सिटिजनशिप बिल को संसद से हरी झंडी, पढ़ें पीएम मोदी से लेकर किसने क्या कहा?

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नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद से हरी झंडी मिल गयी है। राज्यसभा ने बुधवार को इस विधेयक को हरी झंडी दी जबकि लोकसभा पहले ही इसे पास कर चुकी है। बिल को 105 के मुकाबले 125 मतों से मंजूरी मिली।

PM मोदी ने जताई खुशी-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकता संशोधन विधेयक राज्य सभा में पारित होने पर प्रसन्‍नता व्यक्त की है।

उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए ऐतिहासिक दिन है और देश के करूणा तथा भाईचारे के मूल्यों का प्रतीक है।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट में कहा कि यह विधेयक उन लोगों के कष्ट दूर करेगा जो वर्षों से अत्याचार का सामना कर रहे हैं।

BJP के ध्रुवीकरण एजेंडा के खिलाफ कांग्रेस-

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पारित होने को संकुचित विचारधारा की जीत कहा।

उन्होंने बीजेपी के ध्रुवीकरण एजेंडा के खिलाफ संघर्ष जारी रखने की कांग्रेस की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

‘नागरिकता संशोधन बिल असंवैधानिक’-

कांग्रेस, वामपंथी दलों, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डी एम के पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्‍ट्रीय जनता दल, राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और तेलांगना राष्‍ट्र समिति ने विधेयक को असंवैधानिक करार देते हुए इसका विरोध किया।

कांग्रेस के कपिल सिब्‍बल का कहना था कि इसके ऐसे दूरगामी परिणाम होंगे जिनकी कल्‍पना भी नहीं की जा सकती।

विधेयक का विरोध करते हुए तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन ने विधेयक को असंवैधानिक बताया।

विधेयक पर शिवसेना का रुख-

शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि विधेयक का विरोध करने वालों को राष्‍ट्रविरोधी करार देना गलत है।

उन्‍होंने कहा कि पड़ोसी देशों में अल्‍पसंख्‍यकों के अधिकारों का हनन हुआ है।

दूसरी ओर विधेयक का समर्थन करते हुए भाजपा के कार्यकारी अध्‍यक्ष जे पी नड्डा ने इसे ऐतिहासिक आवश्‍यकता करार दिया।

उन्होंने कहा कि पाकिस्‍तान जैसे पड़ोसी देश अपने यहां अल्‍पसंख्‍यकों के हितों की रक्षा करने में विफल रहे हैं।

ये है विधेयक के प्रावधान-

नागरिकता संशोधन विधेयक अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के छह समुदायों के अवैध अप्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने के लिए नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन करेगा।

संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, त्रिपुरा के क्षेत्रों और इनर लाइन परमिट वाले क्षेत्रों अरूणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम में यह विधेयक लागू नहीं होगा।

सरकार ने कहा है कि घुसपैठियों और शरणार्थियों के बीच अंतर करने की आवश्यकता है।

विधेयक किसी के साथ भेदभाव नहीं करता है और किसी के अधिकार को नहीं छीनता है।

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