होम आइसोलेशन के बाद अब निजी अस्पतालों में कोरोना इलाज को हरी झंडी, तय किए गए रेट कार्ड

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वाराणसी। कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है, जिला प्रशासन की तैयारियां की पोल भी खुलने लगी है। सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं चरमराने लगी हैं। बीएचयू जैसे अस्पताल में बदइंतजामी का बोलबाला है। मरीजों के लिए अस्पताल कैदखाने की तरह बन गया है। लिहाजा लोग प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराना पसंद कर रहे हैं। लोगों की इन्हीं जरुरतों को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने जिले के चार प्राइवेट अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के इलाज की हरी झंड़ी दे दी है। इसके साथ ही इलाज का बकायदा रेट भी तय कर दिया है।

यहां पढ़िए इलाज का रेट कार्ड

सरकारी अस्पतालों में जाने से गुरेज करने वाले लोग अब प्राइवेट नर्सिंग होम में अपना इलाज करवा सकते है, इसलिए प्रशासन ने इलाज के लिए दाम फिक्स कर दिए है। डीएम कौशल राज शर्मा ने बताया कि कोविड-19 के अंतर्गत ए-सिंपटोमेटिक मरीजों के प्राइवेट नर्सिंग होम में इलाज हेतु शासन द्वारा दरों का निर्धारण कर दिया गया है। ए श्रेणी के वाराणसी जनपद में कोविड-19 अंतर्गत मोडरेट सिकनेस वाले मरीजों के एनएबीएच एक्रिडेटेड हॉस्पिटल में इलाज हेतु पीपीई किट सहित चार्ज 10,000 रुपये तथा नॉन एनएबीएच एक्रिडेटेड हॉस्पिटल में इलाज हेतु पीपीई किट सहित चार्ज 8000 रुपये निर्धारित किया गया है। गंभीर (सीवियर सिकनेस) ऐसे मरीज जिनको बिना वेंटिलेटर वाले आईसीयू की आवश्यकता है, उसके लिए एनएबीएच एक्रिडेटेड हॉस्पिटल में इलाज हेतु पीपीई किट सहित चार्ज 15,000 तथा नॉन एनएबीएच एक्रिडेटेड हॉस्पिटल में पीपीई किट सहित चार्ज 13,000 रुपये रखा गया है। अत्यंत गंभीर (वेरी सीवियर सिकनेस) वाले ऐसे मरीज जिन्हें वेंटिलेटर वाले आईसीयू की आवश्यकता है, उनके लिए एनएबीएच एक्रिडेटेड हॉस्पिटल में इलाज हेतु पीपीई किट सहित चार्ज 18,000 रुपये तथा नॉन एनएबीएच एक्रिडेटेड हॉस्पिटल में पीपीई किट चार्ज सहित 15,000 रुपये रखा गया है।

होम आइसोलेशन की पहले ही मिल चुकी है इजाजत

कोरोना पॉजिटिव मरीजों को लेकर जिला प्रशासन ने चार प्राइवेट अस्पताल में संचालित इलाज को लेकर रेट तय कर दिया गया है। हर रोज बढ़ते जा रहे मरीजों की संख्या को लेकर इच्छुक व्यक्तियों को होम आइसोलेशन की अनुमति भी अब मिलने लगी है। फिलहाल वाराणसी में कोरोना पीड़ितों की संख्या लगभग 2400 को पार कर गई है। जबकि 44 लोगों की मौत हो गई है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों के इलाज को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

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