Cloud Burst: क्यों होती है बादल फटने की घटनाएं, कब और कैसे फटता है बादल, जानें सब कुछ…

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बादल फट गए...

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Cloud Burst: बीते दिन कई दिनों के बाद हुई मॉनसूनी बारिश ( Monsoon Rain ) ने देश के कई राज्यों में तबाही मचा रखी है. इस बारिश ने देश व प्रदेश की राजधानी में हाल ही ख़राब कर रखा है. भारी बारिश के चलते चारो- तरफ अफरा- तफरी का माहौल देखने को मिला. शहर के कई बड़े हिस्से पूरी तरह पानी में जलमग्न दिखे. सड़कें नदियों जैसी नजर आई, जिससे कई मार्गों को यातायात के लिए बंद कर दिया गया. शहरों का हाल यह हुआ कि कई चुनंदा मार्गों पर लंबा जाम देखने को मिला. उधर राजस्थान के जयपुर में भारी बारिश दर्ज की गई. इसके बाद खबर आई की उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में बादल फट गए …

क्या है बादल फटना ?…

बता दें कि अब आपके मन में यह सवाल होगा कि बादल फटना क्या होता है. तो बता दें कि मौसम विभाग के मुताबिक अगर किसी स्थान में 1 घंटे में 100 मिमी. से ज्यादा बारिश हो जाती है तो उसे बादल फटना या क्लाउडबर्स्ट कहा जाता है. आसान भाषा में कहें तो कम समय में बहुत ज्यादा बारिश होना. वहीं, अगर दूसरी भाषा में कहे तो बादल फटना बारिश का चरम रूप होता है. यह हिंदी में मुहावरा का रूप होता है.

कब और कैसे फटते हैं बादल…

गौरतलब है कि जब ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह इकठ्ठा हो जाते हैं तब यह स्थिति बनती है और वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं. इसके वजन से बादल का घनत्व (Density) बढ़ जाता है और फिर अचानक से काफी तेज बारिश होने लगता है. ज्याअदातर बादल फटने की घटनाएं पहाड़ों पर घटती हैं, आइए जानते हैं ऐसा क्यों होता है ?

 

पहाड़ों पर ही क्यों होती है ज्यादातर ये घटनाएं ?…

पानी से लबरेज बादल जब हवा के साथ उड़ रहे होते हैं तो पहाड़ी क्षेत्रों में वे पहाड़ों के बीच फंस जाते हैं. इन पहाड़ों की लंबाई बादल को आगे बढ़ने नहीं देती. अब पहाड़ों के बीच फंसे हुए बादल पानी के रूप में बरसने लगते हैं. चूंकि बादलों में पानी का घनत्व अधिक होता है इसलिए ये बारिश काफी तेज होती है. बादल फटने की घटना सामान्यता धरती से करीबन 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर देखने को मिलती है.

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बादल फटने से क्यों होती है तबाही ?…

बादल फटने से तबाही क्यों होती है. इसका मुख्या कारण यह है कि तेजी से आए पानी के बहाव के चलते बाढ़ की स्थिति बन जाती है. नदी-नालों में पानी भयावह गति से दौड़ता है, जो किनारों को तोड़कर आसपास के इलाकों तक में बाढ़ ले आता है. पानी की बहुत ज्यादा गति होने के कारण मिट्टी कट जाती है. यदि पहाड़ी इलाका होता है तो ढलान पर यह गति और ज्यादा हो जाती है, जो बड़े-बड़े बोल्डरों को भी अपने साथ लुढ़काकर लाती है. इसकी चपेट में आकर बड़े-बड़े भवन, पुल आदि भी ध्वस्त हो जाते हैं. इसके चलते वहां जान-माल की हानि ज्यादा होती है.

 

रोकथाम के उपाय ?..

बता दें कि मानसून में जब बादल फटने की समस्या आती है तो उसे रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं है. कहा जाता है कि यदि पानी की सही निकासी, मकानों की दुरुस्त बनावट, वन क्षेत्र की मौजूदगी और प्रकृति से सामंजस्य बनाकर चलने पर इससे होने वाला नुकसान कम हो सकता है.

क्लाइमेट चेंज से भी बढ़ रही बादल फटने की घटनाएं…

कहा जा रहा है कि लगातार क्लाइमेट चेंज होने के चलते ऐसे घटनाएं बढ़ रही है. यदि वन क्षेत्रों का क्षेत्रफल अधिक होगा और जमीन कम गर्म होगी तो ऐसे घटनाओं को कम किया जा सकता है. वहीं, देखें तो पिछले कुछ सालों में तेजी से क्लाइमेट परिवर्तन हुआ है जिसके बाढ़ से ऐसे घटनाएं लगातार बढ़ रही है.

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