BHU : संगीत को हर विभाग से जोड़ने की जरूरत-प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संगीत और मंच कला संकाय के कौस्तुभ जयंती समारोह में बोले कुलपति

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काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित संगीत और मंच कला संकाय के पंडित ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में कौस्तुभ जयंती समारोह के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन ने लोगों को कौस्तुभ जयंती की बधाई दी. उन्होंने कहा कि इस 75 वर्ष को लोगों के बीच पहुंचाना और लगातार अनवरत कार्य करना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है. कहा कि इस विभाग को किसी भी प्रकार की आवश्यकता पड़ेगी तो हम सदैव तत्पर रहेंगे. उन्होंने संगीत को सिर्फ संगीत से देखने के लिए नहीं इसे हर विभाग से जोड़कर देखना चाहिए और 75 वर्ष पूर्ण करना इस विभाग की अपने आप में विशेष उपलब्धि है. कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती, महामना पंडित मदन मोहन मालवीय और ठाकुर ओंकार नाथ की प्रतिमस पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलन से हुआ. कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली की अध्यक्ष रहीं. डा. संध्या पुरेचा उपस्थित रही.

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री सखी सुनहुं पियारे……..

कार्यक्रम का आगाज काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के गौरव शाली कुलगीत से हुआ जिसे गायन विभाग के छात्र- छात्राओं ने प्रस्तुत किया. बीएचयू के कुलगीत के बाद पंडित ओंकारनाथ ठाकुर द्वारा रचित शिव संकल्पमस्तु की प्रस्तुति गायन विभाग के छात्र- छात्राओं ने किया. इसका निर्देशन डा. मधुमिता भट्टाचार्य व प्रो. संगीता पंडित ने किया. इसके बाद गायन विभाग के छात्र-छात्राओं ने रागाधारित बंदिशों की सुंदर प्रस्तुति की. इसमें राग पटदीप में निबद्ध अनहद बाजे, री सखी सुनहुं पियारे, राग मियां मल्हार, द्रुत एकताल में तराना की प्रस्तुति की गई, जिसके बोल – दिर दिर देरे ना देरे न तना की अत्यंत सुंदर प्रस्तुति हुई. इनके साथ तबले पर संगत आनंद मिश्रा और संवादिनी पर हर्षित अध्याय ने किया. इस कार्यक्रम का निर्देशन प्रो. संगीता पंडित व डा रामशंकर ने किया. दूसरी प्रस्तुति वाद्य वृंद की हुई, जिसमे कलाकार डॉ. राकेश कुमार, सहायक आचार्य वायलिन स्कॉलर प्रशांत मिश्र, सितार स्कॉलर बुधादित्य प्रधान और तबले पर सिद्धार्थ मुखर्जी रहे. इस दौरान अशेष कुमार मिश्र के तबला की मधुर और सधी हुई प्रस्तुति ने सभी को आनंदित कर दिया.

कजरी धुन ने सबको झुमाया

इसमें राग भिन्नषडज पर आधारित रचना का प्रस्तुतिकरण किया गाय जो भारतीय व पाश्चात्य दोनो संगीत के मिश्रण पर आधारित रही. इस मौके पर कजरी धुन की मनोहारी प्रस्तुति की गई. इसे सुनकर श्रोता झूम उठे. इस वाद्य वृंद का निर्देशन प्रोफेसर राजेश शाह और डॉ. राकेश कुमार ने किया. समूह नृत्य की तीसरी प्रस्तुति में संगीत एवं मंच कला संकाय के नृत्य विभाग के शोध छात्रों ने कथक और भरतनाट्यम नृत्य के अद्वितीय संगम की विशेष प्रस्तुति दी. इस नृत्य आयोजन की शुरुआत “श्री विश्वनाथाष्टकम“ – गंगा तरंग रमणीय जटाकलापं….के द्वारा भगवान शिव की आराधना से हुई. इसके बाद श्री आदि शंकराचार्य द्वारा रचित “शिव पंचाक्षर स्तोत्रम“ में नृत्य प्रस्तुत किया गया. इस सांस्कृतिक आयोजन का समापन “तिल्लाना“ के साथ हुआ जो राग कपी और आदि ताल में आधारित है, जिसकी रचना मदुरै आर. मुरलीधरन ने की है. “श्री विश्वनाथाष्टकम“ और “शिव पंचाक्षर स्तोत्रम“ के संगीत एवं नृत्य संयोजन डॉ. विधि नागर का है. इसमें गायन पर डॉ. इंद्रदेव चौधरी, तबले पर डॉ. अमित ईश्वर, बांसुरी पर डॉ. शानिश कु. ज्ञावाली, सितार पर डॉ. आनंद कुमार मिश्रा, सारंगी पर अनिश मिश्रा ने संगत किया.

मौजूद रहे कला मर्मज्ञ और संगीत रसिक

भरतानाटयम नृत्य में नागरंजीता एस., कुमारी रूपम रघुवंशी, कथक नृत्य में अमृत मिश्रा, कुमारी रागिनी कल्याण, कुमारी शिखा रमेश, कुमारी सुरैया इस्लाम रिया ने प्रस्तुति दी. इस उल्लास पर्व पर हिंदू विश्वविद्यालय परिवार ,विभिन्न पदाधिकारी, काशी के विद्वत जन, संगीत मर्मज्ञ एवं कला रसिकों की उपस्थिति ने इस समारोह का मान वर्धन किया.

इन्हें मिला कौस्तुभ रत्न सम्मान

इस मौके पर पंडित चित्तरंजन ज्योतिषी, पंडित साजन मिश्र, पंडित राजेश्वर आचार्य, पंडित शिवनाथ मिश्रा, डा. प्रेम चंद्र होम्बल, पंडित रित्विक सान्याल को कौस्तुभ रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया. गायन विभाग की अध्यक्ष व संकाय प्रमुख प्रो संगीता पंडित. ने लोगों का स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन सचिव प्रो. प्रवीण उद्धव ने किया..

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