Varanasi: …नहीं रहे हिंदी के समालोचक और प्रसिद्ध लेखक प्रो. चौथी राम यादव

सांस संबंधी परेशानी होने पर परिजनों ने अस्पताल में कराया था भर्ती, कार्डियक अररेस्ट बताई जा रही वजह

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Varanasi: हिंदी साहित्यजगत के लिए सोमवार की सुबह शोक भरी खबर लेकर आयी है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यहक्ष, हिंदी के समालोचक और प्रसिद्ध लेखक प्रोफेसर चौथीराम यादव का निधन हो गया है. बीती शाम सांस लेने में दिक्कत के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान उन्हें 83 वर्ष की आयु में अपनी अंतिम सांस ली. बताया जा रहा है कि, कार्डियक अररेस्ट से उनकी मौत हुई है. इसके अलावा वे प्रख्यात हिंदी विद्वान आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के शिष्य भी थे.

जानकारी के मुताबिक, प्रोफेसर चौथी रामयादव की अंतिम यात्रा आज निकाली जाएगी, वहीं उनके पुत्र अशोक यादव पार्थिव शरीर शव को मुखाग्नि देकर उन्हें अंतिम विदाई देंगे. वही आपको बता दें कि, निधन से तकरीबन दो से तीन घंटे पहले ही चौथीराम ने अपनी फेसबुक एक पोस्ट साझा की थी. जिसमें उन्होने ज्योतिबा फुले के आंदोलन को लेकर एक बडा लेख लिखा था.

जानें कौन थे चौथी राम यादव ?

29 जनवरी 1941 को जौनपुर के कायमगंज में प्रो. चौथीराम यादव को जन्म हुआ था, लेकिन वाराणसी उनकी कर्मभूमि रही है. बीएचयू से शिक्षा लेने के बाद यहीं उन्होने अपने धनअर्जन की शुरुआत कर दी थी. वे हिन्दी विभाग में प्रोफेसर बने. इसके अलावा उन्हे साहित्य में भी अपना बड़ा योगदान दिया है, जिसमें उन्होने छायावादी काव्यः एक दृष्टि, मध्य कालीन भक्ति काव्य में विरहानुभूमि व्यंजना, हिंदी के श्रेष्ठ रेखाचित्र किताबों का संपादन किया. जिसके लिए उन्हे कई सारे साहित्य सम्मानो से भी सम्मानित किया गया, जिसमे साहित्य साधना सम्मान, कबीर सम्मान, लोहिया सम्मान औऱ अंबेडकर सम्मान से सम्मानित किया गया.

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बीएचयू हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. चौथी राम ने अपनी वैचारिकी के लिए सड़कों पर उतरकर आंदोलन में भाग लिया। एक्टिविस्ट, लेखक और वक्ता के त्रिकोण में उनका व्यक्तित्व बखूबी जुड़ा हुआ है। पिछले साल उन्हें कबीर राष्ट्रीय सम्मान मिला था।

 

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