Article 370 : भारत का हिस्सा बनते ही जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता हो गई थी खत्म

केंद्र सरकार के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने माना वैध, पांच जजों की पीठ ने 16 दिन में पूरी की सुनवाई

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Article 370 : अनुच्छेद 370 हटाने के चार साल बाद आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले लेते हुए कहा कि अब इस पर बहस करना ठीक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने अपने फैसले में कहा कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जो फैसला लिया था वो सही था और यह बरकरार रहेगा. चीफ जस्टिस आफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में कहा कि जब जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा बना तभी से जम्मू कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई थी. ऐसे में राष्ट्रपति के पास जम्मू कश्मीर को लेकर फैसला लेने का पूरा अधिकार है.

सड़क से सोशल मीडिया तक रखी जा रही कड़ी नजर

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है. सरकारी महकमा अलर्ट मोड पर है. सड़क से लेकर सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रखी जा रही है. फैसला आने से पहले पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं ने आरोप लगाया कि उनके नेताओं महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को नजरबंद किया गया है. इस मामले में लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने इन दावों को निराधार बताया है.

जम्मू कश्मीर में सितंबर 2024 तक चुनाव कराए आयोग

सीजेआई ने अपने फैसले में कई बड़ी बातें कहीं. उन्होंने कहा कि हम चुनाव आयोग को सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देते हैं. साथ ही सीजेआई ने कहा कि केंद्र के इस कथन के मद्देनजर कि जम्मू-कश्मीर को अपना राज्य का दर्जा फिर से मिलेगा, जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने की जरूरत नहीं थी.

जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सिफारिश जरूरी नहीं थी

सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की सिफारिश आवश्यक नहीं थी. 370 को हटाने का अधिकार जम्मू-कश्मीर के एकीकरण के लिए है. असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ अपील में सुनवाई नहीं कर सकते. सीजेआई ने कहा कि दुर्भावनापूर्ण तरीके से इसे रद्द नहीं किया जा सकता.

राष्ट्रपति के पास Article 370 खत्म करने की शक्ति

सीजेआई ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पास कोई आंतरिक संप्रभुता भी नहीं थी. इसका संविधान भारत के संविधान के अधीन था. राष्ट्रपति के पास अनुच्छेद 370 खत्म करने की शक्ति थी. अनुच्छेद 370 को स्थायी व्यवस्था कहने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

जम्मू कश्मीर की संप्रभुता हो गई थी खत्म
आर्टिकल 370 पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि भारत में शामिल होते ही जम्मू कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई थी.

फैसले में सीजेआई ने क्या कहा

अनुच्छेद 370 पर अपना फैसला सुनाते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्र राष्ट्रपति की भूमिका के तहत सरकार की शक्ति का प्रयोग कर सकता है. याचिकाकर्ताओं की दलीलों को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद/राष्ट्रपति उद्घोषणा के तहत किसी राज्य की विधायी शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि राष्ट्रपति को आर्टिकल 370 हटाने का हक है. 370 हटाने का फैसला संवैधानिक तौर पर सही था. संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर पर लागू होते हैं. ये फैसला जम्मू कश्मीर के एकीकरण के लिए था.

क्या है Article 370 ? 

धारा 370 भारत के संविधान का एक ऐसा प्रावधान है जो जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने का काम करता था. इसके साथ ही संविधान से मिले उसी विशेष दर्ज के चलते जम्मू कश्मीर में संविधान की उपयोगिता भी बहुत हद तक सीमित हो जाती थी. जम्मू कश्मीर संविधान के अनुच्छेद 1 के अलावा कोई अन्य अनुच्छेद जम्मू कश्मीर ने लागू नहीं हो सकता था और संविधान का अनुच्छेद 1 कहता है कि, भारत राज्यों से बना एक संघ है, बाकि जम्मू-कश्मीर का अपना संविधान अलग था.

भारत के राष्ट्रपति को संविधान के किसी भी हिस्से को राज्य में लागू करने का अधिकार दिया गया था, जैसा कि “अनुच्छेद 370” ने किया था। लेकिन यहां भी एक शर्त थी कि इसके लिए राज्य सरकार की सहमति चाहिए. इसमें यह भी कहा गया था कि भारतीय संसद को केवल विदेश मामलों, रक्षा और संचार के बारे में कानून बनाने का अधिकार है.

Article 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें-

सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर में लगाए गए राष्ट्रपति शासन की वैधता पर फैसला देने से इनकार कर दिया. SC ने कहा कि इसे याचिकाकर्ता द्वारा विशेष रूप से चुनौती नहीं दी गई थी.

CJI ने कहा, जब राष्ट्रपति शासन लागू होता है तो राज्यों में संघ की शक्तियों पर सीमाएं होती हैं. अनुच्छेद 356 के तहत शक्ति के प्रयोग की उचित वजह होनी चाहिए.

CJI ने कहा, संवैधानिक व्यवस्था ने यह संकेत नहीं दिया कि जम्मू-कश्मीर ने संप्रभुता बरकरार रखी है. जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग बन गया, यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है.

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Article 370 एक अस्थायी प्रावधान है: CJI

CJI ने कहा- अनुच्छेद 370 (3) के तहत राष्ट्रपति की अधिसूचना जारी करने की शक्ति कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो जाता है, जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के विघटन के बाद भी कायम रहती है.

हमें यह निर्धारित करना आवश्यक नहीं लगता कि जम्मू-कश्मीर का UT में पुनर्गठन वैध है या नहीं. केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के पुनर्गठन को बरकरार रखा गया है क्योंकि अनुच्छेद 3 राज्य के एक हिस्से को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की अनुमति देता है: CJI

CJI ने अपने आदेश में कहा, यह सवाल खुला है कि क्या संसद किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल सकती है.

हम निर्देश देते हैं कि भारत के चुनाव आयोग द्वारा 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाएं. राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाएगा: CJI

विद्रोह के कारण आबादी के एक हिस्से का पलायन हुआ और स्थिति ऐसी बनी कि सेना बुलानी पड़ी… राज्य के लोगों ने भारी कीमत चुकाई है और लोगों को पीढ़ी दर पीढ़ी आघात से गुजरना पड़ा है, राज्य को इलाज की जरूरत है.

जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, अनुच्छेद 367 में संशोधन करना कानून की दृष्टि से गलत था लेकिन वही उद्देश्य 370(3) के जरिए प्राप्त किया गया और इसलिए CO 273 को वैध माना जाता है.

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पीएम मोदी ने दी प्रतिक्रिया 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “यह जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में हमारी बहनों और भाइयों के लिए आशा, प्रगति और एकता की एक शानदार घोषणा है। न्यायालय ने, अपने गहन ज्ञान से, एकता के मूल सार को मजबूत किया है जिसे हम, भारतीय होने के नाते, बाकी सब से ऊपर प्रिय मानते हैं और संजोते हैं।”

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