सितंबर में ‘बैंक ऑफ इंडिया’ को मुनाफा में आने की उम्मीद

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बैंक ऑफ इंडिया(Bank of India) को लगातार दो वित्त वर्षो से घाटे का सामना करना पड़ा है। लेकिन अब कंपनी को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही तक कंपनी मुनाफे में आ जाएगी। दूसरी तिमाही सितंबर में खत्म होगी। बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीनबंधु मोहापात्रा ने शनिवार को ये बातें कहीं।

बैंक ऑफ इंडिया को वित्त वर्ष 2016-17 में 1,558.34 करोड़ का नुकसान हुआ था, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष 2015-16 में यह नुकसान 6,089.21 करोड़ रुपये का था।

मोहापात्रा ने यहां संवाददाताओं से कहा, “हमें उम्मीद है कि बैंक सितंबर के अंत तक लाभ हासिल करने में सक्षम होगा, अगर कुछ अप्रत्याशित नहीं होता है तो।”

उन्होंने कहा कि हालांकि बैंक ने पिछले दो वित्त वर्षो से नुकसान उठाया है, लेकिन उसकी परिचालन आय मजबूत बनी हुई है और उसका प्रोविजन कवरेज रेशियो 62 फीसदी रहा, जो फंसे कर्जो के मामले में औसत वृद्धि दर से ज्यादा है।

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भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों के फंसे हुए कर्जो के 12 सबसे बड़े कर्जदारों की पहचान करने के बारे में उन्होंने कहा, “इन 12 बड़े कर्जदारों में से 10 खातों में हमारे बैंक का भी धन फंसा हुआ है और यह रकम 7,000-8,000 करोड़ रुपये की है।”

आरबीआई ने 12 ऐसे खातों को चिह्नित किया है जिन पर प्रत्येक खातों पर 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज बकाया है और उन्हें बैंकों ने एनपीए (गैर निष्पादित परिसंपत्तियों) के अंतर्गत रखा है। इन खातों पर बैंक दिवालिया घोषित कर संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई करने वाले हैं।

मोहापात्रा के मुताबिक बैंक आईबीसी (दिवाला और दिवालियापन संहिता) के तहत अपने फंसे हुए कर्जो (एनपीए) को कम करने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए बकाएदारों को फंसी हुई परिसंपत्तियों का अपग्रेडेशन और वन टाइम सेटलमेंट (कर्ज में छूट/माफी) का मौका दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा हम अपनी कुछ ऐसी संपत्तियों को भी बेचने पर विचार कर रहे हैं जिनकी जरूरत नहीं है।

पिछले वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में बैंक का कुल एनपीए 52,000 करोड़ रुपये से अधिक रहा था, और इसका कुल अनुपात 13.22 फीसदी था।

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