क्या कुत्ते के चाटने से भी फैलता है रेबीज ? क्यों नहीं इसका इलाज तो, कैसे करें बचाव….
रेबीज …..वो बीमारी जिसका फिलहाल देश और विदेश में कोई इलाज नहीं है। इस बीमारी से सिर्फ बचाव किया जा सकता है वो भी यदि समय पर न किया गया तो ऐसा करना व्यक्ति के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। रेबीज से ग्रसित इंसान या तो कोमा में चला जाता है या उसकी तड़प – तड़प के मौत हो जाती है । बताया जाता है कि, रेबीज की मौत काफी दर्दनाक होती है। बीते मंगलवार को यूपी के गाजियाबाद में रेबीज से जान गंवा बैठे 14 साल के साबेज की मौत ने सभी को झकझोर के रख दिया है और रेबीज की चर्चा तेज हो गयी है। ऐसे में जरूरी हो गया है कि, हम रेबीज को लेकर सीरियस रहे और सही से समझे रेबीज कितनी खतरनाक बीमारी है।
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आपको बता दें कि, फिलहाल रेबीज का कोई इलाज नहीं है, ऐसे में संक्रमित व्यक्ति की मौत निश्चित है। लेकिन इस बीमारी से बचा जा सकता है, उसके लिए रेबीज इंजेक्शन लगाया जाता है। यह इंजेक्शन 100% मौत से बचने की संभावना है।एक्सपर्ट का कहना है कि डॉग्स लवर हो, आरडब्ल्यूए हो या अन्य सोसाइटी, उन्हें डॉग्स का वैक्सीनेशन कराना चाहिए।यही नहीं, डॉक्टर ने आम लोगों से भी अपील की है कि गाइडलाइन के अनुसार अगर किसी को कुत्ता चाट भी ले तो रेबीज इंजेक्शन 24 घंटे के अंदर जरूर लेना चाहिए।
कुत्तों का समय से वैक्सीनेशन है जरूरी
रेबीज को लेकर एलएनजेपी अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर सुरेश कुमार का कहना है कि, कुत्ता आप घर में पालते हैं या वो बाहर रहते हैं, उनका वैक्सीनेशन जरूरी है। वैक्सीनेशन के बाद संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। इस संक्रमण का बचाव तो संभव है, इसका इलाज नहीं है। डॉक्टर ने कहा कि मेरी डॉग्स लवर से अपील है कि वो अपने इलाके में आगे आएं और ऐसे कुत्ते का वैक्सीनेशन कराएं, जिन्हें रेबीज का वैक्सीन नहीं लगी है। एक बार वैक्सीन लग जाती है तो खतरा कम हो जाता है।
खरोंच और चाटने पर भी कराए वैक्सीनेशन
एक्सपर्ट बताते है कि, डॉगी काट ले या खरोंच लग जाए, यहां तक कि अगर चाट भी ले तो वैक्सीनेशन लेना है। यह गाइडलाइन में है। अगर इस बच्चे को डॉग बाइट के बाद वैक्सीन लग जाती तो उसकी जान बच सकती थी। इसलिए लोगों को भी यह ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि रेबीज संक्रमण की वजह से वायरस दिमाग तक पहुंच जाता है। दिमाग को असंतुलित कर देता है। पीड़ित को हाइड्रोफोबिया हो जाता है। उसे पानी से डर लगने लगता है। पीड़ित पानी तक पीना बंद कर देता है। इस वजह से धीरे-धीरे उसका मल्टी ऑर्गन फेल हो जाता है और मौत हो जाती है।
वही रेबीज को लेकर डब्लूएचओ का कहना है कि, यह एक वायरल इंफेक्शन होता है, जिसकी वजह से नर्वस सिस्टम और दिमाग बुरा प्रभाव पड़ता है। रेबीज का वायरस शरीर में 20 से 60 दिन तक रह सकता है और इलाज नहीं मिलने पर मृत्यु दर काफी अधिक होती है। रेबीज जानवरों से इंसानों में फैलता है और ज्यादातर बार जानवरों के काटने या नोंचने से फैलता है। हालांकि, जानवरों के लार का अगर स्किन पर मौजूद किसी घाव से संपर्क हो जाए, तब भी संक्रमण हो सकता है।
कुत्ते के काटने पर क्या करें प्राथमिक उपचार
कुत्ते के काटने पर सबसे पहले उस जगह को धो ले और इसके बाद डिटर्जेंट साबुन जैसे कि रिन या सर्फ एक्सेल साबुन को घाव पर कुछ देर तक घिस दें । यदि घाव गहरा है तो, डिटर्जेंट से धुलने के बाद घाव पर बिटाडिन लगा ले। ऐसा करने से रेबीज का वायरस का असर कम हो जाता है। इसके साथ ही कुत्ते काटने पर रेबीज का वैक्सीन, एंटीबाडीज़ और टेटनस का इंजेक्शन लगवाना चाहिए।
कब लगवाएं इंजेक्शन
24 घंटे के अंदर आपको रैबीज का वैक्सीन एवं इसकी 4-5 डोज का पूरा कोर्स करना चाहिए. आमतौर पर कुत्ते काटने के बाद 5 इंजेक्शन लगाने की जरूरत पड़ती है. इसके लिए पहला शॉट 24 घंटे के अंदर लगना चाहिए. इसके बाद तीसरे दिन, सांतवें दिन, 14 वें दिन और अंत में 28वें दिन में लगता है. 48 घंटे के अंदर काटे हुए शरीर के भाग पे immunoglobulin देना चाहिए, समय पर इंजेक्शन न देने पर कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
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कुत्ते के काटने पर गलती से भी न करें ये काम
-कुत्ते के काटने के घाव पर कभी भी पट्टी न बांधे
-घाव पर तेल , हल्दी या कोई भी घरेलू चीज न लगाए
-घाव को धोने के साथ डॉक्टर को जरूर दिखाए
-समय से कराए वैक्सीनेशन