UP निकाय चुनाव : अपनेे ही ‘घर’ में हार रही है कांग्रेस !

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दूसरे शहरों की तरह से अमेठी और रायबरेली में मेयर पद के लिए वोटों की गिनती का काम चल रहा है। लेकिन कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले दोनों शहरों में कांग्रेस की हालत पतली नजर आ रही है। बढ़त के मामले में अभी तक कांग्रेस कहीं नजर नहीं आ रही है। कुछ ऐसा ही हाल मार्च में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में भी था। क्या कहते हैं इन चुनावों के नतीजे…

कांग्रेस के पाले से खिसक रहा है अमेठी?

डॉ भीराव अंबेडकर विश्वविद्वालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर अरुणोध्य वाजपेयी का कहना है कि अगर विधानसभा चुनावों में अमेठी लोकसभा की पांच विधानसभा सीटों पर नजर डालें तो वोटों के आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस, भाजपा से एक लाख से भी अधिक वोटों से पीछे चल रही है।

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यहां हैरान करने वाली बात ये है कि विधानसभा चुनाव कांग्रेस और सपा ने गठबंधन के तहत लड़ा था, फिर भी 5 में से 4 सीटें बीजेपी जीती और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला। अगर बात 2014 के लोकसभा चुनाव की करें तो कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इस सीट से 1 लाख 8 हजार वोटों से जीते थे।

तब समाजवादी पार्टी ने यहां अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था, फिर भी 2009 के मुकाबले राहुल के करीब 25 प्रतिशत वोट कम हो गए थे। 2014 में जो कांग्रेस राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का सपना देख रही थी, आज उनके लिए अपनी सीट बचाने के भी लाले पड़ गए हैं।

रायबरेली सीट पर भी छूट रहे हैं पसीने

रायबरेली में विधानसभा चुनावों के नतीजे बताते हैं कि यहां कांग्रेस को 30 हजार वोटों की बढ़त मिली थी। लेकिन 5 विधानसभा सीटों में से 2 पर कब्जा करके बीजेपी ने कांग्रेस के कान खड़े कर दिए थे। कांग्रेस के लिए डर की वजह ये भी है कि 2014 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस सीट से 3.5 लाख से भी ज्यादा वोटों के अंतर से जीती थी।

यानी तीन साल से कम वक्त में ही यहां पार्टी का जनाधार बुरी तरह खिसकता नजर आ रहा है. सपा ने तब भी सोनिया के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा था। यानी अब रायबरेली सीट भी गांधी परिवार के लिए सुरक्षित नहीं दिख रही है।

क्या कहते हैं अमेठी-रायबरेली के सियासी नतीजें

एएमयू में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर मुहीब-उर्र-रहमान बताते हैं कि आम चुनावों में यूपी में कांग्रेस 21 सीटों से खिसकर 2 सीटों पर पहुंच गई थी। जब लोग वोट डालने गए थे तो किसी ने नहीं सोचा भी नहीं था कि केंद्र में सत्ताधारी पार्टी की प्रदेश में ऐसी दुर्गति होने वाली है।

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ऐसा ही इसबार विधानसभा चुनावों में भी हुआ। कांग्रेस 28 सीटों से घटकर अब तक के सबसे कम 7 सीटों पर सिमट गई, वो भी तब जब राहुल गांधी को अखिलेश यादव ने अपनी साइकिल पर बिठाया था। लेकिन एक बार फिर से यूपी निकाय चुनाव अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस के पसीने छुटा रहे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार सुभाष निगम का कहना है कि अमेठी और रायबरेली में हालात कोई चौकाने वाले नहीं हैं. ये तो होना ही था। कांग्रेस ने अपने ही गढ़ को हमेशा उपेक्षित रखा।  जबकि भाजपा की स्मृति ईरानी लगातार वहां संपर्क बनाए हुए हैं। राज्य और केन्द्र में भाजपा की सरकार होने के चलते इसका लाभ भी वो लोगों को दिला रही हैं। जिसके चलते ये रुझान बदला है।

(साभार- न्यूज 18)

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