Bhagwan Ram Facts: जानें कहां श्रीराम को सुनायी जाती है गालियां ?

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Bhagwan Ram Facts: अयोध्या में श्रीराम के आगमन में अब कुछ ही दिनों का वक्त शेष बचा हुआ है. प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. मंदिर का प्रांगण भी सज चुका है. पूरे देश की निगाहें टकटकी लगाकर अपने आराध्य के आने का इंतजार कर रही हैं. इसी बीच आज (16 जनवरी) से प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान की शुरुआत होने जा रही है. मंगलवार से लेकर 22 जनवरी तक हर दिन अनुष्ठान किए जाएंगे.

आयोध्या में श्रीराम के बालस्वरूप की पूजा की जाती है. साथ ही यहीं एक स्थान ऐसा भी है, जहां भक्त प्रभु श्रीराम को गाली देते हैं. यह काफी चौंका देने वाला है, लेकिन यह बिल्कुल सच है. यहां पर राम भगवान को गाली दी जाती है और यह परंपरा आज से नहीं बल्कि सदियों से चली आ रही है. इस परंपरा का क्या इतिहास है और क्यों भगवान श्रीराम को गाली दी जाती है. आइए जानते हैं…..

इस स्थान पर दामाद के रूप में पूजे जाते है श्रीराम

यूं तो अयोध्या में श्रीराम बालरूप यानी रामलला को पूजा जाता है, लेकिन यहां स्थित जानकी महल मंदिर में राम को दामाद स्वरूप में पूजा जाता है. इस महल में श्रीराम को एक दामाद के तौर पर आदर सत्कार और सम्मान दिया जाने की परंपरा है. भारतीय परिवारों में जिस तरह से दामाद का ख्याल रखा जाता है, बिल्कुल वैसे ही जानकी महल मंदिर में राम भगवान का ख्याल रखा जाता है. इतना ही नहीं जिस तरह से घरों में दामाद के साथ हंसी – मजाक की परंपरा उत्तर भारत में है, जिसमें ताने भी दिए जाते हैं. इसी परंपरा के मुताबिक जानकी महल मंदिर में रोजाना भोग के दौरान हंसी – मजाक के साथ ताने दिए जाते हैं.

क्यों दी जाती है श्रीराम को गालियां ?

भारतीय परंपरा के अनुसार, घर के दामाद के साथ हंसी – मजाक यहां तक की उलहाना दी जाती है और आगत – सत्‍कार भी खूब होता है , ठीक वैसी ही परंपरा यहां भी है. यहां भी जानकी महल मंदिर में रोजाना होने वाले भोग समारोह के दौरान हंसी मजाक के साथ ताने वाले गीत गाए जाते हैं. इसके साथ ही दामाद राम को गालियां भी दी जाती हैं. अयोध्या में स्थित जानकी महल मंदिर का संबंध नेपाल के शाही परिवार से है. यही वजह है कि, जानकी महल मंदिर में श्रीराम को दामाद स्वरूप पूजा जाता है.

क्या है जानकी महल मंदिर का इतिहास ?

जानकी महल मंदिर की जमीन मोहन लाल केजरीवाल ने साल 1942 में खरीदी थी और इस मंदिर को सीता माता के पैतृक घर का रूप दिया था. इसके साथ ही इस मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि, भगवान श्रीराम की पत्नी माता सीता का दूसरा नाम जानकी है और उनका जन्म मिथिला में हुआ था, जो मौजूदा समय में नेपाल में है. इसी वजह से जानकी महल मंदिर में सुबह से रात तक रामजी की खातिरदारी की जाती है.

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पौष माह में होता है भव्य शादी समारोह

आपको बता दें कि, राम-सीता का विवाह हिन्दी कैलेंडर के अनुसार, पौष महीने में संपन्न हुआ था. इसी वजह से जानकी महल मंदिर में प्रतिवर्ष पौष माह में भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है. इस दौरान यहा बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है. श्रीराम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के नजदीक आने के साथ ही जानकी महल मंदिर की रौनक बढती ही जा रही है, यही नहीं मां जानकी जन्मभूमि मिथिला से अयोध्या में उपहार भी भेजे जा रहे हैं.

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