मुख्यमंत्री योगी ने भगवान हनुमान को बताया ‘दलित’

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान हनुमान को दलित बताया है। हिंदुत्व कार्ड को जोरशोर से उठाने वाले बीजेपी नेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान हनुमान को दलित बताकर नया जातिगत और उसके सहारे राजनीतिक समीकरण साधने की कोशिश की है।

बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं

मध्य प्रदेश के सियासी रण में अली बनाम बजंरगबली का नारा बुलंद करने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ इस बात को राजस्थान में भी लगातार दोहरा रहे हैं। अलवर में एक सभा को संबोधित करते हुए योगी ने कहा कि बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिर वासी हैं, दलित हैं और वंचित हैं।

जनसंख्या का 17.8 फीसदी हिस्सा दलित समुदाय का है

योगी के इस बयान को बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड के साथ-साथ जातिगत वोट बैंक को साधने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है। राजस्थान में कुल जनसंख्या का 17.8 फीसदी हिस्सा दलित समुदाय का है।

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परंपरागत दलित वोट बैंक बीते एक दशक से कांग्रेस छोड़ बीजेपी के साथ जुड़ा हुआ था, लेकिन इस बार वसुंधरा राजे सरकार को लेकर इस तबके में नाराजगी है। कुछ जानकारों का मानना है कि एक बार फिर वो कांग्रेस में वापसी कर सकते हैं।

दलितों की नाराजगी की वजह

राजस्थान में दलितों की नाराजगी के पीछे कुछ अहम कारण हैं।  इनमें पहला है- डांगावास काण्ड. इस घटना में पांच दलितों समेत छह लोगों की बर्बर हत्या की गई थी। दूसरा- नोखा-बीकानेर के डेल्टा मेघवाल आत्महत्या मामले की सीबीआई जांच न होना। तीसरा- एससी/एसटी एक्ट को लेकर ‘भारत बंद’ के दौरान दलितों की बड़ी तादाद में हुई गिरफ्तारी। इन तीन कारणों को दलित समाज की नाराजगी का मुख्य कारण माना जा रहा है। इसी का नतीजा है कि राजस्थान में बीजेपी को कई उप चुनावों में हार का मुंह देखना पड़ा है।

ऐसे में दलितों को साधने के लिए बीजेपी ने कई कोशिशें राजस्थान में कीं, लेकिन हालात बदलते नहीं दिख रहे। ऐसे में विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे की नैया पार लगाने के लिए उतरे सीएम योगी आदित्यनाथ ने भगवान बजरंगबली को दलित बताकर नया दांव चला है।

बसपा के मूल वोट बैंक माने जाते हैं

इतना ही नहीं, इसे राजस्थान विधानसभा चुनाव तक ही सीमित रखने की योजना नहीं है बल्कि 2019 के लोकसभा चुनाव के तहत भी इसी फॉर्मूले को आजमाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश में दलित मतदाता करीब 21 फीसदी हैं और बसपा के मूल वोट बैंक माने जाते हैं। बिहार में भी 13 फीसदी के करीब दलित मतदाता हैं। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र सहित कई राज्य में दलित मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं।

राम के बाद हनुमान कार्ड

मोदी के सत्ता में आने के बाद से कई बार दलित समाज के लोग सड़क पर उतर चुके हैं। वहीं, मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा हिस्सा भी मोदी सरकार के खिलाफ है। ऐसे में दलित-मुस्लिम गठजोड़ बनाकर 2019 में मोदी को रोकने की विपक्ष की रणनीति है। ऐसे में कई लोगों का मानना है कि बीजेपी ने इस एकता के तोड़ के रूप में बजरंगबली का इस्तेमाल किया है। इसमें बीजेपी को कहां तक कामयाबी मिलती है, ये देखना दिलचस्प होगा।

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