‘दंगों की गवाही’ देने पहुंचे अमित शाह

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भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह आज नारोद गांव में दंगे के मामले में विशेष अदालत में गवाही देने के लिए पेश होंगे। यह अहमदाबाद की एक विशेष एसआईटी अदालत है। आपको बता दे कि अदालत ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को 18 सितंबर को कोर्ट में आकर गवाही देने के लिए समन जारी किया था। इस मामले में मुख्य आरोपी गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी ने भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह को अपने गवाह के तौर पर बुलाने की अर्जी दी थी।

दंगे में 97 लोगों की जान गई थी

अदालत ने अप्रैल में कोडनानी की यह दरख्वास्त मान ली थी कि उनके बचाव में भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह एवं कुछ अन्य को बतौर गवाह समन जारी किया जाए। अहमदाबाद के नरोदा गाम का नरसंहार 2002 के नौ बड़े साम्प्रदायिक दंगों में एक है, जिसकी जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) ने की थी। इस दंगे में 11 लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में कुल 82 व्यक्तियों पर मुकदमा चल रहा है। गुजरात में नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री रह चुकीं कोडनानी को पहले ही नरोदा पाटिया दंगा मामले में 28 साल की सजा सुनायी जा चुकी है। इस दंगे में 97 लोगों की जान गई थी।

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आरएसएस की कार्यकर्ता के तौर पर ज्‍यादा जानी जाती थीं

भारतीय जनता पार्टी की तीन बार की महिला विधायक माया कोडनानी गुजरात में नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री थीं। माया कोडनानी पहली महिला वर्तमान विधायक हैं जिन्हें गोधरा दंगों के बाद सजा हुई है। नरोदा पाटिया दंगा मामले में माया कोडनानी पर आरोप था कि माया ने दंगाई भीड़ का नेतृत्व किया था। माया का परिवार बटवारे से पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहता था लेकिन बाद में परिवार गुजरात आकर बस गया। आपको बता दें कि माया कोडनानी पेशे से गाइनकालजिस्ट हैं। हालांकि माया डॉक्टर के तौर पर ही कम और आरएसएस की कार्यकर्ता के तौर पर ज्‍यादा जानी जाती थीं।

विधानसभा चुनाव में भी माया कोडनानी की जीत हुई

नरोदा में उनका अपना मटर्निटी अस्पताल था लेकिन फिर वो स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गईं। वह अपनी भाषण की वजह से भाजपा में काफी लोकप्रिय थीं। बताया जाता है कि वह बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता लाल कृष्‍ण आडवाणी के भी करीबी थीं। माया कोडनानी दंगा के समय नरोदा से विधायक थीं। 2002 के गुजरात दंगों में उनका नाम सामने आया। 2002 में ही हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में वे फिर से विधायक चुनी गईं। 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी माया कोडनानी की जीत हुई।

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31 अगस्‍त को कोर्ट ने उन्‍हें 28 वर्ष की सजा सुनाई

इसके बाद वह गुजरात सरकार में मंत्री बन गईं। 2009 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष टीम से गिरफ्तारी के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि जल्द ही वे जमानत पर रिहा भी हो गईं। इस दौरान वे विधानसभा जाती रहीं और उन पर नरोदा पाटिया दंगा मामले में मुकदमा भी चलता रहा। 29 अगस्त 2012 में आखिरकर कोर्ट ने उन्हें नरोदा पाटिया दंगों के मामले में दोषी करार दिया। 31 अगस्‍त को कोर्ट ने उन्‍हें 28 वर्ष की सजा सुनाई।

नरसंहार 2002 के नौ बड़े साम्प्रदायिक दंगों में एक है

अहमदाबाद के नरोदा गाम का नरसंहार 2002 के नौ बड़े साम्प्रदायिक दंगों में एक है, जिसकी जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) ने की थी। इस दंगे में 11 लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में कुल 82 व्यक्तियों पर मुकदमा चल रहा है। गुजरात में नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री रह चुकीं कोडनानी को पहले ही नरोदा पाटिया दंगा मामले में 28 साल की सजा सुनायी जा चुकी है। इस दंगे में 97 लोगों की जान गई थी।

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