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रामनगर की रामलीला

रामनगर की रामलीला: की एक विशेषता यह है कि इसे 31 दिनों तक विस्तारित किया जाता है। रामनगर की 31 दिनों तक चलने वाली में भगवान राम के जीवन के प्रमुख प्रसंगों का विस्तृत मंचन होता है।

इस भव्य कार्यक्रम की शुरुआत करीब 200 साल पहले काशी नरेश द्वारा हुई थी, माना ये भी जाता है की गोस्वामी तुलसी दस के शिष्य मेघा भगत, पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हीने रामचरित्रमानस की रामलीला शुरू की थी। उस समय के तत्कालीन काशी नरेश बलवंत नारायण सिंह ने अपने रामनगर स्थित क़िले में इसका मंचन कराया और फिर ईश्वरी प्रसाद नारायण सिंह ने इसे क़िले से बाहर कर उसे और भव्य स्वरूप दिया। काशी नरेश ईश्वरी प्रसाद नारायण सिंह के इस कदम से रामायण के मंचन में काशी व रामनगर के आम लोगों में इसकी चर्चा बढ़ गई ।

रामनगर की रामलीला के भरोसे गयासुद्दीन के परिवार की चार पीढी

रामनगर की विश्वप्रसिद्ध रामलीला लक्खा मेले में भी शुमार है. इस ऐतिहासिक और अनोखी लीला में गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल भी देखने को…

प्रभु राम के वन गमन पर लीला प्रेमियों की आंखें हुई नम, इंद्र देव ने बरसाए…

रामनगर की रामलीला के नौवें दिन राम वनगमन, निषाद मिलन, लक्ष्मणकृत गीता उपदेश का मंचन हुआ. अयोध्या कांड के 57 से 93 तक के दोहे की…

रामनगर की रामलीला: राजशाही ठाठ में आनंद लेते लीला प्रेमी

रामनगर की रामलीला और इसके नमी ऐसे ही प्रसिद्ध नहीं है. जैसे यहां की रामलीला विश्व प्रसिद्ध है वैसे ही यहां पर आने वाले नमी भी काफी…

रामनगर की रामलीलाः जब सुननी पड़ी प्रभु को भी गारियां, राजा दशरथ ने दिया नेग

‘खा लो-खा लो खिचड़ी मेरे राम लला‘.....जैसे गीतों के जरिये उन्हें गारियों से नवाजे गये

विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला:अयोध्या के आंगन में पड़े चार बहुओं के पैर…

लीलाप्रेमियों की आंखे भिगो गये राजा जनक, सुनयना और श्रीराम जानकी के मार्मिक संवाद

विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला: भगवान श्रीराम ने तोड़ा धनुष को गरजने लगे…

धनुष टूटने की गर्जना सुन क्रोध में पहुंचे परशुराम तो हुआ लक्ष्मण से तीखा संवाद

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