Attention Please! मी..टू की घटनाएं यहां है आम, जानें चमकती फिल्म इंडस्ट्री का हाल

मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं का यौन शोषण तो होता ही है, कास्टिंग काउच भी आम बात है और यहां तक कि बेसिक मानवाधिकार तक महिलाओं को नहीं मिलते हैं.

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पिछले दिनों मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को लेकर हेमा कमिशन रिपोर्ट की जबरदस्त चर्चा है. रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं का यौन शोषण तो होता ही है, कास्टिंग काउच भी आम बात है और यहां तक कि बेसिक मानवाधिकार तक महिलाओं को नहीं मिलते हैं. इसमें आरोप लगाया गया है कि केरल के बड़े और नामी एक्टर्स, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर फिल्म इंडस्ट्री की महिलाओं के साथ बदसलूकी करते हैं. महिलाओं संग जहां ये गाली गलौज करते हैं वहीं डरा धमकाकर यौन शोषण के लिए भी उन्हें मजबूर करते हैं.

इस तरह से की जाती हैं महिलाएं प्रताड़ित

वहीं अगर महिला इसके खिलाफ आवाज उठाती है तो ये उन्हें ब्लैकमेल करते हैं और इस कदर परेशान करते हैं कि वह दाने-दाने को मोहताज हो जाए. अगर वे उनके साथ आसानी से यौन संबंध बनाने को राजी नहीं होती तो फिल्म में उनका रोल या तो काटपीट देते हैं या फिर अश्लील सीन को बार-बार शूट करने के लिए टेक पर टेक लेते रहते हैं. कभी-कभी तो उन्हें भविष्य में काम से बैन भी कर देते हैं.

कैसी भ्रष्ट है फिल्म इंडस्ट्री

हो सकता है कि इस रिपोर्ट को आप न्यूज के जरिए पढ़ या देख चुके हों, लेकिन खबर के बाद के का रिएक्शन भी अपने आप में खबर हैं. इस खबर को जानकर सोशल मीडिया में अधिकतर लोगों के रिएक्शन यही थे कि देखो केरल को आज तक हम सौ फीसदी साक्षर राज्य मानते थे.

वहां की फिल्म इंडस्ट्री तो देखो कैसी भ्रष्ट निकली. कई लोगों ने तो यहां तक कहा कि शुक्र है दूसरे राज्यों की फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा नहीं होता.

बॉलीवुड का मीटू मूवमेंट

सबसे पहले तो यहां यह समझने की जरूरत है कि जो बात हेमा कमिशन की रिपोर्ट से सामने आई है, उसी तरह की बातें बॉलीवुड के लिए मीटू मूवमेंट के तहत कई बार उठाई जाती रही है. कई ऐक्टरों, प्रोड्यूसरों, डायरेक्टरों, सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टरों के नाम इसमें सामने आए.

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वहीं इसी मूवमेंट का नतीजा था कि इस तरह के लोगों को कुछ वक्त के लिए इंडस्ट्री ने लगभग बॉयकॉट कर दिया जाता है.

MeToo movement gets a voice in Bollywood

बॉलीवुड का मीटू मूवमेंट एक्ट्रेसेज़ द्वारा उठाई गई आवाज़ के बाद शुरू हुआ था, जबकि हेमा कमेटी की रिपोर्ट सरकार द्वारा 2017 में बनी जांच कमेटी ने पेश की है.

आशा पारेख का बयान महिलाओं के लिए खास

बॉलीवुड की सीनियर अभिनेत्री आशा पारेख ने तो एक इंटरव्यू में यह तक कह दिया था कि इस तरह की जांच कमेटी सरकार को बॉलीवुड के लिए भी बनानी चाहिए ताकि इंडस्ट्री में काम करने वाली महिलाओं को पूरी सुरक्षा मिले.

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रेप, यौन शोषण जैसी घटनाएं चाहे केरल में हो, तमिलनाडु, कोलकाता, यूपी या महाराष्ट्र में हों, असल मसला है महिलाओं को सम्मान की नजर से देखने का.. जो कहीं नहीं है.

महिलाओं के साथ होते वारदात

हर 16 मिनट में अपने देश में कहीं न कहीं किसी लड़की या महिला का रेप होने का आंकड़ा सरकारी है. दूसरी ओर जो बात आंकड़ों में रिकॉर्ड नहीं की गई, वो है महिलाओं का अपमान.

चक्रव्यूह में फंसी स्त्री-woman in trapped | Jansatta

उन्हें उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित रखना, उनके साथ हर तरह की शारीरिक और मानसिक हिंसा और गाली गलौज, जो अब तक किसी सरकारी रजिस्टर में दर्ज नहीं है.

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