ट्रांसफर-तैनाती को लेकर एसएसपी-जिलाधिकारी में छिड़ी जंग

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प्रमुख सचिव गृह के हालिया आदेश पर प्रदेश के आईएएस और आईपीएस अधिकारियों में ठन गई है। इसकी बानगी शुक्रवार को नोएडा में देखने को मिली। यहां एसएसपी अजयपाल शर्मा द्वारा किए गए 9 पुलिसकर्मियों के तबादले को डीएम ने खारिज कर दिए। दूसरी ओर, लखनऊ में डीजीपी मुख्यालय में हुई बैठक में भी गृह विभाग के आदेश को लेकर आईपीएस अफसरों में खासी नाराजगी दिखी। डीजीपी ओपी सिंह ने अफसरों को आश्वस्त किया है कि वह जल्द ही इस सम्बंध में सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करेंगे।

एसएसपी अजयपाल शर्मा ने 9 पुलिसकर्मियों का किया था ट्रांसफर

इस मीटिंग के कुछ घंटों बाद ही गौतम बुद्ध नगर में 9 पुलिसकर्मियों के ट्रांसफर को लेकर जिले के एसएसपी और डीएम में ठन गई। नोएडा के एसएसपी डॉ. अजय पाल शर्मा ने शुक्रवार को कासना जारचा और कई थानों में बड़ा फेरबदल किया और प्रेस रिलीज भी जारी कर दी। यह बात डीएम बृजेश नारायण सिंह को चुभ गई। उन्होंने एसएसपी डॉ. अजय पाल शर्मा को पत्र लिखकर कहा कि शासन ने निर्देश दिया है कि पुलिसकर्मियों की तैनाती करने से पहले डीएम से लिखित अनुमोदन करवाया जाना है। इसका शासनादेश जारी हो चुका है। इस सम्बंध में उन्होंने 10 मई को एसएसपी को पत्र भी भेजा था। साथ ही इसी दिन गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी में हुई मंत्रियों की मीटिंग के दौरान भी एसएसपी से वार्ता कर उन्हें आदेश से अवगत भी करवा दिया गया था।

डीएम बोले, गलत संदेश गया

नोएडा के डीएम का कहना है कि प्रशासन के आदेश के बावजूद भी बिना लिखित अनुमोदन के ये तबादले कर दिए गए। कुछ पुलिसकर्मियों ने नई तैनाती पर ज्वॉइन भी कर लिया। इससे गलत संदेश गया है। पोस्टिंग करने से पहले उनसे अनुमोदन लिया जाना चाहिए था।

तो सिर्फ एसएसपी पर कार्रवाई क्यों

सूत्रों के मुताबिक लखनऊ में बैठक के दौरान आईपीएस अफसरों ने सात सितंबर 2017 के कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग के शासनादेश पर भी आपत्ति उठाई। कहा कि जब क्राइम मीटिंग से लेकर थानेदारों की तैनाती डीएम करेंगे तो कानून-व्यवस्था और बड़े अपराधों के मामले में सिर्फ एसपी पर ही कार्रवाई क्यों की जाती है? बानगी के तौर पर इलाहाबाद में वकील की हत्या व कानून-व्यवस्था बिगड़ने के मसले पर सिर्फ एसएसपी को हटाए जाने का मुददा भी उठा। अफसरों का कहना था कि इलाहाबाद में डीएम पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई ? बैठक में बड़े शहरों में कमिश्नर सिस्टम लागू किए जाने और पुलिस ऐक्ट में बदलाव को लेकर भी सीएम के सामने प्रस्तुतिकरण दिया जाएगा।

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ऐसे शुरू हुआ विवाद

9 मई 2018 को प्रमुख सचिव गृह ने डीजीपी को पत्र लिखा। 2001 व 2009 के शासनादेश का हवाला देते हुए जिलों में एसओ व इंस्पेक्टर की तैनाती और तबादलों के लिए डीएम का लिखित अनुमोदन जरूरी कर दिया गया। 10 मई को केंद्रीय आईपीएस असोसिएशन ने ट्वीट कर सीएम से यह आदेश वापस लेने की अपील की। ट्वीट में कहा गया कि यह आदेश पुलिस नेतृत्व पर सवालिया निशान लगाता है।

प्रमुख सचिव ग्रह ने जारी किया था शासनादेश

7 सितंबर 2017 को भी कार्यक्रम क्रियान्वयन विभाग ने शासनादेश जारी किया था। इसमें हर माह की 7 तारीख को डीएम की अध्यक्षता में क्राइम मीटिंग किए जाने के निर्देश थे। तब आईपीएस असोसिएशन और तत्कालीन डीजीपी सुलखान सिंह ने इस पर विरोध जताते हुए मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से इसे वापस लेने की मांग की थी। हाल ही में पुलिस वीक के दौरान आईपीएस असोसिएशन ने सीएम से दोबारा मिलकर इसे वापस लेने, नया पुलिस एक्ट बनाने और बड़े शहरों में कमिश्नर सिस्टम लागू करने की मांग की।

सोर्स : एनबीटी

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