वाराणसी में बोले अमित शाह- तुलसीदास ने अवधि में रामचरित मानस न लिखा होता तो अब तक विलुप्त हो जाती रामायण
आगामी विधानसभा चुनाव के तैयारियों के मद्देनजर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह उत्तर प्रदेश दौरे पर हैं। वाराणसी में ‘अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि हमें हिंदी भाषा बोलने में किसी भी प्रकार की शर्म नहीं आनी चाहिए।
आगामी विधानसभा चुनाव के तैयारियों के मद्देनजर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह उत्तर प्रदेश दौरे पर हैं। वाराणसी में ‘अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि हमें हिंदी भाषा बोलने में किसी भी प्रकार की शर्म नहीं आनी चाहिए क्योंकि हमारी राजभाषा हमारा गौरव है और हमें अपने बच्चों से भी अपनी मातृभाषा हिंदी में बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि, मैं भी हिंदी भाषी नहीं हूं, मेरी मातृभाषा गुजराती है। लेकिन, मैं गुजराती ही जितना बल्कि उससे अधिक हिंदी प्रयोग करता हूं।
सावरकर नहीं होते तो आज हम अंग्रेजी ही पढ़ रहे होते:
‘अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि वीर सावरकर नहीं होते तो आज हम अंग्रेजी ही पढ़ रहे होते। उन्होंने कहा कि सावरकर ने ही हिंदी शब्कोश बनाया था। अंग्रेजी हम पर जबरन थोपी गई थी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर तुलसीदास ने अवधि में रामचरित मानस न लिखा होता तो रामायण अब तक विलुप्त हो गई होती।
स्वदेशी और स्वभाषा पीछे छूट गया:
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि गाँधी जी ने आजादी के आन्दोलन को लोक आन्दोलन में परिवर्तित किया, जिसके स्वराज, स्वदेशी और स्वभाषा स्तंभ थे। उन्होंने कहा कि स्वराज तो मिल गया, लेकिन स्वदेशी और स्वभाषा पीछे छूट गया था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार मेक इन इंडिया और अब पहली बार स्वदेशी की बात करके, स्वदेशी को फिर से हमारा लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ रहे हैं।
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