पार्किसंस रोग के इलाज में वाराणसी ने बनाया नया रिकॉर्ड

डीबीएस सर्जरी एक सर्जिकल ऑपरेशन है जिसमें न्यूरोसर्जन एक मेडिकल डिवाइस को मस्तिष्क में इम्प्लांट करता है

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वाराणसी में स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल, इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईएमएस), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में डॉक्टरों की एक टीम ने हाल ही में लगभग 8 घंटे तक चलने वाली एक गहरी मस्तिष्क उत्तेजना (डीबीएस) सर्जरी प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया. यह पूर्वांचल क्षेत्र में इस तरह की पहली प्रक्रिया थी.

इस सर्जरी में डॉक्टरों ने मरीज के मस्तिष्क में एक छोटा सा उपकरण इम्प्लांट किया, जो मस्तिष्क के विशिष्ट क्षेत्रों में इलेक्ट्रिकल सिग्नल भेजता है. यह तकनीक पार्किंसंस रोग के लक्षणों को नियंत्रित करने में बहुत प्रभावी साबित हुई है. सर्जरी के बाद मरीज की स्थिति स्थिर है और वह जल्द ही सामान्य जीवन में लौट आएगा. इस सर्जरी की सफलता से पार्किंसंस रोग के मरीजों के लिए नई उम्मीदें जगी है.

आईएमएस निदेशक प्रो शंकर ने कहा कि डीबीएस उन रोगियों के लिए एक स्थापित और सुरक्षित न्यूरोसर्जिकल प्रक्रिया है जिन्हें उन्नत बीमारी है और जिन्हें चिकित्सा उपचार से पर्याप्त लक्षण नियंत्रण और अच्छी गुणवत्ता वाला जीवन नहीं मिला है, या जिन्हें चिकित्सा उपचार से गंभीर दुष्प्रभाव हुए हैं. उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया आयुष्मान भारत योजना के तहत की गई थी और सभी खर्चों का ध्यान रखा गया था.

आइए जानते हैं डीबीएस सर्जरी के बारे में

– डीबीएस सर्जरी क्या है?: यह एक सर्जिकल ऑपरेशन है जिसमें न्यूरोसर्जन एक मेडिकल डिवाइस को मस्तिष्क में इम्प्लांट करता है जिसे न्यूरोस्टिम्यूलेटर कहा जाता है.
– डीबीएस सर्जरी के लाभ: यह तकनीक पार्किंसंस रोग, आवश्यक कंपकंपी और डिस्टोनिया सहित कई तंत्रिका संबंधी विकारों के इलाज में बहुत प्रभावी साबित हुई है.

– डीबीएस सर्जरी के लिए उपयुक्त रोगी: आईएमएस निदेशक प्रो शंकर ने कहा कि डीबीएस उन रोगियों के लिए एक स्थापित और सुरक्षित न्यूरोसर्जिकल प्रक्रिया है जिन्हें उन्नत बीमारी है और जिन्हें चिकित्सा उपचार से पर्याप्त लक्षण नियंत्रण और अच्छी गुणवत्ता वाला जीवन नहीं मिला है.
– डीबीएस सर्जरी के परिणाम: यह प्रक्रिया आयुष्मान भारत योजना के तहत की गई थी और सभी खर्चों का ध्यान रखा गया था.

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