झारखंड में बड़ी हार से राज्यसभा में भाजपा को होगा नुकसान

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झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में भाजपा की बड़ी हार से उसे बड़ा नुकसान राज्यसभा में होने जा रहा है। यह एक तरह से उसके लिए दोहरे झटके की तरह है। झारखंड में हार से बीजेपी को न सिर्फ सत्ता गंवानी पड़ी है, बल्कि इसका खामियाजा संसद में भी भुगतना पड़ सकता है। सोमवार को जारी झारखंड चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा को राज्यसभा में सीटों का नुकसान हो सकता है।

चुनावों में बीजेपी को झटका

भले ही अगला लोकसभा चुनाव 2024 में है, मगर उससे पहले राज्यसभा के चुनावों में बीजेपी को झटका लग सकता है। जब भारतीय जनता पार्टी 2024 में अगले लोकसभा चुनाव के लिए जाएगी तो शायद उस वक्त झारखंड से इसके पास एक भी राज्यसभा की सीट न हो।

झारखंड विकास मोर्चा के समर्थन की आस

हालांकि, आंकड़ें ऐसे कहते हैं कि अगर झारखंड विकास मोर्चा बीजेपी को समर्थन देती है तो राज्यसभा में बीजेपी अपनी वर्तमान टैली बरकरार रख सकती है। बता दें कि झारखंड चुनाव में जेवीएम (प्रजातांत्रिक) ने बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, मगर अब उसने बीजेपी को समर्थन देना का फैसला लिया है।

एनडीए सरकार राज्यसभा में अल्पमत में है

हालांकि, भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार यानी एनडीए सरकार राज्यसभा में अल्पमत में है, मगर विपक्ष में भीतरघात की वजह से कई अहम विधेयक मसलन नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, तीन तलाक विधेयक पास कराने में कामयाब रही है।

साल 2020, 2022 और 2024 में दो-दो सीटों पर झारखंड में द्विवार्षिक चुनाव होंगे। दरअसल, झारखंड में राज्यसभा की कुल 6 सीटें हैं, जिनमें वर्तमान में बीजेपी का तीन पर, कांग्रेस और लालू यादव की पार्टी राजद का एक-एक पर कब्जा है। वहीं छठे सीट पर स्वतंत्र सासंद परिमल नाथवाणी हैं।

इन सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी और जेएमएम-कांग्रेस-राजद गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होगा। क्योंकि राज्य विधानसभा में मौजूदा सियासी अंकगणित ने इसे पेचीदा बना दिया है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के विपरीत राज्य के निर्वाचित विधायक उच्च सदन के उम्मीदवार के लिए वोट करते हैं। झारखंड में 81 विधानसभा सीटें हैं।

उसे अन्य दलों का सहारा लेना पड़ेगा

किसी भी राज्यसभा उम्मीदवार को जीत हासिल करने के लिए कम से कम 28 मतों की जरूरत होगी। बीजेपी के पास सिर्फ 25 सीटें हैं तो ऐसी स्थिति में उसे अन्य दलों का सहारा लेना पड़ेगा। मगर बीजेपी को अगर जेवीएम का साथ मिलता है तो समीकरण बदल सकता है, क्योंकि जेवीएम ने विधानसभा चुनाव में तीन सीटें जीती हैं। इस तरह से झारखंड में जब भी द्विवार्षिक राज्यसभा चुनाव होंगे, हर बार बीजेपी को इन तीन सीटों की जरूरत पड़ेगी।

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