बालासोर हादसा : मुआवजा लेने पहुंच रहें फर्जी रिश्तेदार, एक शव के दो से अधिक दावेदार

0

उड़ीसा राज्य के बालासोर जिले के बाहानगा रेल हादसे में एक अमानवीय तस्वीर सामने आई है। यहां हादसे के बाद मारे गए लोगों के शवों को धन उगाही का जरिया बनाया जा रहा है। इन शवों की पहचान नही हो पाने से शवों के परिचितों को लेकर भ्रम की स्थिति बन रही है। जिसका लाभ उठाते हुए एक शव के लिए कई दावेदार खड़े हो रहे हैं, ताकि मुआवजे की धनराशि वसूल सकें। इस स्थिति से निपटने के लिए अब शवों और दावेदारों का डीएनए परीक्षण कराया जा रहा है।

शवों की शिनाख्त बड़ी समस्या 

दरअसल, यहां हादसे में मरने वालों के शवों की शिनाख्त अब प्रशासन के लिए एक चुनौती हो गई है। एक शव के लिए दो दावेदार सामने आ रहे हैं। सरकार द्वारा मृतकों के परिजनों को अनुग्रह राशि दिए जाने की घोषणा के बाद परिजन अपने मृतक की पहचान करने पहुंच रहा है। लेकिन जब वह शिनाख्त के लिए जा रहें हैं तो पहले से ही एक दावेदार मौजूद मिल रहा है। ऐसे में अब फर्जी रिश्तेदारों का आंकलन करने के लिए रेलवे द्वारा डीएनए टेस्ट की व्यवस्था कराई है। जिस परिचित का डीएनए टेस्ट शव के साथ मैच करेगा, रेलवे उसे ही अनुग्रह राशि का भुगतान करेगा। जिससे शव को उचित व्यक्ति को सौंपा जा सकें।

शवों की सही शिनाख्त के लिए डीएनए टेस्ट

बता दें, बीएमसी आयुक्त विजय अमृता कुलंगे ने कहा कि परिवार के असली सदस्यों की पहचान करने के लिए डीएनए परीक्षण के लिए 33 रक्त के नमूने भेजे गए हैं। ओडिशा में कोई डीएनए परीक्षण प्रणाली नहीं है, इसलिए इसे एम्स भुवनेश्वर की देखरेख में ये नमूने एम्स दिल्ली भेजे गये हैं। एम्स भुवनेश्वर के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर आशुतोष बिस्वास ने कहा कि हमने एक दिन के भीतर रिपोर्ट भेजने का अनुरोध किया है।

शव की शिनाख्त के लिए भटक रहें परिजन

  1. एम्स भुवनेश्वर में पश्चिम बंगाल के जयनगर के परवेज सहरद लास्का ने खुद को अबूबोका लास्का का बेटा बताया। उनके मुताबिक, ट्रेन हादसे में अपने पिता की मौत की जानकारी मिलने के बाद बाहानगा शव लेने यहां पहुंचे हैं। पिता की मौत की तस्वीरें हैं, लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि शव को कोई और ले गया है। अब एम्स ने डीएनए टेस्ट के लिए उनके खून के नमूने एकत्र किए हैं। बताया जाता है कि रिपोर्ट आने के बाद उनके पिता की पहचान की जाएगी।
  2. इसी तरह मालदा के नितम राय और चंदन राय की तलाश में उनके रिश्तेदार फोनी मंडल जुटे हैं। हादसे की खबर मिलने के बाद उन्होंने बालासोर, सोरो समेत कई इलाकों का दौरा किया। वहां से पता चला है कि नितम और चंदन की पहले ही मौत हो चुकी है। बालासोर प्रशासन की ओर से नितम के शव का फोटो फोनी को दिया गया, लेकिन उस पर कोई संख्या नहीं थी। इसलिए न तो ओडिशा और न ही पश्चिम बंगाल सरकार का हेल्पडेस्क उनके साथ सहयोग कर रहा है। वह किम सम अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है। उन्हें मुआवजे के पैसे की जरूरत नहीं है, बस शव की जानकारी चाहिए।
  3. पश्चिम बंगाल के 24 परगना के अब्दुल वहाब शेख पांच दिनों से अपने भाई गियाउद्दीन शेख की तलाश कर रहे हैं, लेकिन वह भी निराश हैं इसलिए पश्चिम बंगाल हेल्पडेस्क की सलाह पर अब्दुल ने कहा कि उन्होंने डीएनए टेस्ट के लिए अपना ब्लड सैंपल दिया है। इनके साथ ही एम्स परिसर में कई ऐसे लोग हैं, जिन्‍हें अपने परिजनों का कोई अता-पता नहीं चल पा रहा है। उनका कहना है कि उनके परिजनों के शवों को कोई और ले गया है। कई लोग बालासोर से अपने प्रियजनों के शवों की तस्वीरें लेकर आए हैं। फोटो के टैग नंबर को भी एम्स हेल्प डेस्क की तरफ से देखा जा रहा है। बावजूद इसके सूची में फोटो नहीं मिल रही है।

Also Read : 6 जून 1984… जब लाल हो गई थी पंजाब की धरती, 39 साल बाद भी पंजाब नहीं भूला जख्म

Also Read : धर्मांतरण के ऑनलाइन गेम का पर्दाफाश, खेल खेल में बदला जा रहा मजहब….

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More