आधार को लेकर आमने-सामने आए चिदंबरम और नारायणमूर्ति

0

आधार को लेकर शुक्रवार को पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और आईटी सेक्टर के दिग्गज एन.आर. नारायणमूर्ति के बीच गरमागरम बहस छिड़ गई। वकील और राजनीतिज्ञ पी. चिदंबरम ने जहां उदारवादी दृष्टिकोण के तहत इस पर चिंता जताई तो वहीं नारायणमूर्ति ने आधार की वकालत की। नारायणमूर्ति ने निजता के संरक्षा के लिए संसद की तरफ से कानून बनाए जाने की वकालत की।

पहचान से किसी की निजता का उल्लंघन न हो

चिदंबरम ने सरकार के आधारा द्वारा हर चीज को आधार नंबर से जोड़ने संबंधी कदम की आलोचना की। उन्होंने कहा कि सरकार इस बारे में हर चीज को अनसुना कर रही है। उनके मुताबिक, सरकार आधार से हर चीज को जोड़ने के खिलाफ कुछ भी सुनना नहीं चाहती है। वहीं दूसरी तरफ नारायणमूर्ति ने आईआईटी-बॉम्बे के वार्षिक मूड इंडिगो फेस्टिवल को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी आधुनिक देश की तरह ड्राइविंग लाइसेंस के रूप में किसी भी व्यक्ति की पहचान स्थापित की जानी चाहिए। इसी के साथ यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस तरह की पहचान से किसी की निजता का उल्लंघन न हो।

also read :  कुंभ का नाम बदलने पर बिफरा विपक्ष, योगी सरकार को बताया ‘हिंदू विरोधी’

वहीं चिदंबरम ने कहा कि प्रत्येक लेनदेन के लिए आधार के इस्तेमाल के गंभीर परिणाम होंगे और इससे भारत ऐसे देश में तब्दील हो जाएगा जो समाज कल्याण की दृष्टि से घातक होगा। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि यदि कोई युवा पुरुष और युवा महिला, बेशक शादीशुदा नहीं हैं और वे निजी छुट्टियों मनाना चाहते हैं, तो इसमें गलत क्या है? यदि किसी युवा व्यक्ति को कॉन्डम खरीदना है तो उसे अपनी पहचान या आधार नंबर देने की क्या जरूरत है?

पारदर्शी तरीके से अकाउंट में ट्रांसफर करना था

चिदंबरम ने सवाल किया, सरकार को यह क्यों जानना चाहिए कि मैं कौन सी दवाइयां खरीदता हूं, कौन सा सिनेमा देखता हूं, कौन से होटल जाता हूं और कौन मेरे दोस्त हैं। उन्होंने कहा कि यदि मैं सरकार में होता तो मैं लोगों की इन सभी गतिविधियों के बारे में जानने का प्रयास नहीं करता। इस पर नारायणमूर्ति ने कहा,’मैं आपसे सहमत नहीं हूं। आप जिन चीजों की बात कर रहे हैं वे सभी गूगल पर उपलब्ध हैं।’ चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने अपने बैंक खाते को आधार से नहीं जोड़ा है। उन्होंने कहा कि आधार से खातों को जोड़ने की गतिविधियों को 17 जनवरी तक रोका जाना चाहिए। इस दिन पांच न्यायाधीशों की बेंच इस मामले में विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई शुरू करेगी। चिदंबरम ने इस बात पर जोर दिया कि आधार लाने का मकसद सरकार की तरफ से दिए जाने वाले वित्तीय फायदों या सब्सिडी को पारदर्शी तरीके से अकाउंट में ट्रांसफर करना था।

(साभार-एनबीटी)

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More