नही रहे BANARAS के मशहूर कवि हरिराम द्विवेदी ‘हरि भैया‘

भारत-चीन युद्ध के दौरान खूब गूंजी थी उनकी रचना-बहिनी हो वीरनवा देईद, माई हो विरनवा देईद

0

बनारसीपन की मिसाल और भोजपुरी साहित्य जगत में अपनी रचनाओं के जरिए अमिट छाप छोड़नेवाले हरिराम द्विवेदी का 87 वर्ष की उम्र में सोमवार की दोपहर निधन हो गया. महमूरगंज क्षेत्र के मोतीझील स्थित आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन की खबर मिलते ही काशी समेत पूर्वांचल के साहित्य जगत और उनके प्रशसकों में शोक की लहर दौड़ गई.

Also Read : Night market को ओडीओपी प्रोडक्ट से सुसज्जित करें – रवींद्र जायसवाल

मूलरूप से मिर्जापुर जिले के रहनेवाले पंडित हरिराम द्विवेदी की कर्मभूमि काशी ही रही. उनका जन्म आजादी से पहले 12 मार्च 1936 में हुंआ था. वह मन, बचन और कर्म से पक्के बनारसी थे. शास्त्रीय संगीत के उच्चकोटि के मंच संकटमोचन संगीत समारोह हो या पूर्वांचल समेत पूरे यूपी में हिंदी साहित्य गोष्ठी और कवि सम्मेलनों की वह शोभा बढ़ाते रहे. मंच संचालन और श्रोताओं को अपनी वाणी से बांध लेने की उनमें अद्भुत क्षमता थी.

आकाशवाणी के उद्घोषक से बनाई रचना जगत में पहचान

इस बेहतरीन रचनाकार को लोग आकाशवाणी के उद्घोषक हरि भैया के नाम से भी जानते हैं. वह काशीवासियों में वह हरि भैया के नाम से ही चर्चित थे. लेकिन जब वह आकाशवाणी से निकलकर मंचों पर आये. संचालकों ने बताया कि हरिराम द्विवेदी और हरि भैया एक ही है तब लोगों को इसकी जानकारी हो सकी. संकटमोचन दरबार और महंत परिवार से उनका गहरा नाता रहा. संकटमोचन फाउंडेशन के थीम सांग ‘मर्यादा इस देश की पहचान है गंगा, पूजा हैं धर्म है ईमान हैं गंगा‘ के रचयिता वही थे. उनकी कई रचनाएं चर्चित रही. इनमें उनकी देशभक्ति पर भोजपुरी रचना आज भी सुनकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

बहिनी हो बिरनवा देईद, मईया हो ललनवा देईद,
देसवा क करनवा अपने, सोनवा के गहनवा देईद।
पनिया बचावे खातिर, आपन परनिया देईद,
सुघर सपनवां बदे मंगिया के निसनवा देई द।।

यह रचना हरि भैया ने वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान लिखी थी. तब हमारे देश के कई जवान शहीद हो गये थे. तब उन्होंने वतन पर शहीद विधवाओं, माताओं और बहनों की पीड़ा को महसूस करते हुए यह रचना आकाशवाणी पर सुनाई थी. यह रचना देश के तमाम रेलवे स्टेशनों पर बजाई जाती थी.
इसके अलावा मां गंगा से आस्था से जुड़ी यह रचना भी खूब चर्चित रही-

दरसन से ओकरे जुड़ाय जाय जियरा,
परसै से पल में अघाय जाय हियरा।
जिनिगी कै धार तूही मुकुति देवईया,
धनि-धनि महिमा तोरी गंगा मईया।।

कैंसर ने छीन लिया काशी का सितारा

काशी की माटी में रचे बसे इस कालजयी रचनाकार के कैंसर से पीड़ित होने की खबर रविवार को ही मीडिया की सुर्खिया बनी थी. उसके दूसरे दिन ही ‘हरि भैया‘ हरिधाम को रवाना हो गये. पंडित हरिराम द्विवेदी को उनके जीवनकाल में भरपूर सम्मान भी मिला. उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने राहुल सांस्कृत्यान पुरस्कार दिया. इसके अलावा विश्व भोजपुरी संघ समेत कई संस्थाओं ने उन्हें पुरस्कार से नवाजा. यह अलग बात है सत्ता में मजबूत पकड़ के अभाव में वह जिस पुरस्कार के हकदार थे वह नही मिल सका. आखिरकार कैंसर जैसी घातक बीमारी ने काशी का एक और सितारा छीन लिया.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More