कांग्रेस के सीएम शपथ ग्रहण समारोह से माया-अखिलेश का किनारा

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हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस को समर्थन का ऐलान किया। इसके बाद विपक्षी एकता के एकबार फिर मजबूत होने की सुगबुगाहट दिखने लगी। लेकिन सोमवार को फिर एक बार विपक्ष में दरार देखने को मिली है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सीएम के शपथग्रहण समारोह से अखिलेश और मायावती ने किनारा कर लिया है।

समर्थन देने के बाद भी शपथ ग्रहण समारोह से किनारा

बता दें कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में बहुमत के ठीक नजदीक पहुंच कर थमी कांग्रेस को एसपी, बीएसपी विधायकों का समर्थन मिला है। आज इन तीनों राज्यों के सीएम शपथ लेंगे। मध्य प्रदेश में कमलनाथ, राजस्थान में अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं। कर्नाटक चुनावों की तरह कांग्रेस ने इस तीनों शपथग्रहण समारोहों में विपक्ष की एकता दिखाने की तैयारी की थी, लेकिन अब ऐसा होता नहीं दिख रहा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस ने इन तीनों राज्यों के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए शरद पवार, शरद यादव, एम. के. स्टालिन, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, मायावती, ममता बनर्जी और अन्य विपक्षी नेताओं को आमंत्रित किया है। तीनों राज्यों में एक ही दिन अलग-अलग समय पर शपथग्रहण समारोह होने वाले हैं। बीएसपी सुप्रीम मायावती और एसपी सुप्रीमो अखिलेश यादव इस समारोह में शामिल नहीं हो रहे हैं।

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यूपी में महागठबंधन को लेकर कंप्यूजन वजह तो नहीं?

सवाल यह है कि कांग्रेस को सरकार बनाने में मदद करने वाले ये दोनों पार्टियों शपथग्रहण से क्यों दूर रह रही हैं? कहा जा रहा है कि यूपी में महागठबंधन की तस्वीर अभी स्पष्ट नहीं बन पाई है। ऐसे में अखिलेश और मायावती कांग्रेस के साथ मंच साझा करने को लेकर एक असमंजस की स्थिति में हैं। यूपी में अखिलेश और माया के बीच गठबंधन तो करीब तय नजर आ रहा है लेकिन उसमें कांग्रेस की भूमिका स्पष्ट नहीं हो पा रही है।

यूपी के धुरंधर नहीं होंगे शामिल

हिंदी पट्टी के तीन अहम राज्यों में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने के बाद कांग्रेस के भी हौसले बुलंद हैं। कांग्रेस देशभर में राज्यों के हिसाब से केंद्र की बीजेपी सरकार विरोधी गठबंधन तैयार करने में जुटी हुई है। तुलनात्मक रूप से दक्षिण भारत की स्थिति कमोबेश साफ नजर आ रही है। डीएमके के स्टालिन और टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू खुलकर कांग्रेस के साथ हैं, लेकिन उत्तर भारत के सबसे अहम सूबे यूपी में ही पेच फंसा हुआ है।

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