6 जून 1984… जब लाल हो गई थी पंजाब की धरती, 39 साल बाद भी पंजाब नहीं भूला जख्म

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6 जून 1984… ये वो तारीख थी, जिसने भारत के इतिहास को ही बदल दिया। देश के पंजाब प्रांत में अलगाव की ऐसी चिंगारी फूट रही थी, जिसके छींटे न केवल पंजाब के हिस्से में आए बल्कि देश के दामन को भी कलंकित कर दिया। इस घटना में भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाकर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में घुसे भिंडरावले और उसके अनुयायियों को हटाया था। इस सैन्य ऑपरेशन में हजारों सैनिक भी शहीद हुए थे। उस दौरान पंजाब में जो घटा, उसकी चींखें-पुकार पूरे देश में सुनाई दीं। मानो देश के हर एक कोने में उस दर्द को महसूस किया जा रहा था। तब से यह तारीख भारत के इतिहास में दर्ज हो गई। आज ऑपरेशन ब्लू स्टार को 39 साल पूरे हो गए हैं…

ऑपरेशन ब्लू स्टार की आज बरसी…

आज पंजाब सहित पूरा देश ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी मना रहा है। आज ही के दिन, 6 जून 1984 को भारतीय सेना ने अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर को खालिस्ता समर्थकों से मुक्त कराने के लिए सैन्य ऑपरेशन चलाया था। इसे भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार का नाम दिया। दरअसल, सिख धर्म के पवित्र स्थल गुरुद्वारे में पंजाब को खालिस्तान बनाने की मांग कर रहें दमदमी टकसाल के नेता और खालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उसके अनुयायियों ने कब्जा कर लिया था। इसी बीच पंजाब में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें भी सशक्त हो रही थीं। पंजाब का माहौल बिगड़ता देखकर इंदिरा गांधी सरकार ने दरबारा सिंह की कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर वहां राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था। जिसके तहत ही ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया था।

39 साल पहले खून से लाल हुआ था पंजाब…

लगभग 70 के दशक से ही पंजाब में अकाली दल ने अलगावादी चिंगारी फूंक दी थी। जिसके बाद से ही अकाली दल पंजाब को स्वायत राज्य के रूप में खालिस्तान बनाने की मांग कर रहा था।

  1. अकाली दल की इसी मांग को लेकर 1973 में  आनंदपुर साहिब प्रस्ताव पारित किया था। इस प्रस्ताव में अकाली दल चाहता था कि केंद्र सरकार केवल रक्षा, विदेश नीति, संचार और मुद्रा पर अधिकार को छोड़ कर अन्य सब विषयों पर पंजाब को उसके अधिकार दे दें। अकाली दल की इन मांगों की चिंगारी ऐसी भड़की कि पूरे पंजाब में इसकी लपटें फैल गई और हिंसक घटनाएं बढ़ गईं।
  2. सितंबर 1981 में हिंद समाचार-पंजाब केसरी अखबार समूह के संपादक लाला जगत नारायण की हत्या हुई। पंजाब के कई जिलों में हिंसक घटनाएं हुईं और कई लोगों की जान गई। अप्रैल 1983 में एक अभूतपूर्व घटना घटी। पंजाब पुलिस के उपमहानिरीक्षक एएस अटवाल की दिन दहाड़े स्वर्ण मंदिर परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस समय वो वहां पर माथा टेकने गए थे। इस घटना के बाद 1984 में पंजाब धीरे-धीरे अलगाववाद की चपेट में समा गया। इन सब हिंसक घटनाओं के लिए भिंडरावाले को जिम्मेदार माना गया।
  3. 1984 में भिंडरावाले की अगुआई करते हुए धार्मिक गुरु जरनैल सिंह सहित अलगाववादियों ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में शरण ली। भिंडरावाले ने तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार को भी चुनौती दी। हिंसक घटनाएं इस कदर तीव्र हो रहीं थीं कि हिंसक घटनाओं में मरने वालों की संख्या 298 हो गई थी। जिसको देखते हुए ठीक तीन महीने बाद इंदिरा गांधी ने कड़ा रवैया अपनाया।
  4. तीन महीने बाद 1 जून 1984 को इंदिरा गांधी ने पंजाब से आने-जाने वाली रेलगाड़ियों और बस सेवाओं पर रोक लगा दी। राज्य में फोन कनेक्शन काट दिए गए और विदेशी मीडिया को राज्य से बाहर कर दिया गया। गोल्डन टेंपल से अलगाववादियों को बाहर निकालने के लिए 1 जून को सेना द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया।
  5. 3 जून तक भारतीय सेना अमृतसर में प्रवेश करके स्वर्ण मंदिर परिसर को घेर चुकी थी। 4 जून को सेना ने गोलीबारी शुरू कर दी, लेकिन चरमपंथियों की ओर से इतना तीखा जवाब मिला। पांच जून को बख्तरबंद गाड़ियों और टैंकों का इस्तेमाल किया गया। इंदिरा गांधी ने सेना को भिंडरावले व उसके अनुयायियों को सीधे गोली मारने का आदेश दे दिया। यह ऑपरेशन ब्लू स्टार 1 जून से 6 जून तक चला।
  6. इंदिरा गांधी सरकार में इस दौरान इतना भीषण खून-खराबा हुआ कि पूरा पंजाब रक्त के रंग  से लाल हो गया। ऑपरेशन ब्लू स्टार ने अकाली दल के तख्त को पूरी तरह तबाह कर दिया। उस दौरान स्वर्ण मंदिर पर लाखों गोलियां दागी गईं। इसमें कई ऐतिहासिक स्थल भी नष्ट हो गए। ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पुस्तकालय भी बुरी तरह जल गया। वहीं, घटना में भारत सरकार के श्वेतपत्र के अनुसार 83 सैनिक शहीद और 249 घायल हुए। इस ऑपरेशन 493 लोगों की भी मौत हुई। वहीं 86 लोग घायल हुए लेकिन इन सब आंकड़ों को लेकर अब तक विवाद चल रहा है।

ऑपरेशन के बाद सिख्खों ने मारी थी इंदिरा गांधी को गोली

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31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी को उनके दो सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उनकी हत्या के बाद, अगले दिन सिख विरोधी दंगे भड़क उठे। वे कई दिनों तक कुछ क्षेत्रों में जारी रहे, नई दिल्ली में 3,000 से अधिक सिखों को मार डाला और अनुमानित 8,000 – 20,000 सिखों को भारत के 40 शहरों में मार दिया गया।

39 साल बाद भी खालिस्तान की मांग जारी

ऑपरेश ब्लू स्टार की बरसी के दिन खालिस्तान के समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी। ब्लू स्टार की बरसी पर अखंड पाठ रखा गया था, जो पूरा हो गया है। अखंड पाठ के बाद भिंडरवाले के पोस्टर हाथ में लिए खालिस्तानी समर्थकों ने नारे लगाने शुरू कर दिए। ब्लू स्टार की बरसी के मौके पर जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कौम के नाम संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि 1984 में भारत सरकार ने आज ही के दिन हमारे दिलों पर गहरे जख्म दिए, जो कभी भर नहीं सकते।

 

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