छोटी उम्र में बने महंत और सांसद, सीएम योगी के 51वें जन्मदिन पर जानें सन्यासी से सीएम तक का सफर

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छोटी सी उम्र में महंत और सांसद बनने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज 51 साल के हो गए हैं। प्रदेश भर में सीएम योगी के 51वें जन्मदिन का जश्न मनाया जा रहा हैं। सीएम योगी का अजय से सन्यासी, सन्यासी से महंत, और फिर महंत से सीएम बनने का सफर भी दिलचस्प है। सीएम योगी की गढ़वाल के राजपूत परिवार से हैं। इसलिए सीएम योगी के व्यवहार में भी आक्रामकता छवि दिखाई पड़ती है। सीएम योगी की किताब में भी इनके दो व्यवहारों की छाप साफ दिखाई पड़ती है। इनके एक हाथ में शस्त्र है तो दूसरे हाथ में शास्त्र है। इनकी किताब में दो शब्दों का समावेश मिलता है, हिंदुत्व और विकास। सीएम योगी को बुलडोजर बाबा के नाम से भी प्रसिद्धी हासिल है।

पेड़ लगाकर मनाया जन्मदिन

आज अपने जन्मदिन के मौके पर सीएम योगी ने गोरखनाथ मंदिर के परिसर स्थित महायोगी गुरु गोरखनाथ गो सेवा केंद्र में बरगद, पीपल, पाकड़ का पेड़ लगाकर विश्व पर्यावरण दिवस’ का संदेश दिया। उनके जन्मदिन के दिन ही आज सीएम योगी का ग्राफिक्स अवतार भी रिलीज होने वाला है। ये ग्राफिक अवतार 20 जिलों के 51 स्कूलों में रिलीज किया जाएगा।

पिता के 5वीं  संतान हैं योगी

इनके पिता का नाम आनंद सिंह बिश्त और माता का नाम सावित्री देवी है। ये सात भाई-बहन है। सीएम योगी पांचेव स्थान पर आते हैं। ये जब 22 साल के थे, तब इन्होंने सांसारिक जीवन को अलविदा कह दिया था। स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही सीएम योगी जब 15 फरवरी 1994  को गोरखनाथ मंदिर प्रवास पर आए थे। तो उन्होंने ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ से दीक्षा लेकर अजय सिंह बिश्ट से योगी बन गए। दीक्षा के बाद इनका नाम बदलकर योगी आदित्यनाथ हो गया।

सीएम योगी ने गणित से किया था स्नातक

सीएम योगी का पूरा नाम अजय सिंह बिश्त है। सीएम योगी को दुनिया महंत योगी आदित्यनाथ नाम से ही जानती है। सीएम योगी का जन्म 5 जून 1972 में उत्तराखंड के पंचुर जिला में पुरी गढ़वाल में हुआ था। योगी आदित्यनाथ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उत्तराखंड के पुरी प्राइमरी स्कूल से की थी। इन्होंने गढ़वाल यूनिवर्सिटी से गणित विषय से स्नातक किया था।

अध्यात्मिक जीवन में रखा कदम

सीएम योगी के पिता महंत आनंद सिंह बिश्त जी महाराज गुरु गोरखनाथ मंदिर के महंत थे। शिक्षण में मन नहीं लगा तो योगी आदित्यनाथ ने पढ़ाई छोड़कर आध्यात्मिक जीवन में कदम रखा और सन्यासी हो गए। योगी आदित्यनाथ ने महंत अवैद्यनाथ महाराज को अपना अध्यात्मिक गुरू बनाया। पिता की मृत्यु के बाद सीएम योगी अब स्वयं इस मंदिर के महंत हैं। महंत रहते हुए सीएम योगी ने काफी ख्याति प्राप्त की। ये गोरखपुर मठ के पीठाधीश भी हैं।

26 साल की उम्र में बने थे सांसद

कर्म से भले ही योगी आदित्यनथ महंत हो गए, लेकिन जाति से क्षत्रिय होने के चलते राजनीति उनके जीवन का अहम हिस्सा रहा। छोटी उम्र से ही ये राजनीति में पैर जमाए हुए हैं। सीएम योगी एक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में तब सामने आए, जब उन्होंने 1998 में देश के 12वें लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर कम उम्र के सांसद बन गए थे। उस समय सीएम योगी 26 साल के थे। इन्होने हिन्दू युवाओं को एक साथ लाकर हिन्दू युवा वाहिनी का निर्माण किया। ये संगठन सदैव ही किसी न किसी तरह के विवादों में उलझा रहता है।

एक हाथ में शास्त्र तो दूसरे हाथ में शस्त्र

एक राजनीतिज्ञ और महंत के रूप में सीएम योगी के गुणों की बात करें तो ये कहना सही होगा कि योगी आदित्यनाथ के ‘एक हाथ में शास्त्र तो दूसरे हाथ में शस्त्र’ रहता है। तभी सीएम योगी एक कट्टर राजनेता हैं। वो उसूलों के आगे किसी की नहीं सुनते हैं। इसी का परिणाम है कि सीएम योगी दूसरी बार पूरे बहुमत के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं।

जब जाना पड़ा था योगी को जेल

सीएम योगी को अपने आक्रामक व्यवहार के चलेत एक बार जेल जाना पड़ा था। इसके बाद भी सीएम योगी के पैर रुके नहीं, बर पड़ाव को तेज तेवर के साथ पार करते गए और गोरक्षपीठ के मंहत रहते हुए राजनीति के हीरो बन गए। सीएम योगी राजनीति के चमकते सितारे बन चुके हैं। सीएम योगी जब मठ यानी मंदिर के भीतर रहते हैं तो वो ईश्वर के करीब होते हैं और जैसे ही मंदिर की चौखट लांघते हैं तो फिर आक्रामक राजयोगी बन जाते हैं।

बीजेपी को भी दिखाए थे तेवर

सीएम योगी आज बीजेपी पार्टी के लिए एक वरदान साबित हुए हैं। बीजेपी के स्टार प्रचारक नेताओं में पीएम मोदी के बाद सीएम योगी का ही नाम आता है। मगर एक समय था जब सीएम योगी बीजेपी पार्टी को भी तीखे तेवर दिखाते थे। साल 2007 के विधानसभा चुनाव और साल 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा शीर्ष नेतृत्व में चल रही उथल-पुथल और पार्टी की गिरती साख को लेकर बगावती तेवर दिखाए थे। सीएम योगी को पार्टी में कोई अहम रोल नहीं दिया जा रहा था। जिससे सीएम योगी ने हिंदू युवा वाहिनी से प्रत्याशियों की घोषणा तक करने का एलान कर दिया था। तब बीजेपी में खलबली मच गई थी। बीजेपी ने अपनी छवि पूर्वांचल में बनाए रखने के लिए सीएम योगी को आगे लाई थी। जिसका फायदा पार्टी को आज भी हो रहा है।

 

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