यूपी की महिलाएं कठ-काठी में कमजोर…

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बिहार-झारखंड और यूपी की महिलाओं की कद-काठी बेहद कमजोर है। बिहार में ऐसी महिलाओं की संख्या 30 प्रतिशत, झारखंड में 31.5 प्रतिशत और यूपी में 25.3 प्रतिशत है। इसके उलट देश में उत्तरपूर्व के राज्यों में महिलाओं की सेहत सबसे बेहतर है।

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महिलाओं का वजन औसत से भी कम है

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट-2016 के मुताबिक, बिहार, दादरा नागर हवेली, गुजरात, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान और असम में एक चौथाई से अधिक महिलाओं का वजन औसत से भी कम है।
यूपी में लगभग ढाई करोड़ महिलाएं कुपोषण का शिकार हैं। झारखंड के बाद बिहार की हालत देश में सबसे खराब है। यहां 30.4 फीसदी महिलाओं का न वजन और न लंबाई मानक के अनुरूप है।

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महिलाओं की मौत गर्भावस्था या प्रसव के दौरान बिहार मे हर साल

2011 की जनगणना के आकड़ो के मुताबिक तीन में एक महिला एनीमिया की शिकार है और भारत में 45 हजार महिलाओं की मौत भारत में प्रसव के दौरान हर साल होती है।सात हजार पांच सौ महिलाओं की मौत गर्भावस्था या प्रसव के दौरान बिहार मे हर साल होती है। पचास प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिक हैं। जिन क्षेत्रों में महिलाओं की हालत खराब है उन क्षेत्रों में महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल है।

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19 से कम है तो वह कुपोषण का शिकार है…

जबकि सबसे बेहतर सेहत वाली महिलाओं में अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम, मेघालय, नई दिल्ली, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर, केरल है। आयुर्विज्ञान विभाग, सफदरजंग अस्पताल के डायरेक्टर डॉ़ जुगल किशोर का कहना है कि किसी भी पुरुष या महिला का बीएमआई (लंबाई और वजन का अनुपात) यदि 19 से कम है तो वह कुपोषण का शिकार है। ऐसे व्यक्ति का वजन और लंबाई मानक से कम होगी। बीएमआई औसत से कम होना मौत के बड़े कारणों में है।

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