमा किए।
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यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में दिल्ली-एनसीआर के लिए दिए थे। दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) ने ईसीसी जमा कर उसे हर शुक्रवार को शहर के ट्रांसपोर्ट विभाग को दिया। सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट (सीएसई) के साथ जुड़े रिसर्चर उस्मान नसीम ने यह जानकारी दी। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दिसंबर 2007 में डीजल पर सेस लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए यह कदम उठाया था।
फिलहाल यह राशि करीब 500 करोड़ रुपये है
इस फंड को ‘एयर ऐंबियंस फंड’ का नाम दिया गया था जो दिल्ली पलूशन कंट्रोल कमिटी के पास जमा होता है। नसीम ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान यह फंड काफी हो गया है और फिलहाल यह राशि करीब 500 करोड़ रुपये है।
सब्सिडी लगाने की काफी जरूरत है
ट्रांसपोर्ट विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिल्ली सरकार ने मंगलवार को फैसला लिया कि इस फंड का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक बसों पर सब्सिडी का प्रबंध करने को किया जाए। अधिकारी ने कहा, ‘ई-बसें काफी महंगी हैं और पहले चरण में उन पर सब्सिडी लगाने की काफी जरूरत है। हालांकि उनका संचालन काफी महंगा नहीं होगा।’ हालांकि यह पुष्टि नहीं हो सकी है कि सरकार कितनी ई-बसें खरीदने के लिए कितना फंड चाहिए होगा।
(साभार – एनबीटी)
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