भगवान शिव की महिमा अनंत है। भगवान शिवजी की विशेष अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए शिवपुराण में विविध व्रतों का उल्लेख मिलता है, जिसमें प्रदोष व्रत प्रमुख है।
प्रदोष व्रत से दु:ख-दारिद्र्य का नाश होता है। भौम प्रदोष व्रत से ऋण की मुक्ति होती है। जीवन में सुख-समृद्धि खुशहाली आती है, साथ ही जीवन के समस्त दोषों का शमन भी होता है। प्रत्येक मास तिथि को किए जाने वाला प्रदोष व्रत इस बार 15 सितम्बर, मंगलवार को रखा जाएगा।
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि शुद्ध आश्विन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 14 सितम्बर, सोमवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 1 बजकर 30 मिनट पर लगेगी जो कि 15 सितंबर, मंगलवार को रात्रि 11 बजे तक रहेगी। सम्पूर्ण दिन त्रयोदशी तिथि रहने के फलस्वरूप प्रदोष व्रत 15 सितम्बर, मंगलवार को रखा जाएगा।
प्रात:काल से निराहार व निराजल रहकर सायंकाल प्रदोषकाल में शिवजी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। प्रदोषकाल का समय 2 घड़ी या 3 घड़ी का माना गया है। एक घड़ी का समय 24 मिनट का रहता है।
ऐसे करें प्रदोष व्रत-
ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होकर स्नान-ध्यान, पूजा-अर्चना के पश्चात् अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए। दिनभर निराहार रहना चाहिए।
सायंकाल पुनः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर प्रदोष काल में भगवान शिवजी की विधिविधान पूर्वक पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके प्रदोष बेला में भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना प्रारम्भ करनी चाहिए।
भगवान शिवजी का अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित करके धूप-दीप के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए। शिवभक्त अपने मस्तिष्क पर भस्म और तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलदायी मानी गई है। परम्परा के अनुसार कहीं-कहीं पर जगतजननी पार्वतीजी की भी आराधना की जाती है।
अवश्य करें ये काम-
भगवान् शिव की महिमा में प्रदोष स्तोत्र का पाठ एवं स्कन्दपुराण में वर्णित प्रदोष व्रत कथा का पठन या श्रवण अवश्य करना चाहिए। जिससे भगवान शिवजी शीघ्र प्रसन्न होकर मनोकामना की पूर्ति का आशीर्वाद देते हैं। यह व्रत महिलाएँ एवं पुरुष दोनों के लिए समान रूप से फलदायी है। इस दिन अपनी दिनचर्या नियमित संयमित रखते हुए भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
श्रद्धा-भक्तिभाव के साथ किए गए प्रदोष व्रत से जीवन में सुख सौभाग्य बना रहता है तथा भोलेनाथ की कृपा से सारे काम बनते रहते हैं। व्रत के दिन व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए। व्यर्थ वार्तालाप व परनिन्दा आदि नहीं करना चाहिए।
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