लोकसभा चुनाव से पूर्व BSP ने शुरू की क्षेत्र प्रभारियों की नियुक्ति

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BSP : देश में आगामी होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बसपा अपने संगठन को मजबूत करने में लग गई है. बता दें कि आज बाबा साहेब आंबेडकर के परनिर्माण दिवस के अवसर पर मायावती ने क्षेत्र प्रभारी की नई जिम्मेदारी देनी शुरू कर दी है. बसपा में लोकसभा क्षेत्र प्रभारी के तौर पर प्रत्याशियों के चेहरे सामने आने लगे हैं. इसकी शुरुआत प्रदेश के सहारनपुर से हुई है. बसपा प्रमुख मायावती ने यहां पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष तस्नीम बानो के पति माजिद अली को लोकसभा क्षेत्र प्रभारी बनाया है.

वहीँ अब कयास लगाए जा रहे हैं कि वह लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी हो सकते हैं और वर्तमान सांसद हाजी फजलुर्रहमान का टिकट कट सकता है.

आपको बता दें कि तस्नीम बानो 2016 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जिला पंचायत अध्यक्ष बनी थी. इसके बाद 2021 में भी माजिद जिला पंचायत का टिकट चाह रहे थे लेकिन टिकट न मिलने पर उन्होंने पार्टी छोड़ दी और आजाद समाज पार्टी में चले गए. अब उन्होंने फिर बसपा ज्‍वाइन कर ली. इसी के साथ पश्चिमी यूपी के प्रभारी शमसुद्दीन राइन ने उनको लोकसभा प्रभारी घोषित किया और समर्थन मांगा.

सपा के संपर्क में सांसद हाजी फजलुर्रहमान-

वर्तमान में सहारनपुर से बहुजन समाज पार्टी  के सांसद हाजी फजलुर्रहमान सपा के संपर्क में हैं. इसके बाद लोकसभा क्षेत्र में माजिद को प्रभारी बनाए जाने का मतलब है कि फजलुर्रहमान का टिकट कट सकता है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बसपा ने उनका विकल्प ढूंढ लिया है और पार्टी उन्हें जल्द हटा सकती है.

दूसरे सांसद भी तलाश रहे ठिकाना-

फजलुर्रहमान के अलावा बहुजन समाज पार्टी के कई और सांसदों को लेकर भी चर्चा है कि वे लोकसभा चुनाव से पहले नया ठिकाना तलाश रहे हैं. जौनपुर के सांसद श्याम सिंह यादव पिछले साल राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए थे. उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और नितिन गडकरी की प्रशंसा की थी. भाजपा से उनकी नजदीकी की चर्चाएं तब और तेज हो गई थीं, जब उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी.

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BSP सांसदों को नया ठिकाना खीजने की चिंता 

बसपा ने 2019 में सपा के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था. उसे 10 सीटें हासिल हुई थीं. इस बार बसपा प्रमुख अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं. 2022 का विस चुनाव बहुजन समाज पार्टी अकेले लड़ी थी और उसे एक ही सीट हासिल हुई थी. ऐसे में बहुजन समाज पार्टी  के लगातार गिरते जनाधार को लेकर सांसद चिंतित हैं. उन्हें लग रहा है कि अगर पार्टी अकेले चुनाव लड़ती है तो सीट निकालना मुश्किल हो सकता है.

यही वजह है कि वे अपने लिए सुरक्षित ठिकाना तलाश रहे हैं. चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी  को भी इस चीज का अहसास है इसलिए उसने पहले से विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है. यही वजह है कि उसने अभी से प्रभारियों का ऐलान करना शुरू कर दिया है. हालांकि, पार्टी में ऐन वक्त पर किसी को भी टिकट दिया जा सकता है. अगर ऐन वक्त पर वर्तमान सांसद पार्टी छोड़कर जाते हैं तो पार्टी के पास प्रभारी के रूप में एक विकल्प होगा.

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