आर्कबिशप की चिट्ठी पर घमासान, भाजपा ने किया विरोध

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दिल्ली के आर्कबिशप अनिल काउटो ने राजधानी के सभी चर्च के सभी पादरियों को खत लिखकर भारत की राजनीतिक स्थिति को अशांत बताया है। आर्कबिशप ने 2019 के आम चुनावों को देखते हुए पादरियों से प्रार्थना और शुक्रवार को उपवास रखने की अपील की है। आर्कबिशप ने लिखा है कि मौजूदा अशांत राजनीतिक मौहाल संविधान में निहित हमारे लोकतांत्रित सिद्धांतों और हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष तानेबाने के लिए खतरा बन गया है। आर्किबिशप के इस खत पर अब राजनीति भी शुरू हो गई है। बीजेपी ने भी इसे लेकर अपनी आपत्ति जताई है।

बीजेपी ने आर्कबिशप की चिट्ठी पर जताया विरोध

भारतीय जनता पार्टी ने भी आर्कबिशप की चिट्ठी पर अपना विरोध जताया है। बीजेपी की शायना एनसी ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि जातियों या समुदायों को भड़काने की कोशिश करना गलत है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि पीएम धर्म और राजनीति की बाधा को तोड़ते हुए बिना भेदभाव के समावेशी विकास के लिए काम कर रहे हैं। नकवी ने कहा कि हम उनसे (बिशप से) केवल प्रगतिशील मानसिकता के साथ सोचने के लिए कह सकते हैं।

संघ विचारक ने आर्कबिशप की चिट्ठी को बताया लोकतंत्र पर खतरा

आर्कबिशप की इस चुनावी प्रार्थना वाली चिट्ठी पर राजनीति भी शुरू हो गई है। संघ विचारक राकेश सिन्हा ने इसे भारतीय धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्च का हमला करार दिया है। राकेश सिन्हा ने कहा है कि यह वेटिकन सीधा हस्तक्षेप है क्योंकि इन बिशपों की नियुक्ति सीधे पोप करते हैं। सिन्हा ने कहा कि इनकी जवाबदेही भारत के प्रति नहीं बल्कि पोप के प्रति है।

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आपको बता दें कि आर्कबिशप ने अपने लेटर में लिखा, ‘अपने देश और इसके नेताओं के लिए हर समय प्रार्थना करना हमारी पवित्र प्रथा है, लेकिन जब हम आम चुनावों की तरफ बढ़ते हैं तो यह प्रार्थना बढ़ जाती है।’ आगे लिखा है कि अगर हम 2019 की ओर देखें तो तब हमारे पास नई सरकार होगी और चलिए हम अपने देश के लिए प्रार्थना शुरू करते हैं।

इस मामले में जब आर्कबिशप सेक्रटरी फादर रॉबिन्सन रॉड्रिग्स से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि हर आम चुनावों से पहले इस तरह की प्रार्थनाएं की जाती हैं। उन्होंने कहा कि इस बार इन प्रार्थनाओं पर राजनीति की जा रही है।

आर्कबिशप ऑफिस की सफाई, किसी खास सरकार की बात नहीं

फादर रॉड्रिग्स ने कह कि हर चुनाव से पहले शांति और निष्पक्ष-स्वतंत्र चुनावों के लिए प्रार्थना का आह्वान किया जाता है। ऐसा 2014 में और उससे पहले भी हुआ था। इस बार कुछ लोगों द्वारा जानबूझकर मामले को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। ‘देश में अशांत राजनीतिक माहौल’ का उल्लेख करने पर आर्कबिशप ऑफिस ने स्पष्ट किया कि मौजूदा हालात निश्चित तौर पर चिंता का विषय है लेकिन यह बात किसी खास शासन या पार्टी के संदर्भ में नहीं कही गई है।

‘नई सरकार’ शब्द के इस्तेमाल की गलत व्याख्या की जा रही है

फादर रॉड्रिग्स ने कहा कि लेटर में ‘नई सरकार’ शब्द के इस्तेमाल की गलत व्याख्या की जा रही है। उन्होंने कहा कि हर चुनावों के बाद एक नई सरकार बनती है। चाहे नई पार्टी सरकार बनाए या पिछली पार्टी ही सरकार में वापस आए, सरकार नई ही बनती है। आपको बता दें कि यह खत 8 मई को लिखा गया है। इसमें निर्देश दिया गया था कि 13 मई को रविवार की आम प्रार्थना में इसे पढ़ा जाए।

ऑर्कबिशप ने लिखा था पत्र

आर्कबिशप अनिल काउटो ने इस लेटर में शुक्रवार को कम से कम एक वक्त का खाना छोड़ खुद और देश के लिए प्रार्थना करने की बात कही है। इसमें शुक्रवार को एक घंटे की खास प्रार्थना की बात कही गई है। देश के लिए की जाने वाली इस प्रार्थना की अपील को करते हुए आर्कबिशप ने पुरखों और संविधान के मूल्यों समता, समानता और बंधुत्व को सर्वोच्च स्थान पर बनाए रखने की अपील की है। आर्कबिशप ने अपील की है कि आओ प्रार्थना करें कि सभी जाति, पंथ, संप्रदाय के लोग शांति और सद्भाव के साथ रहें और घृणा, हिंसा से दूर रहें।

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